- अवैध शराब पर सख्ती से बढ़ रहा चुनाव का बजट, 50 लाख है निर्धारित

- बिगड़ा बजट फेर सकता है कई प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने के सपने पर पानी

AGRA: इस वर्ष होने वाला त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कई प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने के मंसूबे पर पानी फेर सकता है। यह सबकुछ जिला प्रशासन की अवैध शराब पर सख्ती के चलते होने जा रहा है।

आधी कीमत पर मिल जाती है

लोकसभा, विधानसभा या फिर पंचायत चुनाव हों, इनमें शराब से मतदाताओं की खातिरदारी करना कोई नई बात नहीं है। इसके लिए हरियाणा व राजस्थान से शराब मंगाई जाती है, जोकि यूपी से करीब आधा कीमत पर उपलब्ध हो जाती है।

अब नहीं मिलेगी सस्ती शराब

पंचायत चुनाव के दौरान बांटी जाने वाली सस्ती शराब में मिलावट भी खूब की जाती है। कच्ची शराब का भी प्रयोग धड़ल्ले से चलता है। अब ये सबकुछ संभव नहीं हो सकेगा। वह इसलिए कि पंचायत चुनाव से पहले जिला प्रशासन शराब की तस्करी रोकने के लिए सक्रिय हो चुका है। कच्ची शराब के अड्डों पर भी पुलिस व आबकारी विभाग नजरें जमाए हुए हैं। पुलिस अपने स्तर से उन सभी स्थानों को चिह्नित कर रही है, जहां पर कच्ची शराब तैयार की जाती है। दूसरी ओर उन लोगों का भी रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है, जो तस्करी कर शराब लाते हैं।

50 लाख का बजट न पड़ जाए कम

पिछले वर्ष हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हरेक प्रत्याशी का चुनाव खर्चा 30 लाख रुपये आया था। इस बार यह खर्चा निश्चित तौर पर बढे़गा। नाम न छापने की शर्त पर प्रधानी का चुनाव लड़ने के इच्छुक व्यक्ति ने बताया कि इस साल 50 लाख का बजट है। कई ग्राम पंचायत ऐसी भी रहीं हैं, जिनमें पूर्व में एक एक करोड़ का खर्चा आया था। तस्करी और कच्ची शराब पर सख्ती के चलते चुनाव खर्च और बढ़ेगा। शराब पर बढे़ टैक्स का भी असर चुनाव खर्चे पर देखने को मिलेगा।

अधिकारी होंगे जिम्मेदार

पिछले दिनों जहरीली शराब से हुई मौत के बाद जिला प्रशासन काफी सतर्कता बरत रहा है। शासन स्तर से हिदायत दी गई है कि अगर किसी भी जनपद में तस्करी की शराब आती है, तो वहां के जिला स्तरीय अधिकारी जिम्मेदार होंगे।