डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को बढ़ावा देना है प्रॉजेक्ट का उद्देश्य

4000 कस्बों और गांवों को वाई-फाई हॉटस्पॉट की मदद से जोड़ने का मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को बढ़ावा देना है। इससे ग्रामीण भारत के उन इलाकों को फायदा होगा जो अभी तक टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर के दायरे में नहीं आए थे। रेलटेल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर आर के बहुगुणा ने ईटी को बताया हमने 400 करोड़ रुपये की लागत से रूरल वाई-फाई लगाने का प्रस्ताव रखा है। अब हम टेलिकॉम डिपार्टमेंट के साथ बातचीत कर रहे हैं।

4,000 रूरल रेलवे स्टेशन हाई स्पीड इंटरनेट जोन में बदला जाएगा

रेलटेल के इस प्रॉजेक्ट के तहत कम से कम 4,000 रूरल रेलवे स्टेशनों को हाई स्पीड इंटरनेट जोन में बदला जाएगा जिससे लोगों तक इंटरनेट की सुविधा पहुंचेगी। रेलटेल अपने इस प्रस्ताव के लिए यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन USO के जरिए फंड जुटाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए रेलटेल ने टेलिकॉम डिपार्टमेंट से मंजूरी मांगी है। ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में किफायती कीमत पर कम्युनिकेशन और टेक्नोलॉजी पहुंचाने के लिए यह फंड 2003 में बनाया गया था।

देश की 70 फीसदी आबादी कवर करती है रेलटेल

बहुगुणा ने बताया कि इस प्रस्ताव का मकसद रेलवे स्टेशनों के 8 से 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों को कवर करना है। रेलवे स्टेशन के इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर कॉमन सर्विस सेंटर CSC बनाया जा सकता है। रेलटेल ऑप्टिक फाइबर केबल OFC नेटवर्क के जरिए देश की करीब 70 फीसदी आबादी को कवर करती है। यह देश के बड़े कस्बों और ग्रामीण इलाकों को जोड़ती है। डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के लिए ग्रामीण इलाके काफी अहम हैं। रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई कनेक्टिविटी से ग्रामीण आबादी को रोजगार, बैंकिंग, एजुकेशन और हेल्थकेयर जैसी सर्विसेज मिल सकती हैं।

ग्रामीण इलाकों में वाई-फाई नेटवर्क बिछाया जाएगा

बहुगुणा का मानना है कि रेलवे स्टेशनों के किनारे बहुत तेजी से ग्रामीण इलाकों में वाई-फाई नेटवर्क बिछाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि वहां पहले से ही जरूरी वैंडविद्थ और बिजली जैसा बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। खाली पड़ी जगह को इंटरनेट कियॉस्क में बांटा जा सकता है। यह बिजनस मॉडल सही है। आसपास के रेलवे स्टेशनों के इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करते हुए ग्राम पंचायत या ब्लॉक आधारित मॉडल तैयार किया जा सकता है। रेलटेल के पास रेलवे ट्रैक के बराबर में 45,000 किलोमीटर तक ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क है। इसमें बड़े शहरों के 10,000 किलोमीटर का रूट भी शामिल है।

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