- नो स्मोकिंग डे पर विशेष

- छोटे-छोटे कारणों से बन जाती है स्मोकिंग और तंबाकू खाने की आदतत

Meerut : हम हमेशा तंबाकू और सिगरेट से होने वाले नुकसान और बीमारियों की बात करते रहे हैं। हमारी इस बात पर चिंता रही है कि देश और दुनिया में मुंह और लंग्स कैंसर से मरने वालों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। तंबाकू निषेध दिवस के मौके पर इस बार ये चर्चा करेंगे कि हम तंबाकू सेवन और धुम्रपान करते ही क्यों हैं? आखिर वो कौन सी वजहें हैं, जिससे बाद में इन सब चीजों के आदी हो जाते हैं? आइए उन तमाम कारणों के बारे में चर्चा करते हैं

क्। संगत का असर

कहावत है जैसी संगत, वैसी रंगत। स्मोकिंग करने और तंबाकू खाने वालों में ये सबसे सटीक बैठती हैं। बहुत कम लोग ऐसे होंगे जो स्मोकिंग करने वाले दोस्तों के साथ रहते हों और खुद स्मोकिंग और तंबाकू न खाते हों। अपने दोस्तों को स्मोकिंग करने या तंबाकू खाते देख एक बार तो जरूर मन करता है कि एक बार तो ट्राई कर लिया जाए। कुछ दोस्त या साथी तो ऐसे होते हैं जो पहले अपनी जेब से इन सब चीजों की आदत डलवाते हैं और बाद में वो खुद ही शुरू कर देता है।

ख्। स्टेटस सिंबल

मौजूदा माहौल में स्मोकिंग एक स्टेटस सिंबल बन चुका है। खासकर यूथ में इसका क्रेज कुछ ज्यादा ही है। पेज थ्री पार्टीज और हाई सोसायटी के फंक्शन में अब ये आम बात बन चुकी है। हर युवा ये दिखाने की कोशिश करने में लगा है कि उसका स्टेटस कितना ऊंचा है और वो इतनी उम्र में सिगरेट एफोर्ड कर रहा है। खासकर सिगरेट के ब्रांड को लेकर भी यूथ में चूजी होते हैं। जब उन्हें अपने स्टेटस को शो करना होता है तो वो बड़े ब्रांड की सिगरेट यूज करता है।

फ्। सेल्फ कंट्रोल की कमी

आज के दौर में युवा अपने अंदर कंट्रोल कर पाने में अक्षम होते हैं। खासकर दूसरे को बुरा काम करते देख उन्हें भी एक इच्छा होती है कि क्यों न एक बार करके देखा जाए? यही उन्हें आगे नुकसान पहुंचाता है। कुछ ऐसा ही सिगरेट और तंबाकू के साथ भी है। अपने बड़ों, सीनियर्स और दोस्तों को देखकर उन्हें एक बार ये बस करने का मन करता है। जब कोई उन्हें पकड़ पाता तब तक वो इस काम करते हैं। बाद में यही उनकी आदत में शुमार हो जाता है।

ब्। जिज्ञासा

क्योरिसिटी के कारण भी आज का यूथ तंबाकू और स्मोकिंग की ओर बढ़ रहा है। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर यूनिवर्सिटी के फ‌र्स्ट ईयर के स्टूडेंट ने बताया कि जब उसने पहली बार स्मोक किया था तो उसका सिर्फ एक मोटिव था कि आखिर इसका टेस्ट कैसा है? तीन-चार बार स्मोक करने से तो टेस्ट के बारे में पता ही नहीं चला। इसी क्योरिसिटी की वजह से मुझे सिगरेट की आदत पड़ गई। अब मैं दिन में पांच या छह सिगरेट ही पी जाता हूं।

