- राज्यसभा का नामांकन पर्चा भरा जाएगा आज से, नौ जून तक भरा जाएगा पर्चा

- लोकसभा में जेडीयू की शर्मनाक हार को लेकर नीतीश कुमार ने की मीटिंग

PATNA: बिहार की राजनीति में सत्ता पर जेडीयू का कब्जा जरूर है, पर जेडीयू की लिए ये चैलेंज है कि कैसे इसे बरकरार रखा जाए। चैलेंज इसलिए कि जेडीयू का परफॉरमेंस पार्लियामेंट इलेक्शन में धड़ाम से नीचे गिरा है। ख्0 से ख् पर चली गई पार्टी विकास के दावों और वादों के बावजूद। इलेक्शन में प्रचार के दौरान नीतीश कुमार कहते रहे कि केन्द्र में जब वो आएंगे तो बिहार पर भी असर पड़ेगा। ये कहने से वोट तो नहीं मिला जेडीयू को, लेकिन बिहार पर असर जरूर पड़ने लगा है।

राज्यसभा का नामांकन पर्चा भरा जाएगा आज से

राज्यसभा के लिए नामांकन पर्चा भरा जाना शुरू हो जाएगा, जो ख् से 9 जून तक चलेगा। जेडीयू के अध्यक्ष शरद यादव चुनाव हार चुके हैं और इसलिए उनका राज्यसभा जाना तय है। नीतीश कुमार के बारे में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष कह चुके हैं कि नीतीश कुमार न तो राज्यसभा जाएंगे और न जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे। शरद यादव के साथ-साथ शकुनी चौधरी और नरेन्द्र सिंह के नाम की चर्चा खूब है। शकुनी चौधरी को राज्यसभा इसलिए भेजा जाएगा कि कुशवाहा वोट बैंक में मैसेज दिया जाए। बीजेपी ने उपेन्द्र कुशवाहा को काराकाट से इलेक्शन जीतने के बाद केन्द्र में राज्य मंत्री बना दिया है, इसलिए जेडीयू के अंदर शकुनी चौधरी की पूछ बढ़ गई है।

नीतीश कुमार ने अणे मार्ग में मीटिंग की

पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अणे मार्ग में जेडीयू नेताओं के साथ मीटिंग की और हार पर मंथन किया। जेडीयू को ऐसी हार की उम्मीद नहीं थी कि पार्टी पार्लियामेंट में ख्0 से ख् पर चली जाएगी या फिर फ्8 में से ख्ब् कैंडिडेट की जमानत ही जब्त हो जाएगी। इसकी जवाबहेदी नीतीश कुमार ने ली भी और सीएम का पोस्ट छोड़ जीतन राम मांझी को कुर्सी दे दी।

इंतजार हो रहा है लिस्ट का

जीतनराम मांझी मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे ये वे पहले ही बोल चुके हैं। कई दिनों से पेंिडंग चल रहे गवर्नर कोटे के क्ख् एमएलसी के मामले को सलटा लिया गया और मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार है। बीजेपी दावा करती रही है कि जैसे ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा सरकार खतरे में पड़ जाएगी। नीतीश कुमार इस कोशिश में लगे हैं कि कैसे कैबिनेट को सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले से नया बनाया जाए। अपने सबसे बड़े पॉलिटिकल एनेमी बीजेपी से कैसे निबटा जाए। चर्चा है कि नीतीश सरकार के चार मंत्रियों ने जेडीयू की हार में बड़ी कील ठोंकी। चर्चा ये भी है कि कैबिनेट विस्तार के लिए नामों की लिस्ट तैयार होने पर सीएम जीतन राम मांझी के पास भेज दी जाएगी।

डिप्टी सीएम बनाना रिस्की

बिहार का नया डिप्टी सीएम कौन बनेगा? ये सवाल उस समय से उठा हुआ है जब से सुशील कुमार मोदी को डिप्टी सीएम के पोस्ट से हटाया गया है। पहले तो लगा कि नीतीश कुमार किसी अल्पसंख्यक को डिप्टी सीएम का पोस्ट देंगे और वषरें से उठ रही मांग को अपने हक में पूरा करेंगे, लेकिन जब तक नीतीश कुमार सीएम रहे किसी को डिप्टी सीएम नहीं बनाया। हां, उनके समय ये चर्चा जरूर होती रही कि नरेन्द्र सिंह को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। इसे नीतीश कुमार की बड़ी पॉलिटिकल गलती माना जाता रहा कि उन्होंने किसी अल्पसंख्यक को ये पोस्ट नहीं दिया। नेरन्द्र मोदी के सवाल पर बीजेपी से दोस्ती तोड़ने के बावजूद अल्पसंख्यकों की सहानुभूति नहीं जीत पाए नीतीश कुमार, लेकिन किसी अल्पसंख्यक को डिप्टी सीएम बनाए होते तो वे ज्यादा विश्वास जीत पाते। अल्पसंख्यक को ये पोस्ट नहीं देने से बहुसंख्यक का वोट उन्हें मिल गया ऐसा भी नहीं हुआ। अब की राजनीति में डिप्टी सीएम के लिए ललन सिंह के नाम की चर्चा है। ललन सिंह पार्लियामेंट का इलेक्शन मुंगेर से हार चुके हैं और इसके बाद उन्हें जेडीयू ने विधान परिषद् भेजा है। ललन सिंह की जाति का सॉलिड वोट बीजेपी को गया है, लेकिन चूंकि बिहार से इस जाति के किसी नेता को केन्द्र में मिनिस्ट्री नहीं दी गई है, इसलिए इसका बेनीफिट नीतीश कुमार उठाना चाहते हैं। गजब कि बात ये है कि बिहार के प्रशासन और पुलिस महकमे की सबसे बड़ी कुर्सी इसी जाति को देने और ब्रह्मोश्वर मुखिया का शव यात्रा के समय हुए हंगामे पर फैसला लेने के बावजूद जेडीयू को इलेक्शन में रत्ती भर लाभ नहीं मिला, इसलिए इस बार के पार्लियामेंट इलेक्शन को जाति से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। नरेन्द्र मोदी लहर और कांग्रेस के विरोध में पब्लिक का गुस्सा वो कर गया, जिससे सब चौंक गए। डिप्टी सीएम पोस्ट के लिए ललन ंिसंह के साथ-साथ विजय चौधरी के नाम की भी चर्चा है। ये भी बड़ी बात है कि नीतीश कुमार डिप्टी सीएम किसी को भी न बनाएं। ये उनकी लाचारी भी नहीं है। बीजेपी साथ थी तो लाचारी थी।