- हॉस्पिटल्स में बढ़ रही है सांस के रोगियों की संख्या

- खतरे से खाली नहीं है सुबह निकलना, अपनाने होंगे बचाव के तरीके

ALLAHABAD: सांस के रोगियों के लिए ठंड में पड़ने वाला घना कोहरा जानलेवा साबित हो सकता है। कोहरे में मौजूद धूल के कण मरीजों की परेशानियों को बढ़ाने में मददगार साबित हो रहे हैं। यही कारण है कि हॉस्पिटल्स में सांस के रोगियों की संख्या में दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इसके अलावा फ्लू और सर्दी जुकाम की चपेट में आने वालों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। डॉक्टरों का कहना है कि बदलते मौसम में सावधानी बरतने से होने वाली दिक्कतों से छुटकारा पाया जा सकता है।

बंद कर दें सुबह टहलना

नियमित रूप से मॉर्निग वॉक करने वालों के लिए कोहरे की चादर खतरनाक साबित हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि सर्दियों के मौसम में तापमान में कमी और कोहरे के कारण वातावरण में प्रदूषित तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके कारण इस मौसम में सांस के मरीजों के लिए अनेक परेशानियां जैसे अस्थमा अटैक, फ्लू और सर्दी जुकाम से ग्रसित होने की सम्भावना बढ़ जाती है, लेकिन कुछ सावधानियां अपना कर आप इससे बच सकते हैं। हो सके तो टहलने के लिए धूप निकलने का इंतजार करें। वरना विकल्प के तौर पर घर पर ही हल्की-फुल्की एक्सरसाइज की जा सकती है।

कितना नुकसानदायक है कोहरा

सर्दी के मौसम में सर्वाधिक दुष्प्रभाव प्रदूषित कोहरे का पड़ता है। कोहरा में धुएं और छोटे-छोटे प्रदूषित कणों के मौजूद होने से यह श्वसन तंत्र के लिए किसी आफत से कम नहीं होता है। इस कारण से लोगों की आंखों में जलन, आंसू, नाक में खुजली, गले में खराश और खांसी जैसे लक्षण सामान्य तौर पर देखने को मिलते है। सर्दी बढ़ने के साथ ही सांस की नली की संवेदनशीलता तुलनात्मक रूप से बढ़ जाती है, जिससे सांस की नली सिकुड़ती है और इस कारण से सांस के रोगियों में विभिन्न समस्यायें बढ़ने की आशंका काफी बढ़ जाती है। लक्षण नजर आने पर डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी होता है।

खुद को बचाने के लिए आजमाएं चार तरीके

1-साथ रखें इनहेलर- हमेशा अपने साथ इनहेलर रखें और ठंड के मौसम में बाहर जाने से पहले दो से तीन बार इसका इस्तेमाल करें।

2- घर के अंदर धूल-मिट्टी से बचें

ठंड के दौरान घर के अंदर रखी हुई चीजों पर जमी धूल-मिट्टी को साफ कर दें। सजावट के सामानों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

3- दूर रखें तनाव

ठंड में कई कामों को लेकर तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है। रोगी के लिए तनाव खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में रोगी तनाव कम करने के लिए योग या मेडिटेशन का सहारा ले सकता है।

4- नाक से लीजिए सांस

नाक से सांस लेने पर हवा फेफड़ों तक पहुंचने से पहले गर्म हो जाती है जबकि मुंह से सांस लेने पर ठंडी रहती है। ऐसे में गर्म के बजाय ठंडी हवा से अस्थमा का दौरा पड़ने का चांस बढ़ सकता है।

- सांस के रोगियों के लिए कोहरा घातक साबित होता है। घने कोहरे में घर से निकलने से परहेज करना चाहिए। घर पर भी सावधानी बरतने की जरूरत है। सांस फूलने या खांसी के साथ कफ आने की शिकायत हो तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

डॉ। आशुतोष गुप्ता, टीबी एंड चेस्ट फिजीशियन

सांस के रोगियों को सर्दी-जुकाम और फ्लू की शिकायत होने लगती है। इससे बचना जरूरी है। डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह का पालन करने से रोगों से बचा जा सकता है।

डॉ। ओपी त्रिपाठी, फिजीशियन