संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज एग्जाम में सी-सैट का सिस्टम इसलिए लागू किया गया है, ताकि हर फन में माहिर एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर का सेलेक्ट हों। जो हर फील्ड, हर राज्य के साथ ही हर सिचुएशन में बेहतर डिसीजन ले सकें। इस क्राइटेरिया को क्षेत्र विशेष के लोगों के लिए बदलना या खत्म करना सही नहीं होगा।

करिश्मा के। श्रीवास्तव

आईएएस हो या फिर कोई भी एग्जाम, उसके सेलेक्शन में भाषा की बाध्यता होनी ही नहीं चाहिए। मुझे ये समझ नहीं आ रहा है कि अंग्रेजी और हिंदी को लेकर ये लड़ाई क्यों हो रही है। सी-सैट का विरोध आखिर क्यों हो रहा है?

जेबा सिद्दीकी

सी-सैट इसलिए लागू किया गया है ताकि बेहतर ऑफिसर तैयार हो सकें। लेकिन मैं ये कहना चाहूंगी कि क्या सी-सैट लागू होने के पहले जो अधिकारी आए, जिनका सेलेक्शन हुआ, क्या उनमें प्रतिभा की कमी थी?

आकांक्षा सिंह

कोई भी सिस्टम लागू करने से पहले ये सोचना चाहिए कि उसका दूरगामी परिणाम क्या होगा? सी-सैट भी कुछ ऐसा ही सिस्टम है, जिसे जल्दबाजी में और बिना सोचे-समझे आईएएस की तैयारी कर रहे लाखों कैंडिडेट्स पर जबर्दस्ती थोप दिया गया है।

मनोरमा सिंह

देखिए, सी-सैट का विरोध सही है। जबर्दस्ती कोई भी सिस्टम लागू करने का विरोध भी सही है। लेकिन, ये मांग करना कि आईएएस एग्जाम में अंग्रेजी हटा कर हिंदी कर दिया जाए, हिंदी को ही प्रायॅरिटी दिया जाए, ये गलत है।

माधुरी सिंह

हिंदी भाषी राज्य के युवाओं ने सी-सैट में हिंदी को प्रॉयरिटी देने की आवाज उठाई है। इसी तरह कल महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडू, बंगाल के लोग भी आवाज उठाएंगे। इससे अस्थिरता आएगी। एक नया विवाद पैदा होगा, जिसे रोक पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

शकरीन

जब से सी-सैट लागू हुआ है, हिंदी भाषी राज्य के विशेष तौर पर हिंदी पर पकड़ रखने वाले कैंडिडेट आईएएस के मेन एग्जाम में पहुंचने से पहले ही छंट जा रहे हैं। वहीं जिन लोगों की अंग्रेजी पर बेहतरीन पकड़ है। उन्हीं का सेलेक्शन हो पा रहा है। ये गलत है। ऐसा नहीं होना चाहिए।

पंकज कुमार मिश्रा

मेरा ये सवाल है कि आखिर सिविल सर्विसेज एग्जाम में बदलाव की जरूरत ही क्यों पड़ी। एग्जाम में पहले जो व्यवस्था थी उसमें खामी क्या थी जो उसे हटा दिया गया। यह गलत फैसला था और इसे वापस लिया ही जाना चाहिए।

मोहित कुमार पांडेय

आज जो भी बहस हो रही है। मैं उसमें शामिल नहीं होना चाहता। क्योंकि मैं भाषा की लड़ाई में पड़ना ही नहीं चाहता। मेरा मानना है कि आईएएस वही बनता है, जो प्रतिभा का धनी हो। वो हर फन में माहिर हो। इसलिए भाषा या क्षेत्रवाद के लफड़े में पड़ने के बजाय, एक ऐसे सिस्टम को अपनाना चाहिए जिससे एक क्रीम यानी बेहतरीन आईएएस ऑफिसर का सेलेक्शन हो सके। उसके लिए अगर सी-सैट लागू किया गया है तो फिर गलत क्या है।

