कानपुर। आज यानी कि 08 मई को दुनियाभर में वर्ल्ड रेड क्रॉस डे मनाया जा रहा है। बता दें कि रेडक्रॉस एक संस्था है, जो युद्ध में घायल हुए लोगों और आकस्मिक दुघर्टनाओं व आपातकाल की स्थिति में मदद करती है। इसके साथ यह लोगों को स्वास्थ के प्रति जागरूक रखने में भी मदद करती है। रेड क्रॉस की स्थापना जीन हेनरी डयूनेन्ट ने 1863 में की थी। इनके ही जन्मदिन के अवसर पर हर साल 8 मई काे विश्व रेड क्रॉस (Red Cross) डे मनाया जाता है। इसका मुख्यालय जनेवा में है। जीन हेनरी डयूनेन्ट काे उनकी मानव सेवा के लिए 1901 में पहला नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) दिया गया था। रेड क्रॉस ने प्रथम विश्व युद्ध और द्वतीय विश्व युद्ध में अपनी अहम भूमिका निभाते हुऐ घायल सैनिकों और नागरिकों की मदद की थी। इन्ही कार्यों की बदौलत 1917 में इस संंस्था को नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था। वैसे तो रेड क्रॉस दुनिया भर में आपदा प्रभावित लोगों के लिए काम करती है लेकिन हाल ही में भारत और बांग्लादेश में आये 'फेनी' चक्रवात के दौरान और उसके बाद रेड क्रॉस ने लोगों की किस तरह से मदद की, आइये उसके बारे में जानें।

कई लोगों को बचाया

'फेनी' तूफान ने 3 मई को भारत के ओडिशा में भारी तबाही मचाई थी लेकिन इस आपदा की पहले से ही भविष्यवाणी कर ली गई थी, जिसके चलते ओडिशा में सभी लोगों को बचा लिया गया। लोगों तक 'फेनी' का संदेश पहुंचाने और उन्हें बचाने के लिए ओडिशा में भारतीय रेड क्रॉस के करीब 1,500 कार्यकर्ताओं ने पहले ही काम करना शुरू कर दिया था। इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी और बांग्लादेश रेड क्रिसेंट सोसाइटी ने मिलकर लोगों की मदद की। इंडियन रेड क्रॉस ने ओडिशा राज्य में 65 आश्रयों का इंतजाम किया था और कमजोर लोगों को निकालने में मदद की। रेडक्रॉस आश्रयों में 15,000 से अधिक लोग रुके थे। रेड क्रॉस के कार्यकर्ता पहले से ही लोगों को सुरक्षित रखने के लिए फर्स्ट ऐड के साथ तैयार थे। रेड क्रॉस के कार्यकर्ताओं ने 'फेनी' आने से पहले भारत में, लगभग 1.1 मिलियन लोगों को तट से हटाया और बांग्लादेश में, 1.6 मिलियन लोगों को बचाया।

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अब तक हुईं 15 मौतें

'फेनी' तूफान से अब तक लगभग 15 मौतें हो चुकी हैं और सैकड़ों घरों को नुकसान पहुंचा है। भारत और बांग्लादेश के प्रभावित इलाकों में बड़े पैमाने पर सफाई अभियान चल रहा है, रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट अब तक यह आकलन कर रहे हैं कि लोगों को क्या मदद चाहिए। इसके अलावा भारत और बांग्लादेश में रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट के कार्यकर्ता सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर प्रभावित लोगों की हर संभव मदद कर रहे हैं।

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