भ्। मेच्योर दिखने की चाहत

कई लोगों को अपने बड़े उम्र के लोगों के साथ दोस्ती करने का शौक होता है। उनमें अपनी जगह बनाने के लिए सिगरेट और तंबाकू खाने की आदत डाल लेते हैं। इससे वो उनमें अपनी जगह तो बना लेते हैं, लेकिन बाद में उन्हें काफी दिक्कतों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उसके हमउम्र और छोटी उम्र के लोगों के बच्चे दूरियां भी बना लेते हैं। जानकारों की मानें तो ऐसे लोगों के साथ लोग मिलना-जुलना कम ही पसंद करते हैं, जो अपने आपको वक्त से मेच्योर बनाने की कोशिश में स्मोकिंग और तंबाकू खाना शुरू कर देते हैं।

म्। साइकोलॉजिकल फैक्टर

सिगरेट और तंबाकू खाने की आदत में किसी भी इनसान का साइकोलॉजिकल फैक्टर भी काम करता है। कोई स्मोकिंग सिर्फ टेंशन में करता है। तो कोई सिर में दर्द न हो इसलिए तंबाकू खाता है। आपने कई लोगों को खाना खाने के बाद सिगरेट पीते हुए देखा होगा। ताकि उसका हाजमा ठीक रह सके। इस तरह की भ्रांतियां भी आज के यूथ में स्मोकिंग और तंबाकू की आदत डाल रही है।

7. दोस्तों में रौब झाड़ने के लिए

कुछ ऐसे भी हैं जो दोस्तों में रौब झाड़ने के लिए भी स्मोकिंग और तंबाकू खाना शुरू करते हैं। ये रौब और कुछ नहीं अपने आपको सुपीरियर साबित करने के लिए होता है। रंगसाज मोहल्ला निवासी सुनील पाल की मानें तो मैं स्कूल टाइम से स्मोकिंग करने लगा था। मैंने स्मोकिंग इसलिए शुरू की ताकि मैं अपने दोस्तों के ग्रुप में सुपीरियर बन जाऊं। सिगरेट पीने के बाद सभी दोस्तों पर इम्प्रेशन भी काफी पड़ता और और एक अलग रौब भी आ जाता था, लेकिन ये तरीका गलत था।

8. सम्मान के लिए ्र

मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले अरविंद सिंह ने सबसे पहले सिगरेट अपने सीनियर के कहने पर ही पी थी। अरविंद बताते हैं कि मैंने तीन साल पहले जब कंपनी ज्वाइन की थी तो एक सीनियर की फेयरवेल पार्टी ऑर्गनाइज हुई। सब स्मोकिंग और ड्रिंकिंग में मशगूल थे। तो एक सीनियर ने मुझे सिगरेट ऑफर की। पहले तो मैं थोड़ा झिझका जब उन्होंने थोड़ा प्रेशर दिया तो उनका मान रखने के लिए मुझे सिगरेट पी। उसके बाद ये सिलसिला रोज का हो गया। मुझे कंपनी छोड़े डेढ़ साल हो गया, लेकिन वो आदत मुझे पड़ गई।

9. दोस्तों के कहने पर

'यार एक कश से कोई फर्क नहीं पड़ता', 'अरे यार किसी को कुछ नहीं पता चलेगा', 'नखरे मत कर माउथ फ्रेशनर खा लियो'। ये कुछ ऐसी डायलॉग हैं जब आपको आपके दोस्तों ने पहली बार सिगरेट पीने के लिए मोटिवेट किया होगा। ताज्जुब की बात तो ये है कि पेरेंट्स के मना करने पर, टीवी पर खतरनाक एडवरटीजमेंट देखने के बाद, डॉक्टर्स की हिदायत को न मानते हुए हम अपने दोस्तों की बातों में आ जाते हैं। वहीं से शुरू हो जाती है जिंदगी को धुंए में उड़ाने की कहानी।

क्0. अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए

ऐसा भी देखने में आया है कि कुछ लोग पहली बार सिगरेट पीना अपनी प्रेजेंस दिखाने के लिए भी करते हैं। ताकि लोग उन्हें नोटिस कर सके। फिर उन्हें इस हरकत से क्रिटिज्म मिले या कुछ और लेकिन वो नोटिस में जरूर आ जाते हैं। यही नोटिस कराने की बात ही एक दिन आदत में शुमार हो जाती हैं। क्योंकि वो हर बार इसी ट्रिक को अपनाता है।