- 1371 शिकायतें अभी तक लंबित

- वाट्सअप नंबर पर शुरू की गई थी शिकायत की सुविधा

- रोडवेज का शिकायत प्रकोष्ठ फ्लॉप, यात्रियों की नहीं सुनी जा रहीं शिकायतें

- बसों से नंबर मिटाकर कंडक्टर कर रहे बचाव

मेरठ। रोडवेज बसों में यात्रियों की सुविधाओं के लिए शुरू किया गया शिकायत प्रकोष्ठ अव्यवस्था का शिकार है। एक साल पहले मेरठ रीजन में इस व्यवस्था के तहत डिपो एआरएम का नंबर बसों में लिखवाया गया था.इस नंबर पर कॉलिंग या वाट्सअप की सुविधा यात्रियों को दी गई थी। लेकिन रोडवेज की यह व्यवस्था पूरी तरह से फ्लॉप रही।

बसों के नंबर हुए गुमनाम

अधिकतर बसों में लिखे हुए वाट्स अप नंबर आज की तारीख में या तो बंद पडे़ हैं या फिर उनकी रेंज आउट रहती है। हालत यह कि खुद बस के परिचालकों ने बसों में लिखे नंबर मिटा दिए हैं ताकि कोई शिकायत ना कर सके।

कई शिकायतें लंबित

गत वर्ष वाट्सअप शिकायत प्रकोष्ठ की शुरूआत में यात्रियों की काफी अधिक शिकायतें वाट्सअप और कॉलिंग नंबर पर दर्ज कराई, लेकिन इनमें से अधिकतर शिकायतों पर सुनवाई आज तक नहीं हो सकी है। रोडवेज शिकायत प्रकोष्ठ में करीब 1371 शिकायतें दर्ज हुए जो अभी तक लंबित हैं।

रोडवेज ने जारी किया 149 हेल्पलाइन

यात्रियों की इस असुविधा और शिकायतों की बढ़ती संख्या के निस्तारण के लिए रोडवेज मुख्यालय ने अब हेल्पलाइन नंबर 149 जारी किया है। रोडवेज की सभी बसों में इस नंबर को चिपका दिया गया है ताकि यात्री सफर के दौरान इस नंबर पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकें।

वर्जन-

रोडवेज के शिकायत प्रकोष्ठ में स्टॉफ की कमी के चलते मॉनीटरिंग नहीं हो पा रही थी। कई बार अनावश्यक कॉल करके लोग परेशान करते थे। जिस कारण से अब रोडवेज ने नया हेल्पलाइन ऑनलाइन नंबर जारी किया है

- भारत भूषण, स्टेशन अधीक्षक, भैंसाली डिपो

अधिकतर रोडवेज बसों में नंबर मिटे हुए हैं या लिखे ही नहीं है। अगर नंबर है भी तो वो कभी लगता नही है।

- देव प्रकाश

बसों में कंडक्टर के खिलाफ ही शिकायतें होती हैं जिन पर रोडवेज कोई कार्रवाई नहीं करता। ऐसे में नंबर का फायदा भी नहीं मिलता।

- गौतम

रोडवेज बसों में सीधा आरएम का नंबर लिखा जाना चाहिए ताकि यात्री सीधा उच्च स्तर पर शिकायत दर्ज करा सके। ऑनलाइन नंबर अधिकतर व्यस्त मिलता है।

- अमित