रिटायर्ड कर्नल के घर देर रात तक छापेमारी

बेजुबानों की खाल, कई सवाल

- डिपार्टमेंट आफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस और वन विभाग ने की कार्रवाई

- किसानों के बुलावे पर सैकड़ों नीलगाय मार चुका कर्नल का बेटा

मेरठ: मेरठ के सिविल लाइंस स्थित एक रिटायर्ड कर्नल की कोठी से वन्य जीव तस्करी की खोजबीन के लिए दिल्ली की डिपार्टमेंट सिविल रेवेन्यू इंटलीजेंस और वन विभाग मेरठ की संयुक्त छापेमारी ने छापेमारी की। शनिवार प्रात: 10 बजे से संयुक्त छापेमारी खबर लिखे जाने (रात्रि 10 बजे) तक चलती रही। प्रारंभिक छानबीन में हिरन और तेंदुए की खाल के साथ ही नीलगाय का गोश्त भी बरामद होने की जानकारी मिली है। शनिवार को 12 घंटे से ज्यादा लंबी छापेमारी में अन्य राज्यों से वन्य जीव तस्करी के तार जुड़ते नजर आ रहे हैं।

मिलिट्री से रिटायर्ड है

शनिवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे डीआरआई की टीम ने वन विभाग के साथ सिविल लाइन्स क्षेत्र में महिला थाने के सामने स्थित रिटायर्ड कर्नल देवेंद्र कुमार विश्नोई के आवास कोठी न। 36/4 में छापा मारा। छापेमारी की सूचना पर कालोनी के लोग जमा होने लगे, किंतु जांच टीम ने गेट बंद करवा दिया। स्थानीय पुलिस के साथ पड़ताल करने गई टीम को रिटायर्ड कर्नल के घर में हिरन की दर्जनों खालें मिलीं। जांच टीम को बड़े रैकेट का अंदेशा हुआ तो उन्होंने तलाशी तेज कर दी। इसी बीच तेंदुओं की भी खाल मिलने से जांच टीम हक्की-बक्की रह गई। दोपहर दो बजे तक विभागीय सूत्रों ने साफ किया कि कोठी में प्रतिबंधित जीवों की खाल भरी हुई थी। जांच के दौरान टीम को मीट मिला, जिस पर कर्नल के परिवार से गहन पूछताछ की गई। उन्होंने इसे नीलगाय का मीट बताया, और माना कि इसका शिकार बिहार में किया गया था। डिपार्टमेंट आफ रेवेन्यू इंटलीजेंस को दिल्ली और मेरठ से इनपुट मिले थे, जिसके आधार पर कार्रवाई हुई। उन्हें वन्य जीवों की खाल के एक्सपोर्ट की भी सूचना मिली थी।

बेटा नेशनल शूटर

देवेंद्र कुमार रिटायर्ड कर्नल हैं। बताया गया है कि उनका बेटा प्रशांत बिश्नोई राष्ट्रीय स्तर पर स्कीट, बिग बोर एवं .22 कटेगरी में देश के लिए खेल चुका है। हालांकि वह दिल्ली की टीम से शूटिंग में भाग लेते रहे हैं, किंतु हाल के दिनों में यूपी का दामन थाम लिया। सूत्रों के मुताबिक गत दिनों प्रशांत ने मध्य प्रदेश में वहां के लोगों द्वारा बुलाए जाने पर बड़े पैमाने पर नीलगाय का शिकार किया था। उन्हें प्रति नीलगाय पर निर्धारित रकम भी मिली थी। यह खबर उन दिनों इलेक्ट्रानिक एवं प्रिंट मीडिया में सुर्खियों में रही। जांच टीम को आशंका है कि उन्होंने शूटिंग से ज्यादा पशु तस्करी से पैसे कमाए, और कई राज्यों में किसानों के बुलाए जाने पर वन्य जीवों को मारा। पिछले कई वर्षो में उनकी संपत्ति में बेतहाशा बढ़ोत्तरी को भी इस छापेमारी के पीछे बड़ी वजह माना जा रहा है।

हस्तिनापुर-उत्तराखंड में रैकेट

वन विभाग तमाम बिंदुओं पर जांच पड़ताल कर रहा है। हिरन एवं तेंदुए संकटग्रस्त प्रजाति के वन्य जीव हैं, जिनकी बड़ी तादात में खाल बरामद होने से शक की सुई कई तरफ इशारा कर रही है। हस्तिनापुर सेंचुरी से लेकर उत्तराखंड तक हिरनों एवं तेंदुओं के शिकार के तमाम रैकेट अब भी सक्रिय हैं, जिस पर वन विभाग पड़ताल कर रही है। विभाग ने कोठी में पुरानी खालों को लेकर लाइसेंस की जांच की, जिसमें बड़ी गड़बडि़यां मिली हैं। जिनके घरों में वन्य जीवों की खालें सजी हुई हैं, उन्हें वन विभाग से लाइसेंस लेना जरूरी है। विभाग ने 2002 तक लाइसेंस जारी किया था। वर्ष 2008 में विभाग ने लाइसेंस बनवाने का एक और मौका दिया था। देर रात तक चली जांच पड़ताल को लेकर सस्पेंस बना रहा। देर रात एक छोटा हाथी कोठी के अंदर भेजा गया। माना जा रहा है कि तस्करी की बरामद खालों को इसमें भरकर फिर थाने भेजा जाएगा। वन विभाग के अधिकारी भी जांच टीम के साथ डटे रहे।