-बनारस में शराब बंदी के लिए हो रहे विरोध प्रदर्शन के पीछे आंध्रप्रदेश से आई दो महिलाओं पर टिकी जांच, पांच महीने से शहर में हैं active

-अलग-अलग इलाकों में महिलाओं से मिलकर विरोध करने की तैयार की गई रूपरेखा, पुलिस और LIU जुटी जांच में

VARANASI

पिछले एक सप्ताह से कभी रूरल तो कभी शहरी इलाके में शराब बंदी के लिए पांच महीने से आंदोलन की तैयारी चल रही थी। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इस आंदोलन की साजिश रचने में आंध्रप्रदेश की दो महिलाओं की भूमिका सामने आई है। जिसके बाद खुफिया एजेंसीज से लेकर पुलिस तक के हाथ पांव फूल गए हैं। सोर्सेज के मुताबिक माइक्रो फाइनेंस कंपनी व स्वयं सहायता समूह से जुड़ी दोनों महिलाओं ने आंध्रप्रदेश में चलने वाले हिंसक आंदोलन की तरह यहां की महिलाओं को विरोध-प्रदर्शन के लिए उकसा कर उन्हें सड़कों पर उतारने का काम किया है। यही कारण है कि लगातार प्रदर्शन के बाद शराब बंदी के नाम पर आगजनी व लूटपाट के साथ ठेकों पर कर्मचारियों से मारपीट तक की गयी। आंदोलन के पीछे आंध्रा की दोनों महिलाओं की भूमिका सामने आने के बाद लोहता थाने में पुलिस ने उनके खिलाफ केस दर्ज कर दोनों की तलाश तेज कर दी है। इसकी भनक मिलते ही दोनों महिलाएं भी मोबाइल स्विच ऑफ कर लापता हो गई हैं।

सर्विलांस पर है मोबाइल

पुलिस और खुफिया विभाग के सोर्सेज के मुताबिक आंध्र प्रदेश की रहने वाली दोनों महिलाओं ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को जानकर बूझकर इस आंदोलन के लिए चुना। क्योंकि यहां पर कोई हरकत होने पर केन्द्र सरकार उसे तुरंत संज्ञान में लेती है। इसलिए पहले शांतिपूर्ण ढंग से और फिर शराब बंदी कराने के लिए बनारस की महिलाओं को उकसाकर हिंसक बवाल कराने की जिम्मेदारी इन दोनों महिलाओं को सौंपी गई थी। लगभग पांच महीने से ये पूरे जिले में महिलाओं का समूह बनाकर शराब बंदी कराने के नाम पर आंदोलन चला रहीं थीं। इनका बाकाया गंगापुर में ऑफिस भी बना था। जहां महिलाओं का जमावड़ा होता था और सभी इनको दीदी के नाम से पुकारती थीं।

आर्थिक मदद के नाम पर खेल

खुफिया विभाग के सोर्स बताते हैं कि ये दोनों महिलाएं माइक्रो फाइनेंस कंपनी के नाम पर दोनों ने महिलाओं को आर्थिक मदद कर इसकेलिए तैयार किया। ये सब जानकारी एलआईयू को हरसोस (जंसा) में उस वक्त हुई जब शराबबंदी कराने के नाम पर महिलाएं जुटी थीं। महिलाओं ने बताया कि सिर्फ आराजीलाइन ब्लॉक में ही क्07 नशा उन्मूलन के नाम से महिला समूह बनाये गए हैं। दोनों महिलाओं ने क्भ् दिन पहले हरसोस के पंचायत भवन पर मीटिंग बुलाई थी। जिसमें बेलौडी, जंसा, भत्सार, कपड़फोड़वा, कचनार, राजातालाब की महिलाएं शामिल हुई थीं। एसओ जंसा रामप्रीत यादव ने बताया कि दोनों को तलाशा जा रहा है। फिलहाल इन दोनों की लोहता में उपद्रव के दौरान भी संलिप्तता मिली है।

नक्सली एक्टिविटी तो नहीं है ये

आंध्र प्रदेश में नक्सली गतिविधियां इसी तरह स्वयं सहायता समूह की आड़ में चलायी जाती है। इसके लिए माइक्रो फाइनेंस कंपनी के नाम पर धन मुहैया कराया जाता है। देश में आंध्र प्रदेश से सटे इलाकों में माओवादियों की गतिविधियां चरम पर रहती है। जिस तरह से एक खास समय आंदोलन की शुरूआत की गयी उससे आशंका जतायी जा रही है कि शराब बंदी की आड़ में दोनों हिंसक आंदोलन आरम्भ करना चाहती थीं। इसके साथ शराब के कारोबार में पिछले एक दशक से एक ही सिंडिकेट का वर्चस्व यूपी में चल रहा है। यह भी संदेह जताया जा रहा है कि कहीं दूसरा सिंडिकेट भी इसके पीछे तो नहीं था। एसपीआरए आशीष तिवारी ने बताया कि दोनों महिलाएं नामजद हैं और उनकी तलाश की जा रही है।