Lucknow: सआदतगंज वार्ड में जब हमने वहां की महिला पार्षद के बारे लोगों से बात की तो लोगों ने यही कहा कि वो तो कभी सामने आईं नहीं। हमने उन्हें कभी नहीं देखा। यहां तो उनके पति ही आ जाया करते थे कुछ काम कराने यानी असली पार्षद परदे के पीछे। कुछ ऐसा ही परदा निकाय चुनाव से पहले ही शुरू हो चुका है।

दीवारों पर पोस्टर भी है, नाम भी है, चुनाव चिन्ह भी है, वोट देने की अपील भी है, लेकिन वो चेहरा नहीं है जो चुनाव लड़ रहा है। किसी ने पोस्टर में अपने पति का फोटा लगाया है तो कोई भाई के चेहरे के सहारे चुनाव मैदान में है।

महिला सीट मगर

कशमीरी मोहल्ला वार्ड से पार्षद पद की उम्मीदवार श्रीमति को उनके निशान.पर बटन दबा कर विजयी बनाएं। पत्नी या पुत्री कश्मीरी मोहल्ला वार्ड महिला के लिए सुरक्षित घोषित किया गया है। यहां पर कई महिलाओं ने चुनाव लडऩे का तो फैसला कर लिया, लेकिन अभी से वो परदे के पीछे ही हैं।

दीवारों पर जो पोस्टर हैं, घरों में जो स्टीकर प्रचार के लिए आ रहे हैं उनमें कुछ महिला प्रत्याशियों के चेहरों को न देखकर लोग भी हैरान है। यह सिर्फ पुराने लखनऊ की ही बात नहीं विकास नगर, महानगर में भी कुछ ऐसे पोस्टर लगे हैं जिसमें महिला प्रत्याशियों के नाम तो हैं, लेकिन फोटो की जगह घर के किसी मेल मेम्बर का ही चेहरा है।

मुहल्लों में हो रही हैं बातें

रुस्तम नगर में रहने वाले जुल्फेकार अब्बास कहते हैं हमारे क्षेत्र से इस बार कई महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन कई पोस्टर पर उनके नाम तो हैं, लेकिन फोटो नहीं है। जब अभी से वे परदे के पीछे हैं तो जीतने के बाद क्या होगा। वहीं आसिफ कहते हैं कि यह तो अब सभासद इलेक्शन का ट्रेंड बन गया है।

जहां से महिला सीट होती है वहां से महिलाएं खड़ी तो होती हैं, लेकिन वो सिर्फ नाम के ही लिए, सारा काम तो उनके पति ही देखते हैं। सआदतगंज वार्ड से निवर्तमान महिला सभासद से जब हमने बात करने की कोशिश की थी तो फोन उनके पति ने ही उठाया और यही कहा कि अब एक महिला क्या क्या काम कर सकती है। काम तो सारा हमें हरी देखना पड़ता है। यानी महिलाएं चुनाव मैदान में उतरती जरुर हैं, लेकिन प्रचार हो या फिर जीतने के बाद वार्ड का काम देखना ज्यादातर वो परदे के पीछे ही रहती हैं।

काम में पीछे नहीं रहेंगे

कशमीरी मोहल्ला वार्ड से पार्षद पद की उम्मीदवार निसार फातिमा के पति परवेज जैदी ने बताया से जब इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि यह मुस्लिम बाहुल्य इलाका है उसी के हिसाब से हमें चलना पड़ता है। क्योंकि पत्नी परदा करती हैं और आगे भी अगर बैठक में शामिल होना पड़ता है तो बुर्के में ही जाना होगा।

वहीं ट्रांस गोमती के एक वार्ड से चुनाव लड़ रहीं नरगिस ने बताया कि क्योंकि वो कभी भी बिना परदे के नहीं निकली हैं सो प्रचार में भी उन्होंने अपने फोटो का यूज नहीं किया है। लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर परदे का लिहाज है तो काम में हम कहीं से पीछे रहेंगे।