4 डी ब्रेनोस्कोपी की खोज करने वाले डॉ। आलोक मिश्र ने दी जानकारी

ALLAHABAD: मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समाजिक विकास में जैव प्रौद्योगिकी का योगदान विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन का आयोजन किया गया। जिसमें ब्रेन बिहैवियर रिसर्च फाउन्डेशन आफ इन्डिया के चेयरमैन डॉ। आलोक मिश्रा ने शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं का ब्रेन मैपिंग टेस्ट किया। उन्होंने बताया कि इस विधि के जरिये लोगों को पता चल सकता है कि उन्हें किस क्षेत्र में तरक्की मिल सकती है। उनके लिये क्या पढ़ना, क्या खाना उपर्युक्त है। लोगों को उनकी पसंद और नापसंद के बारे में भी जानकारी मिल सकती है।

60 फीसदी से ऊपर आई क्यू

डॉ। आलोक मिश्रा ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2006-07 के आईएएस ट्रेनिंग बैच में शामिल अभ्यर्थियों का ब्रेन मैपिंग टेस्ट किया था। जिससे उनके डीएनए टेस्ट से यह परिणाम निकलकर सामने आया कि आईएएस का दिमाग ही अलग होता है। उन्होंने जितने भी अभ्यर्थियों पर यह टेस्ट किया तो पाया कि इनमें किसी का भी दिमाग मिडियम हाई लेवल के नीचे नहीं था। सभी का आई क्यू 60 फीसदी से अधिक पाया गया। डॉ। आलोक ने बताया कि इस विधि से लोग यह जान सकते हैं कि वे खिलाड़ी बनेंगे या मदारी।

20 हजार पर किया जा चुका है टेस्ट

ग्लोबल रिसर्च एवार्ड प्राप्त डॉ। आलोक मिश्रा ने बताया कि 4-डी ब्रेन एनालिसिस एक ऐसी नवीनतम तकनीक है। जिससे हर किसी व्यक्ति की दिमाग की क्षमता का पता लगा सकते हैं। 4-डी ब्रेन एनालिसिस की चार प्रक्रिया होती है। जिसमें ब्रेन मैपिंग, डीएनए मैपिंग, बायोलाजिकल मैपिंग तथा साइकोलॉजिकल मैपिंग होती है। इस टेस्ट को अभी 20,000 लोगों पर किया जा चुका है। डॉ। आलोक मिश्रा ने बताया कि इस तकनीक को खोजने में उन्हे 18 वर्ष लगे। कार्यशाला के संयोजक डॉ। शिवेश शर्मा, प्रो। आरएस यादव, प्रो। गीतिका, डॉ। अन्जना पाण्डेय, प्रो। विनिता अग्रवाल, डॉ। अम्बक कुमार, डॉ। नन्द कुमार आदि मौजूद रहे।