पार्टी प्रमुख सोनिया गाँधी ने 2007 में राहुल गाँधी को युवा मामलों को देखने वाला पार्टी महासचिव नियुक्त किया था और उस क़दम के ज़रिए ये संदेश स्पष्ट रूप से गया था कि राहुल गाँधी ही पार्टी के युवराज हैं।

अमरीकी दूतावास की ओर से भेजे गए एक गुप्त संदेश के मुताबिक़ उस समय मीडिया से दूरी बनाए रखने वाले राहुल गाँधी की राजनीति के बारे में लोगों को बहुत कुछ पता नहीं था। ये संदेश भारत में अमरीकी राजदूत डेविड मलफ़र्ड ने भेजा था और उस पर उनके हस्ताक्षर भी थे।

विकीलीक्स वेबसाइट की ओर से जारी हुए केबल के अनुसार, "राहुल एक एम्प्टी सूट (हैंगर में टँगे सूट की तरह जिसकी कोई उपयोगिता न हो) की तरह हैं और जो लोग उन्हें अहमियत नहीं देते, राहुल को उन्हें ग़लत साबित करना होगा."

'समझ दिखानी होगी'

केबल के अनुसार, "ऐसा करने के लिए उन्हें प्रतिबद्धता, गहरी समझ और व्यावहारिक ज्ञान दिखाना होगा। उन्हें उस मैले और बेदर्द काम में अपने हाथ गंदे करने होंगे जिसे भारतीय राजनीति कहा जाता है."

राहुल गाँधी अब भी पार्टी महासचिव पद पर हैं और माना जाता है कि 2009 में कांग्रेस पार्टी की जीत के बाद उन्होंने कैबिनेट मंत्री का पद ठुकरा दिया था।

पिछले महीने जब उनकी माँ सोनिया गाँधी इलाज के लिए विदेश गईं तो जिन चार लोगों को पार्टी चलाने की ज़िम्मेदारी दी गई थी उनमें से एक राहुल गाँधी भी थे।

यूँ तो नेहरू-गाँधी परिवार के नेताओं को कांग्रेस में अपने आप ही नेता मानने की परंपरा सी है मगर अमरीकी केबल में चेतावनी दी गई थी कि सिर्फ़ राहुल का पारिवारिक नाम गाँधी ही उनका राजनीतिक भविष्य नहीं सँवार पाएगा।

उसके अनुसार, "सिर्फ़ पारिवारिक विरासत के आधार पर उन्हें शीर्ष पद मिल तो जाएगा मगर भारत में दीर्घकालिक सफल राजनीतिक भविष्य के लिए इतना भर काफ़ी नहीं होगा."

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