जानलेवा है यह लत
वल्र्ड में हर साल टोबैको की वजह से करीब 5.5 मिलियन लोगों की डेथ  होती है। इसी तरह इंडिया में हर साल 9 लाख लोगों की इसके चलते मौत हो जाती है। अगर जमशेदपुर की बात की जाए तो यहां वर्ष 2010 से 2012 के दौरान ओरल कैंसर के 603 मामले आए। इनमें मेल की संख्या 433 है जबकि 170 फीमेल इसकी चपेट में हैं। इनमें से ज्यादातर मामले की वजह टोबैको यूज करना बताई जा रही है।

नहीं है ban का असर
इसे देखते हुए झारखंड में जुलाई 2012 में गुटखा पर बैन लगाया गया था। फूड सेफ्टी एक्ट के तहत लगाए गए इस बैन के जरिए स्टेट में गुटखा के मैन्यूफैक्चरिंग, स्टोरेज और सेल पर रोक लगाई गई, लेकिन इसका असर सिटी में पड़ता नहीं दिखाई देता। सिटी में अभी भी गुटखे की धड़ल्ले से सेल की जारी है। कई होलसेलर और रिटेलर चोरी छुपे गुटखा बेचते हैं पर हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से इस पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया जा रहा।

Smoking पर नहीं है रोक
रूल्स के अकॉर्डिंग किसी भी पब्लिक प्लेस पर स्मोक करना इलीगल है। सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट के तहत किसी भी हॉस्पिटल बिल्डिंग, रेलवे वेटिंग रूम, अम्यूजमेंट सेंटर, रेस्टोरेंट, पब्लिक ऑफिसेज, कोर्ट बिल्डिंग्स, एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स सहित सभी भीड़ वाली जगहों पर स्मोकिंग पर रोक है। पर सिटी में इसका वॉयलेशन किया जाता है, लेकिन एडमिनिस्ट्रेशन का इस तरफ ध्यान नहीं जाता।

खतरनाक है second hand smoking
मेहरबाई टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ अमित कुमार के अकॉर्डिंग सेकेंड हेंड स्मोकिंग का असर ज्यादा खतरनाक है। उन्होंने बताया कि सिगरेट का 66 परसेंट धुआं स्मोकिंग करने वालों के शरीर में नहीं बल्कि आसपास के परिवेश में फैलता है। इस धुएं में निकोटीन, टार, कार्बन मोनोऑक्साइड, अमोनिया, कैडमियम जैसे जहरीले गैसेज की मात्रा कई गुना ज्यादा होती है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से लंग कैंसर, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस सहित कई तरह की बीमारियां होती हैं।

गुटखा की बिक्री पर बैन और पब्लिक प्लेसेज में स्मोकिंग को रोकने के लिए हर एरिया के थाना इंचार्ज को आदेश दिया गया है। समय-समय पर इस मामले में कार्रवाई की जाती है।
-केएन चौधरी, सिटी डीएसपी

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in