सिंगापुर में समुद्रों की रक्षा पर बुलाए गए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट ज़ेलिक ने कहा, "दुनियां के समुद्र और महासागर गंभीर ख़तरे में हैं और इन्हें बचाने के लिए तत्काल संकट संदेश भेजा जाना चाहिए। हमें अपने समुद्रों को बचाना है."

रॉबर्ट ज़ेलिक ने कहा कि तक़रीबन 85 फ़ीसद समुद्री जीवों का शिकार किया जा चुका है, या उनका ज़रूरत से ज़्यादा शोषण हुआ है या वो ख़त्म हो चुके हैं।

सत्य

विश्व बैंक के अध्यक्ष ने कहा, "सच को छुपाया नहीं जा सकता है और सच तो ये है कि हम इन्हें बचाने के लिए बहुत कुछ नहीं कर रहे हैं, हमें इसमें बहुत सफलता नहीं मिल पा रही है और समुद्रीय वातावरण को भारी क्षति पहुंच रही है और समुद्र नष्ट हो रहे हैं."

विश्व बैंक की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि समुद्रो को बचाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन तैयार किया जा रहा है जिसमें सरकारें, नागरिक, सामाजिक और वैज्ञानिक संस्थाएं और निजी संगठन शामिल होंगे।

विश्व बैंक ने कहा है कि उसका लक्ष्य इस काम के लिए पांच सालों के दौरान 1.5 अरब डॉलर की राशि इकट्ठा करना है। रॉबर्ट ज़ेलिक ने समुद्र रक्षा अंतरराष्ट्रीय साझा कार्यक्रम के लिए कई लक्ष्य भी निर्धारित किए, जिसमें विश्व भर के मतस्य स्टॉक को अगले 10 सालों में दुगुना किया जाना शामिल है।

उन्होंने सुरक्षित समुद्रीय क्षेत्रों को दोगुना करने का प्रस्ताव भी रखा।

आर्थिक क़ीमत

उनका कहना था कि जहां ज़मीन का 12 प्रतिशत क्षेत्र सुरक्षित घोषित किया जा चुका है वहीं जलीय क्षेत्र के मामले में ये आंकड़ा महज़ दो प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि अगर इस मामले में जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो इसका व्यापक आर्थिक प्रभाव पड़ेगा।

विश्व भर में करोड़ो लोग रोज़गार और भोजन के लिए जलीय क्षेत्रों पर निर्भर करते हैं और आने वाले दिनों में जबकि दुनियां की आबादी लगभग नौ अरब के आंकड़े को छू लेगी, ये निर्भरता और बढ़ेगी।

सिर्फ़ इतना ही नहीं समुद्र ऑक्सीजन की सप्लाई का सबसे बड़ा स्रोत है और जलवायु नियंत्रित करने में उसकी अहम भूमिका है। समुद्र के किनारे मौजूद आर्द्र क्षेत्र और 'रीफ़' तटीय इलाक़ों को समुद्री तूफ़ानों और दूसरे ऐसे प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखते हैं।

विश्व बैंक का लक्ष्य है कि मछली उद्योग से होने वाले सालाना मुनाफ़े को 20 अरब से 30 अरब डॉलर के बीच ले जाया जाए। फ़िलहाल इस क्षेत्र में पांच अरब डॉलर का वार्षिक नुक़सान होता है।

International News inextlive from World News Desk