बाघ के बिहेवियर की मिली जानकारी

वन विभाग और डब्लूटीआई की टीम पिछले कई दिन से बाघ को पकड़ने की कोशिश कर रही है। वे मिश्रिख से बाघ का पीछा कर रहे हैं। अब वे बाघ के बिहेवियर के बारे में काफी कुछ जान गए है। वे अभी तक बाघ को पकड़ने के लिए पुराना तरीका यूज कर रहे थे। जिसके तहत वे हाथी में बैठकर कॉम्बिंग, कैमरे और केज (पिंजड़ा) का यूज कर रहे थे, लेकिन उनकी हर चाल फेल हो गई और बाघ वहां से निकलकर गंगा बैराज पहुंच गया। अब वन विभाग और डब्लूटीआई की टीम बाघ को पकड़ने के लिए प्लान 'बी' का यूज कर रही है।

जिसमें टीम न तो कॉम्बिंग में हाथी का यूज कर रही है और न ही पिंजड़े का। डॉ। सौरभ सिंघई ने बताया कि अभी तक के आंकलन के मुताबिक बाघ हाथी से डर गया है। हाथी के जरिए कॉम्बिंग करने पर बाघ जगह बदल देता है। इसलिए वो लगातार जगह बदल रहा है। साथ ही बाघ पिजड़े के जाल को भी समझ गया है। इसलिए उन्होंने प्लान 'बी' के तहत ग्रुप बनाए हैं। जिसके तहत एक टीम पैदल और दूसरी टीम गाडि़यों से कॉम्बिंग करेगी। इस बार हाथी का यूज बाघ को वापस जाने से रोकने में किया जाएगा। उन्होंने दोनों हाथी को उस रास्ते में खड़ा करवाया है। जिस रास्ते से बाघ गंगा बैराज आया था।

हेलीकाप्टर का भी यूज कर सकते हैं

गंगा बैराज में जहां पर बाघ की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। वहां पर भी ग्रामीण रहते हैं। इसके अलावा गंगा के किनारे भी कई गांव बसे हैं। ऐसे में यहां पर ज्यादा खतरा है। जिसे देखते हुए वन विभाग और डब्लूटीआई की टीम बाघ को पकड़ने के लिए हेलीकाप्टर का भी यूज कर सकती हैं। एक ऑफिसर के मुताबिक उन्होंने हेलीकाप्टर के लिए शासन को लेटर भेजा है। उम्मीद है कि उन्हें अगले एक से दो दिन में हेलीकाप्टर मिल जाएगा। जिससे वो बाघ को आसानी से ट्रैक कर लेंगे।

सबसे अनुकूल जगह है गंगा बैराज

वन विभाग और डब्लूटीआई की टीम के मुताबिक गंगा बैराज में बाघ को आसानी से पकड़ा जा सकता है। बशर्ते कोई गलती न हो। अभी तक बाघ घने जंगलों में था। लेकिन गंगा बैराज में ये स्थिति नहीं है। यहां पर पानी, अमरूद के पेड़ और लम्बी घास के साथ मैदान भी है। जिससे ये बाघ को पकड़ने के लिए सबसे अनुकूल जगह है। साथ ही बाघ भी इसी तरह के एरिया को पसंद करता है। यहां पर नील गाय और जंगली सुअर भी हैं। इसलिए वो शिकार के लिए एरिये के बाहर भी नहीं जाएगा। जिससे वे बाघ को आसानी से ट्रेस कर सकते हैं।

इस बार गलती भारी पड़ सकती है.

डब्लूटीआई के ऑफिसर के मुताबिक इस बार टीम ने बाघ को पकड़ने की पुख्ता तैयारी की है। अगर इस बार बाघ उनके हाथ से निकल जाएगा, तो वो गंगा बैराज के किनारे बसे गांव या गंगा पार करके शहर पहुंच जाएगा। जिससे जानमाल का नुकसान हो सकता है। साथ ही वहां पर बाघ आदमखोर हो सकता है। इसलिए वे फूंक-फूंक कर कदम रख रहे है।

