-व‌र्ल्ड चाइल्ड प्रोटेक्शन वीक स्पेशल

-यमुनापार की स्थिति खराब, शहर में कम नहीं है ऐसे बच्चों की संख्या

<-व‌र्ल्ड चाइल्ड प्रोटेक्शन वीक स्पेशल

-यमुनापार की स्थिति खराब, शहर में कम नहीं है ऐसे बच्चों की संख्या

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: भागदौड़ भरी जिंदगी और प्रेगनेंसी के दौरान अपना ख्याल नहीं रख पाने की सजा पेट में पल रहे मासूम को भुगतनी पड़ रही है। जिले में कुपोषित बच्चों की तादाद अच्छी-खासी हो चुकी है। गवर्नमेंट की ओर से भले ही कई अभियान चलाए जा रहे हैं लेकिन इनका रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं रहा है।

किस बात की मिल रही सजा

एक समय था जब रूरल और स्लम एरियाज के बच्चे ही कुपोषण की श्रेणी में आते थे लेकिन अब यह दायरा बढ़ चुका है। अर्बन एरिया के मिडिल और अपर मिडिल क्लास के बच्चे भी इसकी चपेट में आ चुके हैं। तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी के चलते माताएं प्रेगनेंसी के दौरान अपनी देखभाल नहीं कर पा रही और नतीजतन बच्चों की ग्रोथ एज के अकार्डिग नहीं हो पाती। शहरी क्षेत्र में पांच साल के तक के बच्चों में कुपोषण का सबसे बड़ा कारण प्रॉपर न्यूट्रिशन की कमी है। ऐसे बच्चे बेटर डाइट की जगह फास्ट फूड पर ज्यादा निर्भर हैं। हेल्थ ऑफिसर्स और डॉक्टर्स मानते हैं कि ऐसे बच्चों का वजन उनकी एज के हिसाब से कम होता है।

फ्म् फीसदी हैं कुपोषित

हेल्थ डिपार्टमेंट कुपोषण की पहचान तीन कटेगरी में करता है। इनमें बच्चे की एज के हिसाब से उसका वजन मॉनीटर किया जाता है। पांच फीसदी कम वजन होने पर बच्चे साधारण, क्0 फीसदी से कम वजन होने पर मीडियम और क्भ् फीसदी से कम वजन होने पर अति कुपोषण की श्रेणी में बच्चे को रखा जाता है। आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में जिले में कुल फ्म् फीसदी कुपोषित बच्चे हैं। इनमें से फ्भ् फीसदी मीडियम और 0.7 फीसदी अति कुपोषित हैं।

एक हजार में भ्9 की हो जाती है मौत

आंकड़ों के अनुसार जिले में हर साल प्रत्येक एक हजार बच्चों पर भ्9 बच्चे कुपोषण से मौत के शिकार हो रहे हैं। मार्टेलिटी रेट पर रोक लगाने के लिए लगातार नए अभियान चलाए भी जा रहे हैं। कुपोषण के मामले में यमुनापार के इलाके सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति में हैं। कोरांव, करछना, मेजा और शंकरगढ़ आदि जगहों से सबसे अधिक कुपोषित बच्चों की मौत होती है। ऐसे बच्चे एक के बाद एक कई खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। खासतौर से सूखा रोग यानी रिकेट्स के चलते आंखों के आसपास सूजन आ जाती है, वजन कम हो जाता है, हेपेटाइटिस लॉस होने के अलावा डायरिया की चपेट में आ जाते हैं। बॉडी का मेटोबोलिक सिस्टम खराब हो जाने से उनकी मौत हो जाती है।

चार जून से चलाया जाएगा मेगा अभियान

व‌र्ल्ड चाइल्ड प्रोटेक्शन वीक के चलते चार जून से जिले में बाल स्वास्थ्य पोषण माह की शुरुआत की जा रही है। इसके तहत हेल्थ डिपार्टमेंट को फ्0 जून से पहले पाच वर्ष से कम उम्र के 7.क्ख् लाख बच्चों को विटामिन ए की डोज देनी होगी। यह अभियान डोर टू डोर चलाया जाएगा। इतना ही नहीं चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में एनआरसी वार्ड बनाकर कुपोषित बच्चों को क्ब् दिन तक विशेष न्यूट्रिशन दिया जाता है। इस दौरान माताओं को पर डे क्भ्0 रुपए भी दिए जाते हैं। बच्चों का फॉलोअप करने के लिए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पर चाइल्ड म्00 रुपए का मानदेय भी दिया जाता है।

ये हैं कुपोषण के कारण

-अर्ली प्रेगनेंसी के दौरान बच्चे की ग्रोथ रुक जाना

-मां का खानपान

-बच्चे का डायरिया या सूखारोग की चपेट में आना

-प्रॉपर चाइल्ड इम्युनाइजेशन की कमी

-सिक्स मंथ प्रॉपर ब्रेस्ट फीडिंग न हो पाना

-फास्ट फूड का अधिक सेवन

-पहले रूरल एरिया में कुपोषण की समस्या थी लेकिन अब यह अर्बन एरियाज में भी पैर पसार रहा है। प्रॉपर डाइट की जगह बच्चों को फास्ट फूड देना या माताओं द्वारा ब्रेस्ट फीडिंग से परहेज करना भी इसका एक बड़ा कारण है। लोगों को जागरुक करने व मृत्यु दर पर रोक लगाने के लिए लगातार विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।

-डॉ। कैप्टन आशुतोष कुमार,

एसीएमओ, हेल्थ डिपार्टमेंट