-वर्किग वूमेन की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी की गाइडलाइन

-यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसे लागू करने का किया दावा, हकीकत में फेल

Kanpur@inext.co.in

KANPUR :

केस-क्

दादानगर स्थित मसाला फैक्ट्री में महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर नौकरी छोड़ दी। उसका आरोप है कि फैक्ट्री मालिक ने उसके साथ रेप करने की कोशिश की। फैक्ट्री में विशाखा गाइडलाइन के तहत कोई कमेटी न होने की वजह से उसकी सुनवाई नहीं हो सकी और उसे मजबूरी में जॉब छोड़नी पड़ी।

केस-ख्

शहर में करीब छह महीने एक महिला आईपीएस ने सीनियर अधिकारी पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। उसकी शिकायत पर तत्कालीन एसएसपी ने आरोपी अधिकारी को हटाकर जांच बैठा दी थी। हालांकि आरोपी अधिकारी को क्लीन चिट मिल गई है। उस समय तक पुलिस महकमे में भी विशाखा गाइडलाइन के तहत कोई कमेटी नहीं थी। हाल में ही आईजी आशुतोष पाण्डेय ने इस कमेटी को बनाया है।

केस-फ्

जाजमऊ स्थित टेनरी में करीब दो महीने पहले एक कर्मचारी ने महिला कर्मी की आबरू लूट ली। पीडि़ता की तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में भी टेनरी में विशाखा गाइड लाइन के तहत कोई कमेटी नहीं थी। अगर कमेटी होती तो महिला की शिकायत की सुनवाई ये कमेटी भी करती।

ये तीनों केस तो सिर्फ बानगी है। शहर में इस तरह के मामले तेजी से बढ़ रहे है। सरकरी ऑफिस हो या गैर सरकारी या फिर प्राइवेट, ज्यादातर ऑफिस में महिला इम्प्लाई को हैरेसमेंट झेलना पड़ता है। वे नौकरी छूटने और बदनामी के डर से चुप रहती है। जिससे छेड़खानी, रेप जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही है। जिसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने क्7 साल पहले गैंग रेप के मामले में फैसला सुनाते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को विशाखा गाइड लाइन लागू करने का निर्देश दिया। राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दाखिल कर इसे लागू करने का दावा भी कर दिया है, लेकिन हकीकत में ये कमेटी सिर्फ कागजों में ही सीमित रह गई है। अगर ये गाइडलाइन जारी हो जाए, तो ऑफिस समेत अन्य प्रतिष्ठानों में महिलाओं की खुद को और सुरक्षित महसूस करेंगी। साथ ही उनका हैरेसमेंट करने वालों में भय पैदा होगा। जिससे इस तरह के केसों में कमी आएंगी।

क्या है विशाखा गाइडलाइन

राजस्थान में एक महिला कर्मचारी ऑफिस में गैंग रेप का शिकार हो गई। जिसका मुकदमा जिला कोर्ट में चला, लेकिन वहां पर आरोपी बरी हो गए। महिला ने इंसाफ के लिए हाईकोर्ट में अपील की। वहां पर भी केस हारने पर पीडि़ता ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई तो सुप्रीम कोर्ट ने क्फ् अगस्त क्997 को सभी आरोपियों को दोषी पाते हुए सजा सुनाई। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आफिस में महिलाओं के साथ छेड़खानी या यौन उत्पीड़न पर अंकुश लगाने के लिए गाइडलाइन जारी की। जिसे विशाखा गाइडलाइंस कहा जाता है। जिसके तहत आफिस में शिकायत निवारण प्रकोष्ठ बनेगा।

महिला कर्मचारी होगी शिकायत निवारण प्रकोष्ठ की चेयरमैन

विशाखा गाइडलाइन के तहत सरकारी, गैर सरकारी समेत सभी कामर्शियल प्रतिष्ठानों में शिकायत निवारण प्रकोष्ठ बनाया जाएगा। जिसमें चेयरमैन के साथ ही आधा से ज्यादा सदस्य महिला होगी। इसमें जरूरत पड़ने पर एनजीओ को भी जोड़ा जा सकेगा।

लेबर कमिश्नर करेंगे निगरानी

सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा गाइडलाइन्स जारी करते हुए लेबर कमिश्नर को आदेश दिया था कि वह नोडल एजेंसी के रूप में काम करते हुए सरकारी, गैर सरकारी, फैक्ट्री, शॉप समेत सभी कामर्शियल प्रतिष्ठानों में दर्ज होने वाली शिकायतों की जानकारी एकत्र करें। इसके साथ ही वह यह भी सुनिश्चित करेंगे कि सभी कॉमर्शियल प्रतिष्ठानों में शिकायत निवारण कमेटी बनाई गई है या नहीं।

