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एमसीआई ने पीजी एजुकेशन रेग्युलेशन में किया बदलाव
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KANPUR: नए नए सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को अपने यहां पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई न कराना अब महंगा पड़ेगा। विशेषज्ञ डॉक्टर्स बढ़ाने के उद्देश्य से मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने खास संशोधन किया है। जिसके बाद किसी भी मेडिकल कॉलेज को एमबीबीएस पढ़ाने के तीन साल बाद पोस्ट ग्रेजुएट सीटों के लिए आवेदन करना होगा। ऐसा नहीं करने पर उनकी एमबीबीएस कराने की मान्यता निरस्त हो जाएगी। इस नए संशोधन का गजट भी एमसीआई ने जारी कर दिया है। इसके लागू होने से आने वाले सालों में विशेषज्ञ डॉक्टर्स की संख्या बढ़ेगी। हालाकि विशेषज्ञों की मानें तो इस संशोधन के लागू होने के बाद कई नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है।

मेडिकल एजुकेशन रेग्युलेशन में बदलाव
एमसीआई ने पीजी मेडिकल एजुकेशन 2000 नियमावली में बदलाव किया है। संशोधन के बाद इसे पीजी मेडिकल एजुकेशन रेग्युलेशन 2018 के रूप में जाना जाएगा। नियम के तहत एमबीबीएस की पढ़ाई के तीन साल बाद मेडिकल कॉलेजों को पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स के लिए आवेदन शुरू करना होगा। पहले नॉन क्लीनिकल डिपार्टमेंट में पीजी के लिए पीजी की सीटें अलाऊ की जाएगी। एमसीआई ने अप्रैल में संशोधन का सर्कुलर भी जारी कर दिया है।

बढ़ाने होंगे संसाधन
दरअसल मेडिकल कॉलेजों में पीजी की सीटें वहां आने वाले मरीजों व सर्जरी की संख्या पर भी निर्भर करती है। इनके लिए मेडिकल कॉलेजों को काफी इंफ्रास्ट्रक्चर और संसाधन जुटाने पढ़ते है। इंस्पेक्शन के बाद आम तौर पर 2 या 3 सीटों की ही अनुमति मिलती है। जिसकी वजह से प्राइवेट मेडिकल कॉलेज पीजी कोर्स शुरू करने से बचते हैं। जबकि एमबीबीएस कोर्स के लिए प्राइवेट मेडिकल कॉलेज मोटा डोनेशन भी लेते हैं। और पीजी की बजाय उनमें इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी खर्च कम होता है। एमसीआई के नए संशोधन के बाद सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को एमबीबीएस की पढ़ाई के तीन साल के बाद संसाधन बढ़ाते हुए पीजी कोर्स के लिए अप्लाई करना होगा।

इन विभागों के लिए करना होगा आवेदन-

फिजियोलॉजी, फार्माकोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, एनाटामी, पैथालॉजी, माइक्रोबायोलॉजी

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इंटर्नशिप के पहले इनके लिए करना होगा आवेदन-

पीडियाट्रिक, सर्जरी, आर्थोपेडिक, मेडिसिन, गाइनी, ईएनटी, नेत्ररोग

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वर्जन-

एमसीआई ने पीजी कोर्स की सीटें बढ़ाने के लिए रेग्युलेशन में संशोधन किया है। पहले तीन साल में नॉन क्लीनिकल व इंटर्नशिप से पहले क्लीनिकल सब्जेक्ट में लिए आवेदन शुरू करना होगा। एमबीबीएस कोर्स शुरू करने के तीन साल के बाद ऐसा नहीं किया तो उस कॉलेज की मान्यता भी खत्म हो जाएगी।

- प्रो। जलज सक्सेना, नोडल अफसर, एमसीआई, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज