Migrate करना है genetic behaviour 
हाथी की सेफ्टी को लेकर स्टेट में भी कई योजनाएं चलाई जा रही है। उनकी संख्या में कमी होने के सवाल पर दलमा वाइल्ड लाइफ सैैंक्चुरी के डीएफओ कमलेश पांडेय कहते हैैं कि स्टेट का बॉर्डर एरिया वेस्ट बंगाल, छत्तीसगढ़, एमपी, ओडि़शा से सटा है। हाथी ऐसा जानवर है जो एक दिन में 50 से 100 किलोमीटर तक चला जाता है। इस कारण इनकी संख्या घटती-बढ़ती रहती है।

Eco system में हैं helpful
इको सिस्टम में संतुलन के लिए हाथियों का भी अहम योगदान है। ये पेड़ों की पूमिंग करते हैं। पुरानी और टूटी टहनियों को तोड़ते हैैं तो वहां नई पत्तियां निकलती हैं। जो लकडिय़ां जमीन पर गिरी रह जाती हैं, वह सडक़र फॉरेस्ट लैंड को फर्टाइल करती हैं, जिससे प्लांट्स को डेवलप होने में मदद मिलती है। इसके साथ ही लकडिय़ों के कारण दीमक भी बढ़ता है। दीमक के बढऩे का बेनिफिट भालू को मिलता है, क्योंकि यह उसका फेवरट फूड है।

बनेंगे watch towers
फॉरेस्ट एरिया में फेंसिंग व गड्ढे नहीं होने के कारण हाथी आसानी से बस्तियों में चले जाते हैैं। कई बार वे लोगों को जान से भी मार देते हैं। हाथी बस्ती में न जाएं, इसके लिए फॉरेस्ट एरिया के चारों ओर वाट टावर बनाए जाएंगे। इन टावर्स पर डेली बेसिस पर नियुक्ति होगी। हाथी के बस्ती या खेत में इंट्री होते ही लोगों को जानकारी मिल जाएगी, जिससे जान-माल का नुकसान कम होगा।

ताकि बढ़े हाथियों की संख्या
सेंट्रल स्पांसर्ड ‘प्रोजेक्ट हाथी योजना’ के तहत पूरी कंट्री में हाथियों की संख्या बढ़ाने और बचाने को लेकर हर तरह के उपाय किए जा रहे हैं। हाथियों की सेफ्टी व कंजर्वेशन के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा फंड भी सैंक्शन किया जाता है। इस स्कीम के तहत ह्यïूमन व एलिफेंट के बीच मुठभेड़ कम करने, हाथियों के रहने के नेचुरल प्लेस में सुधार, एलिफेंट कॉरिडोर में सुधार के साथ ही कई अवेयरनेस प्रोग्र्राम भी चलाए जाते हैं।

नहीं बनेगा elephant सफारी
सेफ्टी मेजर्स को देखते हुए फिलहाल एलिफेंट सफारी प्रोजेक्ट को टाल दिया गया है।
फॉरेस्ट ऑफिशियल्स के मुताबिक पहले एलिफेंट के साथ ही टूरिस्ट्स की सेफ्टी को भी देखना होगा।

बना centre of attraction
जहां तक टूरिस्ट की बात है तो दलमा शुरू से है अट्रैक्शन का एरिया रहा है। यह हर साल शिवरात्रि में लोग पूजा करने जाते हैैं। इसके साथ ही टूरिस्ट भी यहां विजिट के लिए आते हैैं। इसे लेकर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा यहां वॉकिंग पाथ भी डेवलप किया जा रहा है। इसके साथ ही इसे डीयर रिजर्व सेंटर के रूप में डेवलप करने की तैयारी चल रही है।

New initiative
ईस्ट सिंहभूम डिस्ट्रिक्ट में दलमा वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के लिए एक नया पोस्ट क्रिएट किया गया है। इसका नाम है ‘फिल्ड डाइरेक्टर एलिफेंट प्रोजेक्ट’। यह स्पेशली दलमा वाइल्ड लाइफ के लिए ही होगा और इसका मुख्य काम एलिफेंट कंजर्वेशन की दिशा में प्रयास करना होगा।
Country का इकलौता
सिंहभूम एलिफेंट रिजर्व कंट्री का वन ऑफ ओल्डेस्ट रिजर्व है। यहां का फ्लोरा एंड फोना भी काफी स्पेशल है। डाइवर्सिटी इसकी स्पेशेलिटी है। फॉरेस्ट एरिया ने लगातार हो रहे ह्यूमन इंटरफेयरेंस के कारण यहां का फॉरेस्ट कवर कम होता जा रहा है। माइनिंग भी एक रीजन है।

'माइग्र्रेट करना इनका नेचर है। फोडर की तलाश में ये इधर-उधर भटकते रहते हैेंं येे एक दिन में 100 किलोमीटर तक सफर तय कर लेते हैं। इनके कंजर्वेशन के लिए कोशिश जारी है.'
कमलेश पांडेय, डीएफओ, दलमा

Report by: goutam.ojha@inext.co.in