- मंडे के बदले फ्राइडे से सेशन शुरू होने को दे दिया गया है एक परंपरा का रूप

- इसी बहाने एमएलएज और एमएलसीज को दो दिन का बन जाता है टीए-डीए

PATNA: बिहार विधान मंडल का बजट सेशन शुरू हो गया। खबर भी बन गई कि फ्राइडे से सत्र शुरू, पर आपने कभी सोचा है कि सत्र फ्राइडे को क्यों शुरू किया गया? यह पहली बार हुआ है ऐसा भी नहीं, बल्कि बिहार विधान मंडल के कई सत्र फ्राइडे को ही शुरू हुए। अब तो इसे परंपरा का रूप दे दिया गया है। यह सवाल इसलिए मौजूं है, क्योंकि फ्राइडे के बाद सैटर्डे और संडे को छुट्टी रहती है। यही हुआ भी फ्राइडे को शोक प्रस्ताव लाने के बाद सैटर्डे और संडे की छुट्टी हो गई। सेशन मंडे से फिर शुरू हो चला है।

यह फायदे का है सौदा

फ्राइडे को सत्र शुरू करने के कई फायदे हैं। पहला फायदा यह कि सत्र को लंबा बनाने में दो दिन बेवजह जुड़ गया। दूसरा फायदा यह कि कई एमएलए और एमएलसी इस बीच अपने क्षेत्र जाएंगे और डेली एलाउंस पाएंगे। आने-जाने में पट्रोल का खर्च भी लेंगे, यानी दो दिनों में अच्छा खासा बिल बनेगा। बिहार विधानसभा में ख्ब्फ् एमएलए हैं। इधर, कैबिनेट के एमएलए और एमएलसी के वेतन सहित अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी की है।

इस तरह से कैबिनेट ने बढ़ाए रुपए

- पटना में निवास करने पर दैनिक भत्ता एक हजार रुपए से बढ़कर दो हजार रुपए।

- राज्य के अंदर रहने पर दैनिक भत्ता एक हजार से बढ़कर क्भ्00 रुपए।

- राज्य के बाहर रहने पर दैनिक भत्ता दो हजार से बढ़कर ख्भ्00 रुपए।

मिलने वाली अदर फैसिलिटीज

- वेतन ख्भ् हजार रुपए से बढ़कर फ्0 हजार

- क्षेत्रीय भत्ता ख्भ् हजार से बढ़कर ब्भ् हजार

- वाहन के लिए ऋण 8 लाख से बढ़कर क्0 लाख

- स्टेशनरी के लिए भ् हजार से बढ़कर म् हजार

- निजी सहायक के लिए क्भ् हजार से बढ़कर ख्0 हजार

यही करते हैं ज्यादातर एमएलए-एमएलसी

ज्यादातर एमएलए-एमएलसी सत्र के दौरान सैटर्डे और संडे को क्षेत्र जाने और आने के नाम पर हजारों रुपए का क्लेम करते हैं। प्रावधान के अनुरूप इन्हें मिल भी जाता है। पटना से अपने क्षेत्र जाने-आने में कई लीटर पट्रोल खर्च होते हैं। एक एमएलसी ने बताया कि ख्0 रुपए प्रति किलो मीटर की दर से राशि मिलती है। सत्र के दौरान ये दो बार मिलती है। इस बार का सत्र लंबा है, नहीं तो ज्यादातर सत्र छोटे होते हैं। जो सचेतक होते हैं, उनके लिए ख्भ्0 लीटर पेट्रोल प्रतिमाह की व्यवस्था है। कमेटी से जुड़े एमएलए या एमएलसी के लिए अलग व्यवस्था है। ज्यादातर एमएलए या एमएलसी किसी न किसी कमेटी से जुड़े रहते हैं। एक एमएल ने बताया कि सत्र के दौरान हर दिन क्षेत्र से ख्00 लोग मिलने-जुलने वाले आते हैं। सबको नाश्ता आदि कराना खर्चीला है। सैलरी व टीएडीए तो इसी में खर्च हो जाता है।

इसकी जरूरत नहीं कि सत्र फ्राइडे को ही शुरू किया जाए। इसे मंडे को क्यों नहीं शुरू किया जाना चाहिए। यह अच्छी परंपरा नहीं है। इस पर डिबेट होनी चाहिए। लकीर का फकीर नहीं होना चाहिए।

हरेन्द्र प्रताप, एमएलसी, बीजेपी

यह सरकारी कोष का दुरुपयोग है। फ्राइडे को माइनॉरिटी को दिक्कत भी होती है। फ्राइडे को सत्र शुरू करने का कोई मतलब ही नहीं है। सोमवार में भला क्या दिक्कत है?

पी.के। सिन्हा, एक्स एमएलसी