चेन्नई (पीटीआई)। डाॅक्टरों की लापरवाही का एक बड़ा नमूना हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट में आए एक मामले में देखने को मिला है। कोर्ट पंहुची पीड़िता ने पांच लाख रुपये की मांग की है। उसका कहना है कि डाॅक्टरों ने खिलवाड़ किया है। उसके पेट में ट्यूमर था और डाॅक्टरों ने उसे गर्भवती बता दिया था। खास बात तो यह है कि उसे डिलीवरी की डेट देते हुए उसे 9 माह तक अनावश्यक दवाएं भी खिलाईं। ऐसे में जस्टिस टी. राजा ने इस मामले में पेश की गई याचिका पर सरकारी वकील से महिला की मेडिकल रिपेार्ट के संबंध में कुछ स्पष्टीकरण की मांग की है। इसके अलावा इस मामले की सुनवाई के लिए दो सप्ताह बाद की तारीख दे दी है।
चेकअप कर कहा कि इंतजार करो बच्चा बिल्कुल ठीक
पीड़िता ने अपनी याचिका में बताया कि उसकी शादी साल 2009 में हुई है और उसके पति दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का खर्च चलाते है। ऐसे में जब मार्च 2016 में उसे मासिक धर्म में अनियमितता होने के साथ ही पेट में दर्द हुआ तो वह सरकारी अस्पताल गई। यहां पर डाॅक्टरों ने उसका चेकअप कर कहा कि वह गर्भवती है। इस खबर से वह और उसका परिवार काफी खुश हुआ। इस दौरान कुछ दवाइयां देने के साथ ही डाॅक्टरों ने कहा कि नवंबर में उसका प्रसव होगा। ऐसे में जब नवंबर में उसे डिलीवरी नहीं हुई तो वह फिर वापस अस्पताल गई। एक बार फिर डाॅक्टर्स ने उसका चेकअप कर उसे कहा कि इंतजार करो बच्चा बिल्कुल ठीक है।
अस्पताल प्रशासन ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध ली
इसके बाद जब उसे 21 नवंबर को अत्यधिक दर्द शुरू और वह अस्पताल पहुंची तो डाॅक्टरों ने उसका चेकअप कर कहा कि उसे बच्चा नहीं बल्कि ट्यूमर है। इस पर वह और उसके परिजन हैरान हो गए। ऐसे में महिला ने जब इस बात की पुष्टि के लिए एक निजी स्कैन सेंटर में जांच कराई जहां पता चला कि वह उसके गर्भाशय में ट्यूमर है। इतना ही नहीं महिला ने यह भी आरोप लगाया कि डाॅक्टरों ने उसकी मेडिकल फाइल से नियमित जांच-पड़ताल के सारे कागज निकाल लिए। वहीं जब उसने अधिकारियों से मुआवजे और लापरवाह डाॅक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की तो अस्पताल प्रशासन ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध ली।
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