- अविवाहित महिलाओं को भी पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने का अधिकार

- हिन्दू मैरिज एक्ट में संपत्ति के बटवारे की मांग कर सकती है पत्‍‌नी

साडा हक

Meerut: महिलाओं को अपने पिता और पति की पुश्तैनी संपत्ति में पूरा अधिकार मिला हुआ है। अगर लड़की के पिता ने खुद बनाई संपति के मामले में कोई वसीयत नहीं की है, तब उनके बाद प्रॉपर्टी में लड़की को भी उतना ही हिस्सा मिलेगा जितना लड़के को और उनकी मां को। जहां तक शादी के बाद इस अधिकार का सवाल है तो यह अधिकार शादी के बाद भी कायम रहेगा।

पति से जुड़े हक

शादी के बाद पति की संपत्ति में महिला का मालिकाना हक नहीं होता लेकिन पति की हैसियत के हिसाब से महिला को गुजारा भत्ता दिया जाता है। महिला को यह अधिकार है कि उसका भरण-पोषण उसका पति करे और पति की जो हैसियत है, उस हिसाब से भरण पोषण होना चाहिए। वैवाहिक विवादों से संबंधित मामलों में कई कानूनी प्रावधान हैं, जिनके जरिए पत्‍‌नी गुजारा भत्ता मांग सकती है।

क्या है कानून

कानूनी जानकार बताते हैं कि सीआरपीसी, हिंदू मैरिज ऐक्ट,1955 हिंदू अडॉप्शन ऐंड मेंटिनेंस ऐक्ट और घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारे भत्ते की मांग की जा सकती है। अगर पति ने कोई वसीयत बनाई है तो उसके मरने के बाद उसकी पत्‍‌नी को वसीयत के मुताबिक संपत्ति में हिस्सा मिलता है। लेकिन पति अपनी खुद की अर्जित संपत्ति की ही वसीयत कर सकता है। पैतृक संपत्ति की अपनी पत्‍‌नी के फेवर में विल नहीं कर सकता।

अगर हो जाए अनबन

अगर पति-पत्‍‌नी के बीच किसी बात को लेकर अनबन हो जाए और पत्‍‌नी पति से अपने और अपने बच्चों के लिए गुजारा भत्ता चाहे तो वह सीआरपीसी की धारा-125 के तहत गुजारा भत्ता के लिए अर्जी दाखिल कर सकती है। साथ ही हिंदू अडॉप्शन ऐंड मेंटेनेंस ऐक्ट की धारा-18 के तहत भी अर्जी दाखिल की जा सकती है। घरेलू हिंसा कानून के तहत भी गुजारा भत्ता की मांग पत्‍‌नी कर सकती है।

तलाक के बाद

अगर पति और पत्‍‌नी के बीच तलाक का केस चल रहा हो तो वह हिंदू मैरिज ऐक्ट की धारा-24 के तहत गुजारा भत्ता मांग सकती है। पति-पत्‍‌नी में तलाक हो जाए तो तलाक के वक्त जो मुआवजा राशि तय होती है, वह भी पति की सैलरी और उसकी अर्जित संपत्ति के आधार पर ही तय होती है।

खुद की संपत्ति पर अधिकार

कोई भी महिला अपने हिस्से में आई पैतृक संपत्ति और खुद अर्जित संपत्ति को चाहे तो वह बेच सकती है। इसमें कोई दखल नहीं दे सकता। महिला इस संपत्ति का वसीयत कर सकती है और चाहे तो महिला उस संपति से अपने बच्चो को बेदखल भी कर सकती है।

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