क्रिकेट के मैदान से उन जैसी विदाई शायद ही किसी खिलाड़ी की हुई हो. अपने 200वें टेस्ट मैच के बाद वो क्रिकेट के हर स्वरूप को छोडने जा रहे हैं. इसके बावजूद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड उन पर मुंबई टेस्ट मैच के बाद भी मेहरबान है.
सचिन तेंदुलकर को बीसीसीआई ने एक ऐसा तोहफ़ा दिया है जो इससे पहले किसी को नही मिला. दरअसल गुरुवार को जब बीसीसीआई ने भारतीय खिलाडियों की अनुबंध सूची जारी की तो उसकी ए ग्रेड सूची में सचिन तेंदुलकर का नाम भी था.
उनके अलावा ए ग्रेड अनुबंध सूची में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली, सुरेश रैना और आर अश्विन शामिल है.
उल्लेखनीय है कि ए ग्रेड सूची में शामिल खिलाडियों को बीसीसीआई सालाना एक करोड़ रूपये की रिटेनर फ़ीस देती है. अब जबकि सचिन तेंदुलकर क्रिकेट से संन्यास लेने जा रहे है तो फिर क्यों बीसीसीआई ने ऐसा तोहफ़ा सचिन को क्यों दिया ?
इस सवाल के जवाब में पूर्व क्रिकेटर मनिंदर सिंह कहते हैं कि यह मुझे भी थोड़ा सा अजीब लग रहा है. अगर उन्हें कुछ देना ही है तो उसकी घोषणा इसके बिना भी की जा सकती है.
ग्रेड का क्या मतलब
अगर बोर्ड सचिन तेंदुलकर के भारतीय क्रिकेट में दिये गए योगदान को सम्मान देना चाहता था तो वह उन्हें पांच करोड़ या दो करोड़ जो भी राशि हो, वैसे भी पुरस्कार स्वरूप दे सकता था.
जब सचिन तेंदुलकर क्रिकेट छोड़ने ही जा रहे है तो फिर उन्हें ए ग्रेड या फिर बी ग्रेड में रखने से क्या फ़ायदा. एक तरफ जहां सचिन ए ग्रेड में हैं तो वही पूर्व सलामी बल्लेबाज़ वीरेंद्र सहवाग, पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह और पूर्व तेज़ गेंदबाज़ ज़हीर ख़ान को किसी भी ग्रेड में नहीं रखा गया है.
बी ग्रेड में खिलाड़ियों को 50 लाख और सी ग्रेड के अनुबंध में 25 लाख रूपये की रिटेनर फीस दी जाती है.
सुरेश रैना को बी ग्रेड से ए ग्रेड में भेजा गया है. सुरेश रैना पर बीसीसीआई की ख़ास मेहरबानी को लेकर मनिंदर सिंह कहते है कि सुरेश रैना एकदिवसीय क्रिकेट के अच्छे खिलाडी है, युवा हैं और अगर उन्हें मेहनत करने पर मजबूर किया जाए तो शायद वह एक अच्छे टेस्ट खिलाड़ी भी साबित हो, लेकिन यह भी बिल्कुल सही है कि बोर्ड की उन पर मेहरबानी है.
मनिंदर सिंह कहते हैं कि कई बार नहीं हमेशा ऐसा देखा है कि कप्तान के चहेते खिलाड़ियों पर बोर्ड की मेहरबानी होती है और सुरेश रैना उनमें से एक है. वैसे सुरेश रैना को उसका नुक़सान भी हो रहा है. वो अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी जगह बनाने के लिए उतनी मेहनत नही कर रहे हैं जितनी उन्हें करनी चाहिए.
बोर्ड ने बी ग्रेड में गौतम गंभीर, युवराज सिंह, प्रज्ञान ओझा, इशांत शर्मा, मुरली विजय, शिखर धवन, उमेश यादव, चेतेश्वर पुजारा, रवींद्र जडेजा, भुवनेश्वर कुमार और रोहित शर्मा को रखा है.
सी ग्रेड खिलाड़ी
सी ग्रेड में दिनेश कार्तिक, अमित मिश्रा, ऋद्धिमान साहा, अजिंक्य रहाणे, अम्बाती रायडू, विनय कुमार, मोहम्मद शामी, जयदेव उनादकट और मोहित शर्मा को रखा है.
ज़हीर खान, वीरेंद्र सहवाग और हरभजन सिंह को किसी भी ग्रेड में ना शामिल किए जाने को लेकर मनिंदर सिंह का मानना है कि कुछ सीनियर खिलाड़ी जो अपनी जगह टीम में पक्की समझते थे, उन्हें बोर्ड ने मजबूर किया है कि वो अपने खेल में सुधार के लिए मजबूर हो.
ज़हीर खान टीम से बाहर होने के बाद युवराज सिंह के साथ ट्रेनिंग के लिए फ्रांस गए. चयनकर्ताओं ने उन्हें महसूस कराया कि अगर अच्छा प्रदर्शन नहीं करेंगे तो टीम में उनकी जगह नहीं बनेगी, ये बोर्ड का एक सकारात्मक कदम है.
अच्छे खेल का इनाम
वीरेंद्र सहवाग को ए, बी, सी किसी ग्रेड में जगह नहीं मिली
कुछ खिलाडियों को अच्छा खेल दिखाने का इनाम भी मिला है. शिखर धवन, रवींद्र जडेजा और मुरली विजय सी ग्रेड से बी ग्रेड में पहुंचे हैं.
मनिंदर सिंह इस बारे में कहते हैं कि आख़िरकार बोर्ड का कुछ पैमाना तो होगा जिसके आधार पर खिलाडियों को ग्रेडेशन के लिए चुना जाता है. इन खिलाड़ियों ने पिछले दिनों शानदार खेल दिखाया है.
जो खिलाड़ी सी ग्रेड में आते हैं, वो मेहनत करके बी या ए ग्रेड में जाने की कोशिश करते हैं जो सबसे अच्छी बात है और कुछ खिलाडियों को लेकर शिकायतें तो रहेगी ही.
ग्रेड सिस्टम का सबसे बडा फ़ायदा मनिंदर सिंह को ये लगता है कि इसमें आते ही खिलाड़ी को लगता है कि वो हिंदुस्तान की क्रिकेट टीम में आने के बेहद क़रीब है और ये बात उसमें एक जूनून पैदा करती है.
वीरेंद्र सहवाग ने अपना आख़िरी टैस्ट मैच इसी साल मार्च में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ हैदराबाद में खेला था जहां वो केवल 6 रन बना सके थे.
भारत ने उस मैच को एक पारी और 135 रनों से जीता था. इसके बाद उन्हें आईपीएल और फ़िलहाल भारत का दौरा कर रही वेस्टइंडीज़ की टीम के ख़िलाफ़ दो अभ्यास मैच खेलने का अवसर मिला.
लेकिन इस दौरान उनका बल्ला अधिक नही चला. कुछ ऐसा ही हाल हरभजन सिंह और ज़हीर ख़ान का भी है. ज़हीर ख़ान तो आईपीएल के दौरान अधिकतर घायल ही रहे.
अब जबकि भारतीय टीम जीत के रथ पर सवार है तो ऐसा लगता है कि इन्हें क्रिकेट को अलविदा कहने का मौक़ा शायद ही भारतीय टीम के सदस्य के रूप में मिले, अगर बीसीसीआई के ग्रेड सिस्टम के इशारे को समझे तो.
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