2001 में दिल चाहता है से लेकर जिंदगी ना मिलेगी दोबारा 2011 तक, डायरेक्टर-प्रोड्यूसर-एक्टर-सिंगर-लिरिसिस्ट फरहान अख्तर ने लम्बी दूरी तय की है...लेकिन शायद इतनी लम्बी भी नहीं. कयास लगाए जा रहे हैं कि जिंदगी ना मिलेगी दोबारा उनकी बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म दिल चाहता है से काफी मिलती है. ऐसी ही कंट्रोवर्सीज और बहुत कुछ...उनके असिस्टेंट से लिंक-अप्स और अर्जुन रामपाल से ब्रेक-अप...यहां हैं काफी कुछ इंट्रेस्टिंग....

जिंदगी ना मिलेगी दोबारा हमें दिल चाहता  है की याद दिलाती है...

ये तो बढिय़ा बात है कि इससे लोगों को दिल चाहता है की याद आती है. सिर्फ तीन दोस्तों के अलावा स्टोरी में कोई सिमलैरिटी नहीं है. एक्चुअली मुझे यंग लोग, दोस्ती और जनरेशन की कहानियां सुनाने में मजा आता है. 

आपने न सिर्फ अपनी बहन जोया अख्तर की फिल्म प्रोड्यूस की बल्कि इसमें काम भी किया. क्या आप ऐसा किसी आउटसाइडर के लिए भी करेंगे?

ऐसा करने का सिर्फ एक रीजन होगा कि स्टोरी मुझे इंट्रेस्टिंग लगे. अगर मेरा कोई डायरेक्टर भले ही उसकी पुरानी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रही हों या नहीं, मेरे पास बढिय़ा स्क्रिप्ट लेकर आता है तो मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी पिछली फिल्म को लेकर टेंशन लूंगा.

आपको क्यों लगा कि जोया मेल बॉन्डिंग पर फिल्म बनाने के लिए बढिय़ा च्वॉइस हैं?

जोया और रीमा कग्ती ने जिंदगी ना मिलेगी दोबारा लिखी है. दो बंदियों ने मिलकर मेल बॉन्डिंग पर जबरदस्त स्टोरी लिखी है. मुझे पता था कि वह इसे अच्छी तरह हैंडल कर लेगी. वह हमेशा चाहती थी कि फिल्म में मैं इमरान का रोल प्ले करूं और मैं खुशी-खुशी तैयार हो गया.

फिल्म इतनी डिले क्यों हो गई?

हर मूवी की अपनी कुछ न कुछ प्रॉब्लम होती है और जोया के साथ लफड़ा है एडिटिंग डिपार्टमेंट का. फिल्म के आगे बढऩे की यही वजह है.

रितिक रोशन को डायरेक्ट करने से लेकर उनके को- स्टार बनने तक इक्वेशन कैसे चेंज हुई?

वह एक महान एक्टर हैं. जब मैंने कहो ना प्यार है का पहला कट देखा, मैंने उनसे कह दिया कि वह बहुत आगे जाने वाले हैं. उनको डायरेक्ट करने और उनके साथ काम करने में उतनी ही मजा आया. वह जबरदस्त प्रोफेशनल हैं और मौज-मस्ती के चक्कर में काम से डायवर्ट नहीं होते.

आप अभय के साथ पहली बार काम कर रहे हैं. उनके साथ घुलने-मिलने में कितना वक्त लगा?

घुलने-मिलने में मुझसे ज्यादा क्रेडिट अभय को जाता है. वह बहुत सोशल है. वह किसी से भी मिलता है तो अपने बारे में और दुनियादारी की बातें करना शुरू कर देता है. मुझे इसमें थोड़ा वक्त लगता है.

अर्जुन रामपाल ने डॉन 2 के लिए मना कर दिया क्योंकि वह रेम्यूनेरेशन से खुश नहीं थे...

जो सही भी है. हमारे बीच एक ओपेन और ऑनेस्ट रिलेशनशिप है. फिल्म के लिए हमारा एक फिक्स बजट था. फ्रैंकली बात करने के बाद हमने डिसाइड किया कि इस फिल्म में साथ काम न करना ही बेहतर होगा. हम दूसरी फिल्मों में साथ काम कर सकते हैं.

डॉन रीमेक थी, डॉन 2 के लिए कोई रिफरेंस प्वॉइन्ट नहीं है. क्या ये ज्यादा चैलेंजिंग रहा?

ये एक्साइटिंग और चैलेंजिंग था क्योंकि इसमें आप अपनी क्रिएटिविटी दिखा सकते हैं. फिल्म के दोबारा बनने से अमिताभ बच्चन कुछ खुश नहीं हैं...मुझे नहीं लगता कि फिल्म के रीमेक में कुछ बुराई है क्योंकि ये तो फिल्म के लिए प्यार जताना हुआ.

माना जा रहा था कि आप सुधीर मिश्रा के साथ देवदास का मॉडर्न वर्जन बना रहे हैं लेकिन लगता है कि मामला लटक गया...

फिल्म कुछ वजहों से होल्ड पर है, जिन्हें पब्लिकली ओपेन नहीं किया जा सकता. लेकिन इस प्रोजेक्ट को मैं प्रोड्यूस करूंगा और एक्टिंग भी करूंगा.

आप एक एक्सक्लूसिव डायरेक्टर और एक्टर बन गए हैं जो बहुत ही कम लोगों के हाथ लगते हैं...

ऐसा नहीं है. मैं किसी के साथ भी काम कर सकता हूं बशर्ते आपके पास बढिय़ा स्क्रिप्ट हो.

आपकी रीसेंट लिंक अप स्टोरी पर आपकी फैमिली कैसे रिएक्ट करती है?

खुशकिस्मती से मेरी फैमिली मुझे अच्छी तरह समझती है इसलिए मुझे किसी ने सवाल जवाब नहीं किया. स्टोरी के बारे में मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि लोगों की इमेजिनेशन का जवाब नहीं.