स्वास्थ्य विभाग के लिए माइग्रेंट्स है सबसे बड़ी समस्या

डेढ़ साल में दवा लेने नही पहुंचे दर्जनों मरीज

PRAYAGRAJ: एचआईवी/एड्स के उन्मूलन में सरकार की लाख कोशिशों पर माइग्रेंट्स पानी फेर रहे हैं। यह वह मरीज हैं जो जांच में पहचान लिए जाने के बावजूद दवा लेने एआरटी सेंटर नही पहुंचते। इनकी खोजने का स्वास्थ्य विभाग के पास ऐसा कोई सर्विलांस सिस्टम भी मौजूद नही है। कुल पिछले डेढ़ साल में गायब हुए दर्जनों मरीज विभाग के लिए खतरा बने हुए हैं।

नही बना है कोई हाइटेक सिस्टम

पिछले डेढ़ साल में पांच दर्जन से अधिक एचआईवी मरीज जांच में आइडेंटिफाइड तो हुए लेकिन एसआरएन हॉस्पिटल की एआरटी सेंटर में दवा लेने नही आए हैं। स्वास्थ्य विभाग खुद मानता है कि इनमें से कई लोकलाज के भय से कहीं और चले गए या अपनी पहचान छिपाने में लगे हैं। यह भी कहा जा रहा है कुछ की डेथ हो गई है। हालांकि कुछ मरीज ऐसे भी हैं जिनका काउंट अभी दवा शुरू करने के लायक नही हुआ है। फिर भी इन मरीजों का अननोन होना परेशानी का सबब बना हुआ है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रॉपर मानीटरिंग कराई जाए या हाइटेक सर्विलांस सिस्टम बनाए जाने की मांग लगातार की जाती रही है।

फैक्ट फाइल

जिले में कुल एचआईवी मरीज- 2648

वर्ष 2017-18 में चिंहित मरीज- 931

दवा लेने एआरटी पहुंचे मरीज- 878

चिंहित गर्भवती महिलाएं- 24

अप्रैल से लेकर अब तक चिंहित मरीज- 588

दवा लेने एआरटी सेंटर पहुंचे मरीज- 571

चिंहित गर्भवती महिलाएं- 18

आज शहर में होंगे कई कार्यक्रम

व‌र्ल्ड एड्स डे के मौके पर शनिवार को शहर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिसमें लार्सन एंड टर्बो्र कंपनी में हेल्थ चेकअप कैंप लगाकर मजदूरों की एचआईवी स्क्रीनिंग की जाएगी। श्रीपडि़ला महादेव स्थित सीआरपीएफ कैंप, आरएएफ कैंप और नैनी जेल में एचआइ्रवी पर आधारित संगोष्ठी का आयोजन होगा। दोपहर दो बजे स्टैनली रोड स्थित डीटीओ कार्यालय से रैली का आयोजन होगा। इसके अलावा हाई रिस्क एरिया करेली मलिन बस्ती में भी स्वास्थ्य विभाग कैंप लगाएगा।

जो मरीज माइग्रेंट्स हो चुके हैं उनकी तलाश की जा रही है। कई मरीजों को पुन: चिंहित करने की कवायद भी जारी है। लोग लोकलाज के भय से भी दवा लेने में कतराते हैं और दूसरे जिलों में इलाज कराते हैं।

डॉ। रोहित, डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट मैनेजर, डाप्कू