सीसीएस यूनिवर्सिटी परिसर में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व से जुड़ा है बरगद

मेरठ के दंगों के साथ 150 साल का इतिहास समेटे है वट वृक्ष

Meerut. सीसीएस यूनिवर्सिटी अपने आप में एक अलग पहचान और महत्व रखता है. इस यूनिवर्सिटी परिसर में पिछले 48 सालों से लाखों छात्र छात्राओं ने अपनी शिक्षा का विस्तार कर उच्च पदों को प्राप्त किया है. साल दर साल यूनिवर्सिटी का स्वरुप भले बदलता रहा हो, लेकिन इस परिसर में मुख्य इमारत के बाहर खड़ा बरगद का पेड़ आज भी पिछले 150 से अधिक साल का इतिहास समेटकर जस का तस खड़ा है. 150 साल में बरगद वृक्ष के साथ ऐतिहासिक के साथ धार्मिक महत्व भी जुड़ गया है. जिसके चलते यहां मंदिर भक्तों की आस्था की जगह बन चुकी है.

1987 में दंगों की पंचायतों का गवाह

यूनिवर्सिटी प्रशासन से जुडे़ कुछ जानकारों के अनुसार यूनिवर्सिटी परिसर में मुख्य भवन के बाहर यह बरगद का पेड़ यूनिवर्सिटी से पहले से यहां मौजूद है. इस वृक्ष की आयु 150 साल से अधिक है. 1987 में मेरठ में हुए दंगों के दौरान इस पेड़ के नीचे ही आसपास के लोगों की पंचायत होती थी. दंगों के दौरान कई बड़े फैसले इस पेड़ के नीचे लिए गए थे.

दंगों के दौरान बना आस्था मंदिर

दंगों के दौरान ही किसी अज्ञात शख्स ने इस शहर में अमन व शांति के लिए पेड़ के नीचे एक पत्थर रखकर पूजा अर्चना शुरु कर दी थी. इस पत्थर पर लगातार श्रृद्धालुओं की संख्या बढ़ती रही और पेड़ के नीचे ही मंदिर बन गया. आज यह मंदिर और इस वृक्ष के पत्ते पूजा के लिए प्रयोग किए जाते हैं. बड़ अमावस में दूर दूर के लोग इस बरगद के पत्ते लेने आते हैं.

शांति के लिए दिखाई कई थी फिल्म

साल 1987-88 में दंगों के दौरान विवि परिसर में इस पेड़ के नीचे शहर के लोगो को दंगों से जुड़ी हुई एक फिल्म कोशिश दिखाई गई थी. फिल्म का उददेश्य लोगों में भाईचारा की भावना को बढ़ाना था.

कोटस-

इस पेड़ के साथ विवि और शहर की

कई यादें जुड़ी हैं. खासतौर पर मेरठ में दंगों के दौरान की पंचायतें व फिल्म के लिए लोगों का जमावड़ा इसी पेड़ के नीचे हुआ करता था.

- प्रो वाई विमला, प्रो वीसी विवि

यह पेड़ करीब 150 से अधिक साल पुराना है. विवि तब बना भी नही था. आज इसकी विशालता इसकी पहचान है. इस वृक्ष के पत्तों को बड़ अमावस में पूजा के प्रयोग किया जाता है.

- प्रशांत कुमार, विवि मीडिया प्रभारी