- डिजिटल इंडिया ड्रीम को ठेंगा दिखा रही स्टेट की यूनिवर्सिटीज

- उत्तराखंड स्टेट के कई यूनिवर्सिटीज में नहीं डिजिटल सुविधाएं

- डिजिटल इंडिया प्लान के तहत यूजीसी ने मांगी यूनिवर्सिटीज से डिटेल्स

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DEHRADUN : मोदी सरकार ने भले ही डिजिटल इंडिया का सपना देखा हो, भले ही एमएचआरडी द्वारा इस दिशा में एजुकेशन सिस्टम को डिजिटल किए जाने के सकारात्मक प्रयास किए जा रहे हों। लेकिन स्टेट की यूनिवर्सिटीज को इससे कोई सरोकार नहीं है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां सरकार टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए संस्थानों को हाईटेक किए जाने पर जोर दे रही है वहीं स्टेट की गवर्नमेंट यूनिवर्सिटीज इससे मीलों दूर हैं।

यूजीसी ने मांगा संस्थानों से ब्यौरा

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने देशभर की यूनिवर्सिटी से डिजिटल इंडिया प्लान के तहत संस्थानों से टेक्नोलॉजी के उपयोग और मौजूदा सुविधाओं का ब्यौरा मांगा है। ब्यौरे के फॉर्मेट और स्टेट यूनिवर्सिटीज के हालात पर गौर करें तो उत्तराखंड की सरकारी यूनिवर्सिटी फॉर्मेट का पहला पायदान भी पार नहीं कर पाएंगी। इतना ही नहीं इन यूनिवर्सिटीज में सुविधाओं का तो अभाव है ही साथ ही सूचनाओं का भी भारी अभाव है। स्टेट की अधिकतर यूनिवर्सिटीज ने अपनी डिटेल्स यूजीसी को भेजना तक भी गवारा नहीं समझा। कमीशन द्वारा को लेकर लास्ट ईयर ख्9 दिसंबर को इस लेकर जानकारी मांगी गई थी, लेकिन अब तक जानकारी न मिलने के कारण अब जानकारी न देने वाली यूनिवर्सिटीज के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा बाकायदा लिस्ट जारी की गई है। जिसमें स्टेट की न सिर्फ गवर्नमेंट बल्कि सुविधा संपन्न प्राइवेट यूनिवर्सिटीज तक ने गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाते हुए अब तक ब्यौरा यूजीसी को नहीं भेजा है।

प्राइवेट यूनिवर्सिटीज भी शामिल

खुद को बेहतर सुविधाओं से लैस और बेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का दावा करने वाली प्राइवेट यूनिवर्सिटीज भी इस लिस्ट में शामिल हैं। एडमिशन टाइम और खुद को बेहतर साबित करने की होड़ में प्राइवेट यूनिवर्सिटी अक्सर अपने नाम और सुविधाओं का प्रचार जमकर करते दिखाई देती हैं। लेकिन अगर डिजिटल इंडिया प्लान से इस जोड़कर देखा जाए तो अब तक स्टेट की करीब आधा दर्जन प्राइवेट यूनिवर्सिटीज ने टेक्नोलॉजी के यूज और स्टूडेंट्स को दी जानी वाली इंटरनेट संबंधी सुविधाओं का ब्यौरा यूजीसी को नहीं भेजा है।

आईआईटी रुड़की भी नहीं दे पाई ब्यौरा

डिजिटल इंडिया इनिशिएटिव के तहत यूजीसी द्वारा मांगे गए ब्यौरे देने में स्टेट की गवर्नमेंट और प्राइवेट यूनिवर्सिटी तो पिछड़ी थी ही, लेकिन इसमें देश को बेहतरीन इंजीनियर देने और देश के सबसे बेहतर संस्थानों में शुमार होने वाले आईआईटी रुड़की तक ने टेक्नोलॉजी रिलेटेड इफॉर्मेशन यूजीसी को नहीं भेजी है।

टेक्निकल यूनिवर्सिटी में टेक्नोलॉजी ही नहीं

स्टेट की एक मात्र टेक्निकल यूनिवर्सिटी उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी पर गौर करें तो यहां तो डिजिटल इंडिया मुहीम की जमकर ठेंगा दिखाया जा रहा है। करीब दस सालों में यूनिवर्सिटी में न तो कैंपस पूरी तरह सुविधा संपन्न हो पाया है और न ही मैन पावर मिल पाया है। ऑप्टिकल फाइबर तो दूर की बात है यूनिवर्सिटी में वाई-फाई तक नहीं है। यूनिवर्सिटी अब भी लैन के सहारे चल रही हैं। यह सुविधा भी एडमिन ब्लॉक तक ही सीमित है। इसके अलावा श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी का आलम तो और अजब है। यहां भी हाईटेक फेसिलिटीज के नाम पर कुछ नहीं है।

सेंट्रल यूनिवर्सिटी में नहीं सुविधा

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी की बात करें तो यहां तो टेक्नोलॉजी के यूज के नाम पर डिजिटल इंडिया का मजाक बनाया जा रहा है। इसका अंदाजा पिछले दिनों यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर द्वारा यूनिवर्सिटी को वाई-फाई सुविधा से लैस करने के दावे से ही लगाया जा सकता है। लास्ट ईयर दिसंबर में पदभार संभालने वाले प्रो। जेएल कौल के मुताबिक यूनिवर्सिटी के टेक्नोलॉजी फ्रेंडली और सुविधाओं से लैस करने की मुहिम की शुरुआत की जाएगी। ऐसे में यह साफ है कि अब तक यहां व्यवस्थाएं पुराने ढर्रे पर ही चलाई जा रही थी।

यह हैं ब्यौरा न देने वाली यूनिवर्सिटी

- आईआईटी रुड़की

- जीबी पंत यूनिवर्सिटी

- एचएनबी गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी

- दून यूनिवर्सिटी

- कुमाऊं यूनिवर्सिटी

- उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी

- उत्तराखंड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी

- एनआईटी पौड़ी

- उत्तराखंड यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री

- गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी

- एचआईएचटी यूनिवर्सिटी

- यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्ट्डीज

- उत्तरांचल यूनिवर्सिटी

- ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी

- ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी

- हिमगिरी जी यूनिवर्सिटी

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'हॉस्टल, फैकल्टी ऑफिस, लाइबे्ररी, एकेडमिक और एडमिन ब्लॉक आदि सहित यूनिवर्सिटी का करीब भ्0 परसेंट भाग वाई-फाई से लैस है। इसके अलावा बाकी एरिया वाई-फाई से लैस करने के लिए टेंडर दिए जा चुके हैं। यूजीसी द्वारा मांगी गई जानकारी के लिए आईटी सेक्शन को निर्देश दिए गए थे। जानकारी जल्द भेजी जाएगी।

- प्रो। वीके जैन, वाइस चांसलर, दून यूनिवर्सिटी

यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग न होने के कारण अब तक टेंप्रेरी व्यवस्था थी। एक महीने पहले ही यूनिवर्सिटी में लैन सिस्टम लगाया गया है। वाई-फाई सिस्टम पर अभी काम नहीं किया गया है, लेकिन जल्द ही यूनिवर्सिटी को वाई-फाई से लैस किया जाएगा।

- डा। एसके गोयल, डायरेक्टर,

फैकल्टी ऑफ टेक्नोलॉजी, यूटीयू

यूनिवर्सिटी पूरी तरह से अस्तित्व पर आने का काम कर रही है। अभी इंटरनेट संबंधी कार्य लैन बेस्ड सिस्टम्स पर किए जाते हैं। वाई-फाई या ऑप्टिक फाइबर पर काम अभी करना बाकी है।

- प्रो। यूएस रावत, वाइस चांसलर, श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी

हमारा प्रयास है कि सितंबर तक यूनिवर्सिटी को पूरी तरह से वाई-फाई कर दिया जाएगा। यूनिवर्सिटी की व्यवस्थाओं को सुधारा जा रहा है। यूनिवर्सिटी में इंटरनेट संबंधी सुविधाएं की जा रही हैं।

- प्रो। जवाहर लाल कौल, वाइस चांसलर,

एचएनबी सेंट्रल यूनिवर्सिटी।