चौराहे पर नहीं थी ट्रैफिक पुलिस

गोलवलकर को कार में लेकर घटाटे ने मोटर कार स्टार्ट कर दी। उस समय सड़क पर ट्रैफिक की समस्या नहीं थी सो कार रफ्तार से सड़क पर दौड़ने लगी। थोड़ी ही देर में गोल चौराहा आ गया। घूमने के लिए लंबा चक्कर लगाना पड़ता था लेकिन आज टैफिक पुलिस का कोई जवान ड्यूटी पर नहीं था सो घटाटे ने शॉर्टकट मार लिया। अब गाड़ी में वीआईपी हो तो नियम-कानून बौने से लगने लगते हैं। हालांकि घटाटे ने जल्दी के चक्कर में लंबा चक्कर छोड़ दिया था। दूसरा यह जरूर था कि ट्रैफिक पुलिस वाला ड्यूटी पर नहीं था।

गोलवलकर ने लगवाया दोबारा चक्कर

घटाटे की यह चेष्टा गोलवलकर को बुरी लगी। उन्होंने तुरंत घटाटे को टोका। घटाटे ने कहा कि गुरुजी जल्दी है और सड़क पर ट्रैफिक भी नहीं है और पुलिस वाला भी नहीं। क्या फर्क पड़ता है। रोज तो करते हैं न नियम-कानून का पालन। गोलवलकर ने कहा कि तो आज घंटे भर के लिए पृथ्वी सूरज की तरह तपने लगे तो... घटाटे ने कहा यह क्या कह रहे हैं गुरुजी? ऐसा कैसे संभव हो सकता है? प्रलय मच जाएगी, यहां सारा जीवन समाप्त हो जाएगा... ओह! मैं समझ गया। गोलवलकर ने कहा समझ गए तो तुरंत कार वापस लो और गोल चौराहे का चक्कर पूरा करो।

नियम-कानून तोड़ने सहूलियत के लिए

गोलवलकर ने कहा कि कायदे-कानून के पालने में एक सहूलियत होती है। कोई भी नियम-कानून तोड़ता है तो उससे जुड़े तमाम लोगों को समस्या होती है। इसलिए नियम कानून तोड़ने वाले कभी बहादुर नहीं कहला सकते। वे निकृष्टतम होते हैं। नेचर में सब नियम से बंधे हैं। चंद्रमा पृथ्वी का पृथ्वी सूर्य का चक्कर टाइम से लगाती है। यदि कोई भी अपने रास्ते से भटक जाए तो... प्रलय आ जाएगी... संसार में जीवन खतरे में पड़ जाएगा... इसलिए नियम का पालन जरूरी होता है।