-शहर की चार से पांच प्रतिशत जनता डिप्रेशन की मरीज

-कॅरियर और रिटायरमेंट की चिंता से बढ़ रहा डिप्रेशन

<-शहर की चार से पांच प्रतिशत जनता डिप्रेशन की मरीज

-कॅरियर और रिटायरमेंट की चिंता से बढ़ रहा डिप्रेशन

BAREILLY:

BAREILLY:

बीमारियों के इलाज में मेडिकल साइंस ने जितनी उन्नति की है, उतनी ही नई चुनौतियां भी बढ़ती गई हैं। बीमारियों की जल्द पहचान कर इलाज करना मेडिकल साइंस की प्राथमिकता है। लेकिन बीमारी अगर दबे पांव इंसान को दबोच ले और मरीज को इसकी भनक तक लगे, तो यह स्थिति गंभीर हो जाती है। डिप्रेशन ऐसी ही एक साइलेंट बीमारी है, जो अंदर ही अंदर इंसान को खोखला कर उसे हार्ट अटैक, स्ट्रोक व डायबिटीज जैसी जानलेवा बीमारियों के मुहाने पर भी धकेल रही। तेज रफ्तार जिंदगी के साथ होड़ लगाने की कोशिश सेहत को तोड़ रही। बरेली शहर में हर ख्0वां इंसान डिप्रेशन की चपेट में आ गया है। यह आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है। व‌र्ल्ड डिप्रेशन डे के मौके पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की एक ि1रपोर्ट।

स्मार्टफोन ने दी बीमारी

इंटरनेट और स्मार्ट फोन के बढ़ते इस्तेमाल ने लाइफ को आसान करने के साथ ही बीमार भी किया है। स्मार्टफोन व इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता ने लोगों को डिप्रेशन के खतरे में ला खड़ा किया है। वहीं बिजी लाइफ स्टाइल, कॅरियर की चिंता, और रिटायरमेंट के बाद अकेलेपन की टेंशन ने भी लोगों में डिप्रेशन का ग्राफ बढ़ता दिया है। युवा खास-तौर से डिप्रेशन के खतरे में हैं। वहीं एक्सप‌र्ट्स ने बच्चों में भी डिप्रेशन की बीमारी तेजी से फैलने पर चिंता जताई है। टीवी-कम्प्यूटर, गेमिंग और वर्चुअल व‌र्ल्ड पर बीत रहा बचपन अकेलेपन के चलते डिप्रेशन का शिकार हो रहा है। ऐसे में क्फ् से क्ब् साल के बच्चे भी डिप्रेशन के मरीज बन रहे हैं।

कॅरियर और अकेलापन वजह

डिप्रेशन के बढ़ते खतरे पर मनोचिकित्सक डॉ। वीके श्रीवास्तव ने हैरान करने वाली जानकारी दी। उन्होंने बताया डिप्रेशन किसी भी एज में हो सकता है। लेकिन, डिप्रेशन के ज्यादातर शिकार ख्0 से फ्0 वर्ग की आयु वाले युवा होते हैं। वजह, युवाओं में बढ़ती कॅरियर की चिंता। कॅरियर में मनचाहा रिजल्ट नहीं मिलने पर युवा डिप्रेशन की चपेट में आ जाते हैं। वहीं, दूसरे नम्बर पर डिप्रेशन की चपेट में आने वाले सबसे ज्यादा भ्0 -म्0 साल की आयु वर्ग के लोग हैं। इस उम्र के लोगों में रिटायरमेंट होने से पहले ही या होने के बाद अकेलेपन की कमी महसूस होने लगती है। यही अकेलापन उन्हें डिप्रेशन की शिकार बना रहा।

ख्0 फीसदी मरीज बढ़े

एक्सपर्ट ने बताया कि पिछले कुछ वर्षो के दौरान शहर में डिप्रेशन से पीडि़त मरीजों की तादाद में ख्0 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।

एक्सपर्ट के मुताबिक करीब भ् साल पहले तक दिमागी परेशानियों का इलाज कराने पहुंचने वाले मरीजों का आंकड़ा भ्0 फीसदी तक रहता था। लेकिन, बीते ब्-भ् साल के दौरान कुल मरीजों की तादाद में डिप्रेशन से परेशान लोगों में ख्0 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। रोजाना औसतन क्00 में से करीब 70 मरीज डिप्रेशन का इलाज के लिए पहुंच रहे। एक्सपर्ट ने बताया कि शहर की करीब भ् फीसदी जनता डिप्रेशन की चपेट में है। डिप्रेशन के लक्षण नजर आते ही उसे हल्के में न लें, तुरंत डॉक्टरी सलाह लें।

यह हैं डिप्रेशन के लक्षण

-मन का उदास रहना।

-काम में मन नहीं लगना।

-जिंदगी में खुशी महसूस नहीं होना।

-जिंदगी में नीरसता लगना।

-कार्य क्षमता में कमी आना।

-बैचेनी और घबराहट लगना।

-भूख नहीं लगना।

-नींद का नहीं आना।

-आत्महत्या का विचार आना।

डिप्रेशन से बचने के उपाय

-बिजी लाइफ स्टाइल में से खुद और परिवार के लिए समय निकालें।

-सामाजिक मेलजोल बढ़ाएं।

-फिल्म, सीरियल या थिएटर देखें।

-इंटरनेट और मोबाइल का कम से कम से प्रयोग करें।

-मोबाइल पर लम्बे समय तक बात नहीं करें।

-परिवार के साथ पिकनिक और टूर पर जाएं।

-खाली समय में सॉफ्ट म्यूजिक सुनें।

-रोजाना योगा और मेडिटेशन करें।

आंकड़े

शहर में हर भ्वां इंसान डिप्रेशन का शिकार

डिप्रेशन के सबसे अधिक शिकार- ख्0 -फ्0 साल और भ्0-म्0 साल एजग्रुप के लोग

डिप्रेशन का सबसे ज्यादा असर-ख्0 से फ्0 साल के युवा वर्ग पर

डिप्रेशन बढ़ने का कारण-मोबाइल, व्हाट्सएप, बिजी लाइफ स्टाइल और तनाव

कॅरियर की चिंता के कारण डिप्रेशन का असर सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी पर

डॉक्टर्स के यहां आने वाले डिप्रेशन के मरीजों की संख्या में इजाफा-ख्0 फीसदी