आमतौर पर राज्यों में बिकने वाली शराब की दुकानों का लाइसेंस सरकार के लिए आमदनी का एक बड़ा जरिया होता है। लेकिन आंध्र प्रदेश में ऐसे आरोप लग रहे हैं कि शराब की दुकानों के मालिक निर्धारित कीमत से ज़्यादा दरों पर शराब बेचने के लिए अधिकारियों, राजनेताओं और पत्रकारों को व्यापक पैमाने पर रिश्वत दे रहे हैं।

इसी के चलते प्रदेश के एंटी करप्शन ब्यूरो ने हैदराबाद और ऐनी ज़िलों में शराब की दुकानों पर छापे मारे। इससे पुष्टि हुई कि ज़्यादातर दुकानों में शराब निर्धारित कीमत से ज़्यादा पर बेचीं जा रही है। हालांकि ब्यूरो ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है और अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी को सौंप दी है।

लेकिन इन आरोपों ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है कि जिन लोगों को रिश्वत दी जा रही थी उनमे कुछ विधायक और मंत्री भी शामिल हैं। राज्य के प्रमुख विपक्षी दल तेलुगु देसम ने इसे एक बड़ा मुद्दा बनाते हुए सरकार से मांग की है कि उन मंत्रियों और विधायकों के नाम प्रकाशित किए जायें जिन्हें कथित तौर पर रिश्वत दी जा रही थी।

टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया है कि इस मामले में आठ मंत्री और 70 विधायक लिप्त हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार ने मात्र 6,600 दुकानों के लाइसेंस जारी किए हैं लेकिन इनकी आड़ में क़रीब एक लाख दुकानें चलाई जा रही हैं।

कांग्रेस पर आरोप

मामले ने एक बड़ा राजनीतिक रंग तब ले लिया जब आरोप लगे कि इसमें आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और सरकार में परिवहन मंत्री बोत्स सत्यानारायना का नाम भी शामिल है।

प्रदेश के दूसरे विपक्षी दलों का आरोप है कि कई ज़िलों में शराब की दुकानों के लाइसेंस सत्यानारायना के रिश्तेदारों के हाथों में है। भारतीय जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने इस मुद्दे पर राज्य के कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन भी किए हैं।

सभी विपक्षी दल इस मांग पर अड़े हैं कि राज्य के आबकारी मंत्री एम वेंकट रमन्ना को उनके पद से हटाया जाए और मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए।

हालांकि अभी तक राज्य सरकार या फिर मुख्यमंत्री किरण रेड्डी मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं जबकि परिवहन मंत्री बोत्स सत्यानारायना का कहना है कि वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं।

रहा शराब की बिक्री से सरकार की आय का सवाल तो सिर्फ 6,500 दुकानों के लाइसेंस से ही सरकार को पिछले साल क़रीब 7,000 करोड़ रूपये की आमदनी हुई थी।

यह बवाल एक ऐसे समय पर उठा है जब आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकार को ज़्यादा कीमत पर शराब की बिक्री रोकने के लिए कार्रवाई करने के निर्देश दे रखे हैं।

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