पुरानी हार का जख्म अभी ताजा है
आम आदमी पार्टी भले ही इस चुनाव को केजरीवाल बनाम जगदीश मुखी बता रही है. लेकिन बीजेपी ने अभी इस तरह की कोई घोषणा नहीं की है. बीजेपी से जुडे कुद लोगों को कहना है कि आप ने जगदीश मुखी का नाम इसलिये लिया है क्योंकि वह पीएम मोदी से सीधे मुकाबला नहीं करना चाहते हैं. केजरीवाल अभी भी वाराणसी वाले जख्म का दर्द भूल नहीं पाये हैं अब ऐसे में वह मोदी के खिलाफ सीधे मुकाबले से बचना चाहते हैं. आपको बताते चलें कि मोदी लोस चुनाव और उसके बाद कुछ राज्यों में हुये विस चुनावों में बीजेपी का मुख्य चेहरा रहे और इन चुनावों में बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई. हालांकि केजरीवाल ने भी अपना बचाव करते हुये कहा है कि यह राज्य का चुनाव है और मोदी देश के पीएम हैं.

मुखी के नाम के पीछे पर्सनल वजह
दिल्ली चुनाव में केजरीवाल बनाम जगदीश मुकाबले पर मुखी का कहना है कि केजरीवाल ने यह पर्सनल वजह से किया है. आप ने उनका नाम इसलिये लिया क्योंकि केजरीवाल खुद वेस्ट दिल्ली से लड़ना चाहते हैं. जनकपुरी से विधायक मुखी ने बताया कि केजरीवाल ने अपनी वर्तमान सीट नई दिल्ली में कोई काम नहीं किया था, इसलिये वह नई सीट की तलाश में हैं. गौरतलब है कि केजरीवाल ने पिछली बार शीला दीक्षित के विरोध के नाम पर नई दिल्ली में अपनी जगह बनाई थी, इस बार भी मुखी का नाम आगे कर केजरीवाल फिर वही दोहराना चाहते हैं.

बीजेपी के लिये चुनौती है सीएम कैंडिडेट
दिल्ली विधानसभा के लिये बीजेपी को सीएम कैंडिडेट चुनना काफी मुश्किलों भरा रहा है. 2013 में भी उसने अंतिम समय में विजय गोयल की जगह हर्षवर्धन को ला खड़ा किया था. वहीं इस बार भी बीजेपी के लिये सबसे बड़ी समस्या है कि उसके पास सीएम का कोई स्पष्ट कैंडिडेट नहीं है. वहीं दूसरी ओर हर्षवर्धन अब केंद्रीय मंत्री बन गये हैं. अब फिर से नये सीएम कैंडिडेट को चुनना होगा. केजरीवाल द्वारा जगदीश मुखी का नाम लेना आप की एक रणनीति भी हो सकती है. आप की कोशिश है कि बीजेपी की आंतरिक फूट को बढ़ावा दिया जाये.

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