आदित्य जैन

मुझे लगता है कि अब इस मुद्दे पर पॉलिटिक्स होने लगी है। सिविल सर्विसेज सेलेक्शन जैसे गंभीर मुद्दे पर पॉलिटिक्स नहीं होनी चाहिए। आईएएस प्री में अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त करने की बात कही जा रही है। चलिए, आज अगर हिंदी लागू हो जाएगा, तो कल महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और बंगाल में बवाल नहीं होगा। क्योंकि, वहां के लोग तो बेहतर तरीके से हिंदी बोल व समझ नहीं पाते।

पूजा राजपूत

यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन अगर आज सी-सैट को खत्म कर देता है तो बवाल और बढ़ेगा। अन्य राज्यों में हंगामा होगा। इसके लिए सबसे पहले हिंदी को राष्ट्रीय भाषा घोषित करने की जरूरत है। ताकि इस तरह का विवाद जन्म ही न ले सके। क्योंकि अगर राज्य की भाषा को लागू किया जाएगा तो फिर कई राज्यीय भाषाएं हैं।

कविता पांडेय

इंग्लिश कांप्रिहेंशन में फेल होने की वजह से आईएएस की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को छांटना गलत है। इंग्लिश पर ज्यादातर सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्टूडेंट्स की बेहतर पकड़ होती है। यूपी बोर्ड या फिर अन्य बोर्ड के स्टूडेंट्स इंग्लिश की वजह से आगे न बढ़ पाएं तो ये गलत होगा।

मनोज कुमार यादव

ज्ञान और भाषा। दो अलग-अलग चीजें हैं। अगर आप किसी एग्जाम में शामिल होते हैं और आपने सवालों का जवाब सही नहीं दिया, अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय नहीं दिया और इसकी वजह से आप डिस्क्वालीफाई होते हैं, तो ये ठीक है। लेकिन, आपने सभी सवालों के सही जवाब दिए, इसके बाद भी आपको सिर्फ इसलिए डिस्क्वालीफाई कर दिया जाता है कि आपको एक भाषा की जानकारी नहीं है। तो ये गलत है।

दिलीप कुशवाहा

इंग्लिश एक्सपर्ट

सी-सैट का विरोध हो रहा है। कैंडीडेट कह रहे हैं कि इंग्लिश कम्पलसरी और कठिन कर दिया गया है। मेरा ये कहना है कि सी-सैट में ऐसा कुछ नहीं है। मैथ और इंग्लिश है ही नहीं। उसमें तो केवल इंग्लिश का कांप्रिहेंशन है, जिसे समझना और अपनी समझ को बेहतर तरीके से समझाना जरूरी है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि जिस पद के लिए सेलेक्शन की बात हो रही है उसे तमाम परिस्थितियों से दो चार होना पड़ता है। वह डिसीजन मेकर के रोल में होता है। इसलिए पर्सनली मैं सी-सैट को गलत नहीं मानता।

नसीम सिद्दीकी

मैथ्स एक्सपर्ट

सांसद हो या विधायक यही लोग लोकसभा और विधानसभा में हमारा प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्हीं में से प्रधानमंत्री बनता है और मुख्यमंत्री भी। यह वे पद हैं जो देश के लिए कानून बनाते हैं। इन पदों के लिए जब कोई क्वालीफिकेशन नहीं है तो सिविल सर्विसेज में सी सैट बाध्यकारी क्यों? इसके जरिए जो अफसर चुनकर आते हैं वह तो सिर्फ सिस्टम को रन कराते हैं। सारे फैसले कानून के दायरे में रहकर लेते हैं। यदि बेहतर डिसीजन मेकर चुनने के लिए यह पैमाना बनाया गया है तो फिर यही प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति चयन के लिए भी लागू होना चाहिए।

रवि सिन्हा

एक्सपर्ट इकोनॉमिक्स