तालमेल में कमी से आ रही है प्रॉब्लम

अभी तक बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की लखनऊ और उन्नाव की टीम लगी थीं, लेकिन अब बाघ कानपुर की सीमा में आ गया है, तो यहां की वन विभाग की टीम भी बाघ को पकड़ने में जुट गई हैं। बाघ लधुवाखेड़ा में गंगा पार के जंगल में है। वहां पर जाने के लिए तीन रास्ते हैं। जिसमें दो रास्ते कानपुर में आते हैं, जबकि एक रास्ता उन्नाव में आता है। लखनऊ से आई टीम ने उस एरिया को सील करने के लिए कानपुर की वन विभाग को जिम्मेदारी दी है। आरोप है कि अभी तक वन विभाग की टीम ने दोनों रास्तों को सील नहीं किया है। जिससे सील एरिया में ग्रामीणों की आवाजाही लगातार हो रही है। वहीं, उन्नाव वाले रास्ते को लखनऊ की टीम ने सील कर दिया।

वहां पर आधा दर्जन से ज्यादा जवानों की ड्यूटी लगाई गई है। साथ ही लखनऊ, उन्नाव और कानपुर की टीम में समन्वय नहीं होने से काफी दिक्कते आ रही हैं। लखनऊ की टीम बाघ को गंगा बैराज पर ही रोकना चाहती है। इसलिए वे हाथी के जरिए कॉम्बिंग नहीं कर रहे हैं। वहीं, कानपुर की टीम की अनदेखी के चलते शाम को गंगा बैराज में किसी ने बाघ को डराने के लिए जंगल के दोनों आग लगा दी। डब्लूटीआई के ऑफिसर डॉ। सौरभ के मुताबिक आग को देखकर बाघ यहां से भागने की कोशिश करेगा, जो उनके लिए और इलाकाई लोगों के लिए ठीक नहीं है। वो भागकर आबादी वाले इलाके में भी पहुंच सकता है।

आपकी एक गलती बाघ को बना सकती है आदमखोर

तीन सौ किमी। का सफर कर गंगा बैराज पहुंचे बाघ ने अभी तक किसी इन्सान को शिकार नहीं बनाया है, लेकिन आपकी एक गलती उसको आदमखोर बना सकती है। डॉ। सौरभ के मुताबिक गंगा बैराज में जहां बाघ है। वहां पर अभी भी लोग चहलकदमी कर रहे है। वैसे तो बाघ उन पर हमला नहीं करेगा, लेकिन अगर उसको कोई परेशान करेगा तो वो हमला करने से नहीं चूकेगा। साथ ही जंगल में आग लगाने से वो आबादी वाले एरिया में घुस सकता है। इसलिए कोई भी ग्रामीण बाघ के पकड़े जाने तक उस एरिया में न जाए और न ही उसको डराने की कोशिश करे। शोर मचाते हुए जंगल में जाने पर भी वो हमला कर सकता है। इसलिए सभी अलर्ट रहे और कोई गलती न करें।

जानवरों में भी है बाघ की दहशत

गंगा बैराज में बाघ की दहशत से ग्रामीण तो घबराए हुए हैं। साथ ही जंगली जानवर में भी डर गए हैं। लधुवाखेड़ा केकल्लू के मुताबिक बाघ ने सोमवार की रात को बछड़े का शिकार किया था। उसकी दहाड़ से कटरी में दहशत फैल गई है। साथ ही नील गाय, जंगली सुअर समेत अन्य जानवर भी जंगल से बाहर निकल आए। वे गंगा पार कर गांव में घुसने लगे है। ग्रामीण पालतू जानवरों को गंगा पार कर कटरी में चरने के लिए छोड़ देते हैं। उन्हें शाम को जानवरों को लेने जाना पड़ता है, लेकिन मंगलवार को पालतू जानवर खुद ही वापस गांव आ गए। उनमें भी बाघ की दहशत है।

कटरी छोड़कर चले गए

गंगा पार लधुवाखेड़ा के जंगल में अमरूद के बाग हैं। यहां पर कुछ ग्रामीण भी रहते हैं, लेकिन बाघ के वहां पहुंचने और उसकी दहाड़ से घबराए लोग घर छोड़कर आबादी वाले इलाके में आ गए। ये सीजन अमरूद का है। जिसमें ग्रामीण पूरे साल की कमाई कर लेते है, लेकिन बाघ के वहां पहुंचने के बाद अब कोई बाग में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। संतोष ने बताया कि उसने बाग में ही बछड़े का बांधा था। जिसे बाघ ने अपना शिकार बनाया था। वो उसको घसीटते हुए आधा किमी दूर ले गया था।