अगर यह मान भी लें कि यूपीए सरकार आगे आने वाली है या संभावित है तो सबसे पहले राहुल गाँधी का नाम आएगा. 17 जनवरी को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की बैठक में संभवतः राहुल गाँधी के नाम की घोषणा भी हो जाए.

अगर राहुल गाँधी का नाम घोषित नहीं हुआ, तो किसका नाम सामने आएगा? यह सवाल बहुत सहज इसलिए भी है क्योंकि राहुल गाँधी ने अभी तक कभी भी नहीं कहा है कि वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं.

इससे पहले राहुल गाँधी से जब भी सरकार में आने का आग्रह किया गया, उन्होंने मना ही किया है. ऐसे में संभवतः अंतिम क्षण में राहुल गाँधी प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के लिए मना भी कर दें.

ऐसे में कांग्रेस के नेताओं में से एक या दो के नाम ज़ेहन में आते हैं. सबसे पहला नाम है वित्त मंत्री पी चिदंबरम और दूसरा नाम है एके एंटनी. दोनों ही नेता दक्षिण भारत से हैं. एक तमिलनाडु के हैं, तो दूसरे केरल के. हाल ही में चिदंबरम ने ज़ोर देकर कहा था कि कांग्रेस को अब पीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा करनी चाहिए. हालाँकि वे यह भी कहते रहे हैं कि मुझे अपनी सीमाएं मालूम हैं.

मगर भारत का प्रधानमंत्री आमतौर पर हिंदीभाषी ही होता है. सिर्फ़ एक बार ही ग़ैर हिंदीभाषी प्रधानमंत्री हुए हैं. कांग्रेस पार्टी की इस वक़्त सबसे बड़ी कमज़ोरी यही है कि पार्टी के पास हिंदी इलाक़ों से कोई भी बड़ा राजनेता नहीं है.

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उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान या अन्य किसी भी हिंदीभाषी प्रदेश में कांग्रेस के पास कोई प्रभावशाली चेहरा नहीं है. यह कांग्रेस की सबसे बड़ी समस्या है.

एक और बात यह भी है कि जो भी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होगा, उसके लिए सोनिया गाँधी का बेहद क़रीबी होना भी ज़रूरी है. इन्हीं कारणों से राहुल गाँधी का नाम सबसे पहले आता है.

प्रियंका गाँधी

किसी भी परिस्थिति में अगर कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र में सरकार बनाने की स्थिति में आई, तो राहुल गाँधी पर प्रधानमंत्री बनने का दबाव होगा.

लेकिन क्या कांग्रेस के पास प्रियंका गाँधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने का विकल्प है? ऐसी संभावना कम ही नज़र आती है.

कांग्रेस ने कभी भी प्रियंका गाँधी को मुख्यधारा की राजनीति में लाने की कोशिश नहीं की है. अमेठी और रायबरेली के सिवा वे देश में कहीं भी प्रचार करने नहीं गई हैं.

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हाल ही में बनारस में प्रियंका को आगे लाने का होर्डिंग लगा था. पार्टी ने होर्डिंग लगाने वालों को ही पार्टी से निलंबित कर दिया.

प्रियंका गाँधी को आगे न लाने का कांग्रेस के पास कोई कारण होगा, अन्यथा उनके पास देश के प्रधानमंत्री होने के तमाम गुण हैं. वे इंदिरा सी दिखती हैं, जनसंपर्क बहुत अच्छा है. कांग्रेस पार्टी को यह सोचना होगा कि प्रियंका गाँधी को क्यों न आगे लाया जाए. एक महिला रूप में वे मज़बूत प्रत्याशी हो सकती हैं.

आक्रामकता

कांग्रेस की सबसे बड़ी दिक़्क़त यह है कि अब उसके पास कोई विकल्प नहीं है. कांग्रेस को यह चिंतन करना होगा कि आगामी चुनावों में उसकी सबसे बड़ी ताक़त क्या हो सकती है.

पार्टी राहुल गाँधी के नाम को लेकर बहुत आगे बढ़ चुकी है. हो सकता है कि वे प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के लिए मना न करें.

नरेंद्र मोदी की आक्रामकता और शैली का मुक़ाबले करने के लिए कोई तेज़-तर्रार नेता अभी कांग्रेस के पास नहीं है. इंदिरा गाँधी की शैली ज़रूर तेज़ थी, वे कल्पनाशील थीं और नए मुहावरे गढ़ लेती थीं पर अभी कांग्रेस के पास वो तेवर और कल्पनाशीलता नहीं है.

ऐसे में राहुल गाँधी को ही मोदी का मुकाबला करने के लिए तैयार होना होगा.

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