5-5.5 परसेंट कीमतें बढ़ीं
देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इस महीने दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी हुई है. जिसके कारण पिछले हफ्ते घरेलू मार्केट में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 5-5.5 परसेंट की वृद्धि दर्ज की गई. लगातार दो बार हुई बढ़ोत्तरी से कंज्यूजर्स को पिछले 8-10 महीनों में मिली राहत अब बेअसर दिखने लगी है. वहीं बताया यह भी जा रहा कि, इससे मंहगाई बढ़ने के पूरे आसार हैं जोकि आर्थिक सुधारों के लिए खराब संकेत है.

भविष्य में कीमतें नहीं बढ़ेंगी
एक रिपोर्ट के अनुसार, पेट्रोल-डीजल में हो रही यह बढ़ोत्तरी ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगी. आने वाले समय में कच्चे तेल की कीमतें लगभग न के बराबर ही बढ़ेंगी. गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक, 2016 से 2018 के दौरान कच्चे तेल की कीमतें 65 डॉलर प्रति बैरल रहने की संभावना है. वहीं इसके बाद 2020 तक यह कीमत 55 डॉलर प्रति बैरल हो सकती है. इसके अलावा मिडिल ईस्ट और सऊदी अरब में इसके उत्पादन बढ़ने के आसार बताए जा रहे हैं. ऐसे में पेट्रोल-डीजल की कीमत घट सकती है.

रुपये का रोल अहम
इस पूरे मामले में रुपये की चाल काफी असर डाल सकती है. पिछले हफ्ते रुपया 20 सप्ताह के न्यूनतम स्तर प्रति डॉलर 64 के स्तर पर आ गया है. हालांकि सोमवार को रुपये की चाल में थोड़ा सुधार देखने को मिला, जिसके चलते यह प्रति 63.50 प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया. एक पोल के मुताबिक अगले 6 से 12 महीनों के दौरान रुपये के प्रति डॉलर 64 के स्तर के आसपास रहने का अनुमान है. इसका मतलब यह हुआ कि, आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट आ सकती है, जिससे आम लोगों को राहत की सांस मिलने की उम्मीद है.

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