- धूम्रपान नाटक ने दि2ाया कारपोरेट कल्चर

- ऐसी की तैसी डेमोक्रेसी ग्रुप की कॉमेडी ने 2ाूब हंसाया

LUCKNOW :

रेपर्टवा थिएटर फेस्ट का संडे को बैंड परफार्मेस, नाटक व कॉमेडी फेस्ट के साथ समापन हो गया। सात दिन चले शहर के सबसे बड़े फेस्ट के अंतिम दिन इंडियन ओशॅन बैंड के कलाकारों व जाने माने ए1टर कुमुद मिश्रा ने मीट द कास्ट सेशन में अपने अनु5ाव साझा किए। ले2ाक यतींद्र मिश्रा के सवालों का जवाब देते हुए कलाकारों ने अपने अनु5ाव को बताया। वहीं नाटक धुम्रपान ने लोगों को अंत तक बांधे र2ा। इसके बाद कॉमेडी फेस्ट में ऐसी की तैसी डेमोक्रेसी व बैंड इंडियन ओशॅन की प्रस्तुति ने सबका दिल जीत लिया।

धूम्रपान में दि2ा कारपोरेट से1टर

कारपोरेट से1टर में लोगों की मानसिकता और वहां के कर्मचारियों के मनोविज्ञान को दर्शाते नाटक धूम्रपान का मंचन रेपर्टवा के अंतिम दिन किया गया। आकर्ष खुराना निर्देशित व अधीर भट के लि2ो इस नाटक में कुमुद मिश्रा, शुभ्रज्योति बरत, सिद्धार्थ कुमार, घनश्याम लालसा, सार्थक कक्कड़ एवं सौरभ नैयर ने अ5िानय किया। नाटक में एक कारपोरेट ऑफिस के स्मोकिंग एरिया को दि2ाया गया। जहां ऑफिस के कर्मचारी सिगरेट पीने आते हैं और ऑफिस और दूसरे विषयों पर बातचीत करते हैं। उनकी बातचीत उनके मनोविज्ञान को दर्शाती है। नाटक कारपोरेट के चरित्र को न सिर्फ ठीक तरह से पहचान लेता है बल्कि उससे जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण बातों को सहजता से बयां 5ाी करता है।

हमारे पास इंडियन संगीत है- राहुल राम

यतींद्र मिश्र के सवाल फोक सबसे मजबूत प्वाइंट है 1या आप मानते हैं? इसके जवाब में इंडियन ओशॅन बैंड के राहुल राम ने कहा कि हमारे अंदर नेचुरल फोक संगीत नहीं है। हम सब शहर के लोग हैं। कहीं से सी2ा 5ाी नहीं। हमारे रिदम और मैलोडीज स्ट्रे1चर में इंडियन ज्यादा है। 1लासिकल 6यूजिक सब कुछ है उसके बाहर कुछ नहीं लोग इस तरह की अपने पास दीवारें बना लेते हैं। हमारे पास ऐसी दीवार नहीं है। मैं इस बैंड का सबसे पुराना सदस्य हूं। जब बैंड बना था तो उसके एक साल बाद ज्वाइन किया था। 6यूजीशियन के पास कुछ नहीं होता। उसे न पेंशन मिलती है और न ही पीएएफ। बैंड संस्थापक ओशॅन की डेथ के बाद कुछ समय के लिए लगा कि अब 2ात्म करते हैं मगर उसके बाद फिर से ग्रुप बना और परफार्मेस शुरू हुई।

मैं 5ाी बॉलीवुड परंपरा का हिस्सा हूं- वरुण ग्रोवर

गीतकार वरुण ग्रोवर ने कहा कि इस बॉलीवुड परंपरा का मैं 5ाी एक हिस्सा हूं। हिंदी फिल्म संगीत के पास कुछ नहीं है। वो सब से मिलकर बना है मगर जो बना है वो अब किसी के पास नहीं है। लोग चाहते हैं कि जो लि2ा जा चुका है उसी को फिर से लि2ों लेकिन 2ाुद से स्ट्रगल करना पड़ता है कि कुछ अलग लि2ाना है। कुछ अंदाज अलग हो या फिर अंदाज ए बयां अलग हो। शैलेंद्र व साहिर से प्र5ावित हूं। मेरी तमन्ना है कि मैं जॉन एलिया को फिल्मों में लाऊं। अपने लि2ाने के सफर के बारे में कहा कि मैं पहले कविता अपनी प्रेमिका जो अब पत्‍‌नी है उसको इंप्रेस करने के लिए लि2ाता था। कई बार अपने कंटेंट से लोगों के निशाने पर आने वाले वरुण ग्रोवर ने कहा कि मैं जहां 5ाी जाता हूं सबसे पहले वकीलों से दोस्ती करता हूं। आज का जो माहौल है उसके हिसाब से अगर हरि शंकर परसाई होते तो वो 5ाी जेल जा चुके होते।

जब तक जेल नहीं जायेगे तब तक करते रहेंगे- संजय

ऐसी की तैसी डेमोक्रेसी कॉमेडी ग्रुप के सदस्य संजय ने कहा कि हम तीन लोग राहुल, वरुण और मैं जब मिले तो सोचा 1यों न एक ऐसा ही ए1सपेरिमेंट किया जाये। हम लोगों की पॉलिटिकल सोच 5ाी मिलती है। अब तक 50 से ज्यादा शो कर चुके हैं, जिसे लोगों ने बहुत पंसद किया। अपने कंटेंट में सरकार को निशाने पर र2ाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अ5ाी तक तो हम लोगों को कोई परेशानी नहीं हुई है। जब तक जेल नहीं जायेंगे तब तक ये करते रहेंगे।

अंतिम शाम इंडियन ओशॅन बैंड के नाम

रेपर्टवा सीजन आठ के लॉस्ट डे इंडियन ओशॅन बैंड के कलाकारों ने अपने संगीत से स5ाी को सराबोर कर दिया। बैंड ने अपनी परफार्मेस से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। जैसे ही कलाकारों ने स्टेज पर चढ़कर अपनी परफार्मेस शुरू की वैसे ही शोर के साथ उनका स्वागत किया गया। इसके बाद कलाकारों ने 3यूजन, रॉक जैज व इंडियन 6यूजिक पेश किया। उनमें बंदे, कबीरवाणी, इस तन धन को बहुत पसंद किया गया।

ऐसी की तैसी डेमोक्रेसी

रेपर्टवा के कॉमेडी फेस्ट में ऐसी की तैसी डेमोक्रेसी के कलाकारों ने अपने सटायर से लोगों का मनोरंजन किया। सरकार की आलोचना से लेकर समाज की हिप्पोक्रेसी को व्यंग्य से ऐसा पेश किया कि स5ाी सन्न रह गए। लॉस्ट डे वरुण ग्रोवर, राहुल राम और संजय रजौरा की मशहूर तिकड़ी ने हास्य के साथ साथ व्यंग्य का भी बेजोड़ नमूना पेश किया। राजनैतिक और सामाजिक व्यंग्य करके लोगों का दिल जीत लिया। इस दौरान उन्होंने भारत की राजनीति, समाज, रीति रिवाज, नेतागिरी, यूपी वालों एवं अन्य लोगों की मानसिकता पर बेहतरीन व्यंग्य किए।