कानपुर। आज यानी कि 20 जून को दुनिया भर में वर्ल्ड रिफ्यूजी डे मनाया जा रहा है। दुनिया में युद्ध और हिंसा की वजह से लाखों लोग अपना देश या शहर छोड़ रहे हैं और शरणार्थी बनने को मजबूर हैं। गल्फ न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र का हवाला देते हुए बताया है कि 2018 में, हर दूसरा शरणार्थी एक बच्चा था, जिसमें 111,000 बच्चे अपने परिवारों से बिछड़कर अकेले हो गए। युगांडा सरकार ने बताया कि उन्हें पांच या उससे कम उम्र के 2,800 शरणार्थी बच्चों की सूचना मिली, जो किसी तरह अपने परिवारों से अलग हो गए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में दुनिया में सबसे ज्यादा शरणार्थी सीरिया के थे। यहां पिछले साल 67 लाख लोग बेघर हो गए थे।

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शरणार्थियों में 48 प्रतिशत महिलाएं

2016 और 2017 के बीच दुनिया में शरणार्थियों की संख्या सबसे ज्यादा 29 लाख बढ़ी, इससे पहले किसी एक साल में शरणार्थी बनने की संख्या इतनी नहीं पहुंच पाई थी। बता दें कि 2018 में हर दूसरे सेकंड में एक व्यक्ति और प्रति दिन करीब 37,000 से अधिक लोग अपने ही घर को छोड़ने पर मजबूर हो गए। ज्यादातर लोगों को अपने ही देश में अलग जाकर रहना पड़ा। 2018 के अंत तक दुनिया में 287 करोड़ लोग बेघर होकर शरणार्थियों की श्रेणी में आ गए। पिछले साल सबसे अधिक इथोपिया में लोग बेघर हुए, वहां 15,60, 800 लोगों ने अपने घरों को छोड़ा, जिनमें 98 प्रतिशत लोग अपने ही देश में किसी अन्य जगह पर जाकर रहने लगे। 2017 में जारी हुई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया था कि दुनिया के शरणार्थियों में 48 प्रतिशत महिलाएं हैं।

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