चेयरमैन कर सकती है आरोपी को सस्पेंड

अगर किसी ऑफिस में महिला कर्मचारी छेड़खानी का शिकार होती है, तो वह शिकायत निवारण प्रकोष्ठ में शिकायत दर्ज करा सकती है। जिसकी जांच कमेटी की चेयरमैन करेगी। अगर जांच के दौरान आरोपी कर्मचारी महिला कर्मचारी पर दबाव बनाता है, तो कमेटी आरोपी कर्मचारी का ट्रांसफर या उसे निलंबित भी कर सकती है। साथ ही कमेटी पीडि़त महिला कर्मचारी के अनुरोध पर उसका ट्रांसफर भी कर सकती है। चेयरमैन जांच पूरी करने के बाद आरोपी कर्मचारी पर दोष पाए जाने पर उसको बर्खास्त भी कर सकेगी।

क्7 साल में दर्ज नहीं हुआ एक भी केस

सुप्रीम कोर्ट में शासन ने यूपी के सभी सरकारी, गैर सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में विशाखा गाइडलाइन लागू किए जाने का दावा किया है। जिसके मुताबिक सभी संस्थानों में शिकायत निवारण कमेटी बनाई गई है। लेकिन हकीकत इसके उलट है। कई ऑफिस में विशाखा गाइडलाइन के तहत कमेटी बनाई है, लेकिन वो सिर्फ कागजों में ही है। जिसका नतीजा ये है कि सत्रह साल में इस कमेटी के समक्ष कोई भी केस नहीं आया है। कई ऑफिस समेत कामर्शियल प्रतिष्ठानों को इस गाइडलाइन के बारे में ही नहीं मालूम है।

ये प्रतिष्ठान दायरे में

विशाखा गाइडलाइन में सरकारी, गैर सरकारी, प्राइवेट प्रतिष्ठान आएंगे। इसके साथ ही फैक्ट्री। मॉल, टॉकीज, होटल, रेस्टोरेन्ट, क्लब, शॉप

गाइडलाइंस के तहत होने वाले संशोधन

-सेवा शर्तो के तहत महिलाओं के उत्पीड़न को दुराचरण माना जाएगा

-हर प्रतिष्ठान में शिकायत निवारण कमेटी गठित होगी

-कमेटी की चेयरमैन समेत आधे सदस्य महिलाएं होगी, जरूरत पड़ने पर एनजीओ को भी जोड़ सकते है।

-शिकायतों का निश्चित समय पर समाधान किया जाएगा।

-ऑफिस समेत अन्य प्रतिष्ठानों में समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा

-अगर कोई बाहरी व्यक्ति यौन शोषण करता है, तो विभागीय अफसर आवश्यक कदम उठाकर उसे दंडित कर सकेंगे।

-शिकायत निवारण कमेटी की रिपोर्ट को ही नियमावली के तहत फाइनल रिपोर्ट माना जाएगा।

दुराचरण के दायरे में आएगा

-शारीरिक संपर्क या अश्लील हरकत करना

-अश्लील साहित्य, एसएमएस, एमएमएस या वीडियो क्लिपिंग दिखाना

-महिला कर्मचारी पर मौखिक टिप्पणी करना

-महिला कर्मचारी के शरीर के किसी भी अंग को छूने पर

-फोन पर अश्लील बात करने पर

ये महिलाएं आएंगी दायरे में

-वेतनभोगी महिला कर्मचारी

-मानदेय महिला कर्मचारी

-सरकारी, गैरसरकारी और निजी संस्थाओं में कार्यरत अनियमित महिला कर्मचारी

लागू न होने की वजह

यूपी, दिल्ली समेत सभी राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में इस गाइड लाइन को लागू करने का दावा किया है, लेकिन हकीकत में ज्यादातर ऑफिस में ये कमेटी नहीं बनाई गई है। इसकी वजह है कि इस गाइडलाइन के जारी होने से संस्थानों की मुश्किलें और बढ़ जाएगी।

इस गाइडलाइन का आशय ठीक है, लेकिन इसके दुरुपयोग की संभावनाएं ज्यादा है। इसी वजह से ज्यादातर कामर्शियल प्रतिष्ठानों में इसे लागू नहीं किया जा सका है।

कौशल किशोर शर्मा, सीनियर एडवोकेट