एमडीए वीसी ने गूगल अर्थ से निकलवाई हर 3-3 माह की जोनवार और सबजोन वार इमेज

अवैध निर्माण पर संबंधित क्षेत्र के जेई और एमडीए अधिकारियों की अब तय होगी जिम्मेदारी

Meerut. अवैध निर्माणों पर कार्रवाई को लेकर जिम्मेदार अधिकारी अब बच नहीं पाएंगे. एमडीए उपाध्यक्ष राजेश कुमार पाण्डेय ने दिसंबर और मार्च माह की सेटेलाइट इमेज जोन और सबजोनवार निकलवा ली हैं. अवैध निर्माण पर अब सबकी जबावदेही सुनिश्चित होगी.

अवैध निर्माणों की होगी धरपकड़

एमडीए उपाध्यक्ष राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि हर 3 माह में शासन के निर्देश पर जोनवार सेटेलाइट इमेज निकाली जा रही है. 3 माह पूर्व की इमेज और मौजूदा इमेज की एनालिसिस के बाद अवैध निर्माणों की धरपकड़ होगी. चिह्नित अवैध निर्माणों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ-साथ संबंधित क्षेत्र के प्रवर्तन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.

तय होगी जबावदेही

एमडीए वीसी ने बताया कि प्राधिकरण के प्रवर्तन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों के संरक्षण में होने वाले अवैध निर्माण पर सर्वाधिक नुकसान अवैध निर्माणकर्ता का होता है. प्राधिकरण कार्रवाई के दौरान अवैध निर्माणों को सील करता और कम्पाउंडिंग न होने की स्थिति में ध्वस्त भी करता है. किंतु जिसके संरक्षण में (अधिकारी/अवर अभियंता) में अवैध निर्माण हुआ उसका कोई नुकसान नहीं होता और न ही जबावदेही तय हो पाती है. ऐसे में सेटेलाइट इमेज सिस्टम प्राधिकरण अधिकारियों/अवर अभियंताओं की जिम्मेदारी तय करेगा.

दिसंबर-मार्च की सेटेलाइट इमेज निकाली

हर 3 माह में जोनवार और सबजोनवार तैनात अवर अभियंताओं के तबादले के अलावा प्राधिकरण उपाध्यक्ष के निर्देश पर दिसंबर और मार्च माह के सेटेलाइट इमेज निकलवा लिए गए हैं. इन इमेजेस पर संबंधित क्षेत्र के अवर अभियंताओं के साइन भी करा लिए गए हैं. इमेज की एनालिसिस चल रही है. इमेज के आधार पर हुए अवैध निर्माण की धरपकड़ के बाद संबंधित जोन के जोनल अधिकारी, नोडल अधिकारी और अवर अभियंता के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित होगी.

क्या है 'सेटेलाइट इमेज सिस्टम'

शासन के आदेश पर जोन और सबजोन में जोनल अधिकारी, नोडल अधिकारी और अवर अभियंता की तैनाती के साथ ही गूगल अर्थ से एक रीयल इमेज का प्रिंट निकाला जाता है. विकास प्राधिकरण जोन स्थानांतरण के दौरान पूर्व में तैनात अधिकारी/अवर अभियंता से इस इमेज के प्रिंट पर साइन करा लिए जाएंगे और नई तैनाती पर आए अधिकारी/अवर अभियंता को इमेज के प्रिंट सौंप दिए जाएंगे. साथ ही एक रिपोर्ट होगी जिसमें इमेज की एनालिसिस शामिल होगी. एनालिसिस में स्पष्ट होगा कि इस क्षेत्र/जोन में कहां पर अवैध निर्माण हुआ है, और इसका जिम्मेदार कौन है? हर 3 माह बाद यही प्रक्रिया रिपीट होगी.