28 नवंबर को न्यूयॉर्क के इंटरनेशनल क्रूड ऑइल का फ्यूचर प्राइज 10 परसेंट तक गिरा, जिससे मार्केट को जबरदस्त शॉक लगा है. चार साल में इंटरनेशनल क्रूड ऑइल के प्राइज फर्स्ट टाइम पर बैरल 70 अमेरिकी डॉलर से भी कम हुआ और लोएस्ट स्केल पर बैरल 67 अमेरिकी डॉलर से भी नीचे रजिस्टर हुआ. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि 27 नवंबर को ओपेक की 12 मेंबर कंट्रीज के रिप्रेजेंटेटिव ने वियना में 6 घंटे के डिस्कशन के बाद ऑइल प्रोडेक्शन में कटिंग की बात को रिजेक्ट कर दिया. ओपेक का मानना है कि उनके सभी मेंबर्स परडे 3 करोड़ बैरल ऑइल के प्रोडेक्शन के ऊपर वाली लिमिट के लेवल पर कायम रहेंगे. ऑइल प्रोडेक्शन कंट्रीज जैसे सउदी अरब, कतर, यूएई और कुवैत की विश है की वो अपनी प्रोडेक्शन लिमिल को कट नहीं करेंगे. उन्हें लगता है इससे ऑइल मार्केट रेट पर कोई एडवर्सरी इफेक्ट नहीं पड़ेगा क्योंकी मार्केट अपने पॉवर से स्टेबल होता है.

ओपेक का डिसीजन रूस, वेनेजुएला और नाईजीरिया जैसी कंट्रीज के फेवरेबल नहीं है क्योंकि ऑइल प्राइज के फॉल से उन पर बड़ा फाइनेशियल प्रेशर आ रहा है. इसके साथ ही इस डाउन फॉल का अमेरिकी शेल तेल ग्रोअर्स पर भी खराब इफेक्टट होगा. हालाकि रूसी प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन और रूस के पॉवर और इकॉनामी डिपार्टमेंटस ने ओपेक के डिसीजन को सरप्राइजिंग नहीं बताया है. पुतिन ने टोटल कंपनी के चीफ से मीटिंग में कहा ओपेक के डिसीजन से ऑइल प्राइज में गिरावट मार्केट का नैचुरल रिएक्शन है. उन्होंने ये भी कहा कि रूस सहित वर्ल्ड के कई ऑइल इंर्पोट करने वाले देश इसके प्राइज में स्टैबिलटी लाने के लिए सालिड स्टेप लेने में सक्सेजफुल नहीं हुए. बहरहाल इस बारे में रूस के एनर्जी मिनिस्टर नोवाक का बिलीव है कि डाउन फॉल का इफेक्ट जल्दी ही खत्म हो जाएगा और मार्केट अपने आप इंप्रूव कर लेगा.

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