-अब बाहर के डीजल पंपों से फ्यूल नहीं भरना पड़ेगा बसों को

-परिवहन निगम के अपने वर्कशॉप में डीजल पंपों से फ्यूल भरेंगी बसे

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DEHRADUN : उत्तराखंड परिवहन निगम के अपने डीजल पंप अब प्रदेश में परिवहन की गति के साथ ही निगम की आर्थिक स्थिति को भी माइलेज देंगे। दरअसल, प्रदेश भर में परिवहन निगम के सभी वर्कशॉप में अपने डीजल पंप स्थापित हैं। निगम के विभिन्न वर्कशॉप में करीब डेढ़ दर्जन पंप हैं, लेकिन काफी लंबे समय से इनको संचालित करने के लिए निगम को डीजल नहीं मिल पा रहा था, जिस कारण बसों को बाहर के डीजल पंपों में डीजल भरना पड़ रहा था।

पड़ रहा था महंगा

निगम के डीजल पंपों की तुलना में बाहर के पेट्रोल पंपों से तेल लेना करीब 1 रुपए 20 पैसा मंहगा पड़ रहा था। लेकिन अब इस महीने से परिवहन निगम के सभी वर्कशॉप में डीजल पंपों में फ्यूल उपलब्ध हो गया है। जिससे अब रोडवेज बसों को बाहर के पंपों से फ्यूल नहीं भरना पड़ेगा। इस कारण से निगम की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।

80 हजार लीटर है प्रतिदिन की खपत

परिवहन निगम की प्रतिदिन की डीजल खपत करीब 80 हजार लीटर के करीब है। ऐसे में अगर अब जब अपने डीजल पंपों से फ्यूल मिलने की स्थिति में निगम को प्रति लीटर 1.20 रुपए की बचत होगी। तो ऐसे में प्रति दिन 96,000 हजार की बचत होगी। जबकि पूरे महीने की स्थिति में करीब 28,80,000 रुपए की बचत होगी।

करीब 48 लाख रुपए की बचत

दूसरी ओर बसें जब बाहर के पंपों में फ्यूल भरने जाती थी। तो इस दौरान भी प्रति बस 1 लीटर फ्यूल (अगर एक बस 4 किमी में 1 लीटर माइलेज दे) आने-जाने में लग जाता था। ऐसे में वर्तमान स्थिति को देखते हुए जब निगम का बस बेड़ा तकरीबन 1300 बसों का है। तो ऐसे में 65 हजार रुपए (जब डीजल की कीमत करीब 50 रुपए तक हो) प्रति दिन बचते हैं। जबकि महीने भर में इस स्थिति में क्9,भ्0,000 रुपए की अतिरिक्त बचत होती है। इस एक्स्ट्रा बचत में अगर मुख्य बचत ख्8,80,000 को शामिल किया जाए तो ऐसे सीधे तौर पर महीने में ब्8,फ्0,000 की बचत होगी।

रास्ते में खड़ी नहीं होगी गाड़ी

कई बार अचानक रूट पर फ्यूल खत्म होने की स्थिति में निगम की बसें अपने नजदीकी वर्कशॉप से डीजल भरवा पाएंगी, लेकिन बाहर के पंपों से डीजल भरवाने की स्थिति में कई बार बसें रूट पर बगैर फ्यूल के खड़ी हो जाती थी। क्योंकि बाहर सिर्फ लिमिटेड पंपों से ही निगम फ्यूल खरीद रहा था। फ्यूल भरवाने के लिए भी बस के ड्राइवर और कंडक्टर को कई फॉर्मेलिटीज पूरी करनी पड़ती थी। ऐसे में बसें खड़ी होने की स्थिति में कई बार यात्रियों को भी परेशानी उठानी पड़ती थी।

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निगम की यह अच्छी नीति है कि अब अपने वर्कशॉप से ही बसें डीजल भरेंगी। अभी तक बाहर के फ्यूल पंपों में प्रति लीटर करीब क्.ख्0 पैसा फ्यूल मंहगा पड़ रहा था। इससे सीधे तौर पर निगम को प्रतिमाह करीब ब्8 लाख रुपए की बचत होगी।

-रामचंद्र रतूड़ी, महामंत्री,

रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद् उत्तराखंड।

बाहर के फ्यूल पंप से हमें डीजल कुछ रुपए मंहगा पड़ रहा था, लेकिन अब निगम के सभी वर्कशॉप में डीजल उपलब्ध हो गया है। निगम की सभी बसें अब अपने फ्यूल पंपों से ही डीजल भरेंगी।

-दीपक जैन, महाप्रबंधक संचालन,

उत्तराखंड परिवहन निगम।