एक नजर अध्ययन पर
तथ्य यह भी कहते हैं कि उन लोगों में यह प्रवृत्ति ज्यादा देखी गई है जो आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं. इन सभी को बातों को लेकर विस्तार से गहन अध्ययन किया गया है. अध्ययन यह भी कहता है कि आर्थिक तंगी के कारण दिमाग में भरी सारी टेंशन और झुंझलाहट को भारतीय पुरुष आखिर में सिर्फ अपनी पत्नी पर निकालना बेहतर समझते हैं.  
 
ऐसे में क्या सोच होती है भारतीय पुरुषों की
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि 60 फीसदी पुरुषों का मानना होता है कि उन्हें प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण फैसलों में पत्नी या प्रेमिका के मुकाबले उनकी  ज्यादा भूमिका रही है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष और वॉशिंगटन स्थित संस्था ‘इंटरनेशनल सेंटर पर रिसर्च ऑन वूमेन’ (आईसीआरडब्ल्यू) ने भारत में पुरुषों पर  उनकी पत्नी और प्रेमिका के प्रति हिंसक रवैये को लेकर बड़ा अध्ययन किया है.
 
कहां-कहां से जोड़ा गया अध्ययन को
अध्ययन से प्राप्त जानकारी के अनुसार 52 फीसदी महिलाओं ने ऐसा बताया है कि उन्हें पति की ओर से किसी न किसी तरह की हिंसा का सामना करना ही पड़ता है. ऐसे में 38 फीसदी महिलाओं ने खुद को घसीटे जाने, पिटाई, थप्पड़ मारे जाने या जलाने जैसे शारीरिक उत्पीड़नों का सामना करने की बात को स्वीकार किया है. गौरतलब है कि इस अध्ययन में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, ओडिशा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में 9,205 पुरुषों और 3,158 महिलाओं से बात की गई.

बचपन में जरूरत है बेटों में सही समझ विकसित करने की
आईसीआरडब्ल्यू-एशिया के क्षेत्रीय निदेशक ने अपने एक बयान में बताया है कि अध्ययन के नतीजे पूरी तरह से स्पष्ट हैं. इसमें यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि बचपन के अनुभवों का स्थायी प्रभाव पूरी तरह से होता है. यही एक सही समय होता है कि हम सोचें कि हमें अपने बेटों की परवरिश किस तरह से करनी है और उन्हें क्या चीज प्रमुखता के साथ सिखानी है और क्या नहीं सिखानी है.

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