- एमडीआर व एक्सडीआर टीबी के मरीजों की बढ़ती संख्या नई चुनौती

- दवा बीच में ही छोड़ दिया जाना बढ़ा रहा मौतों का आंकड़ा

एमडीआर व एक्सडीआर के केस
आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते दो साल में ही काफी अंतर दिख रहा है। 2016 में 4073 मरीजों का पंजीकरण इलाज के लिए हुआ था जिनमें 165 मरीजों की मौत हुई थी। वहीं, 2017 में जिले में 5509 मरीज पंजीकृत किए गए। इन मरीजों का इलाज भी शुरू किया गया लेकिन करीब 66 मरीजों की मौत हो गई.जिले में 2016 से अब तक एमडीआर टीबी के 212, एक्सडीआर टीबी के 30 तथा टीबी-एचआईवी के 23 मरीजों को पंजीकृत कर इलाज किया जा रहा है। टीबी उन्मूलन के लिए जनवरी 2018 से शुरू किए गए एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान के दो चरणों में अभी तक 253 टीबी मरीजों की पहचान की गई है। वहीं, जिले में साल 2017 में 2880 टीबी केस प्राइवेट डॉक्टर्स के पास पहुंचे थे।

सीबीनेट बता देता है बीमारी
हाल के दिनों में टीबी के इलाज व जांच में काफी सुविधाएं बढ़ी हैं। सीबी नेट मशीन से टीबी दवाओं के प्रभावशीलता की जांच की जा रही है। जिससे पता चल रहा है कि मरीज किस तरह की टीबी से पीडि़त है।

टीबी के लक्षण
- दो हफ्ते से अधिक खांसी आना

- ज्यादातर शाम को बुखार होना

- भूख न लगना

- वजन कम होना

- खांसी में खून आना

टीबी से बचाव
- मरीज की जल्द से जल्द जांच तथा इलाज जिससे उसके द्वारा अन्य को संक्रमण न हो।

- मुंह पर रुमाल या कपड़ा रखकर खांसें।

- बलगम को ढक्कन वाले डिब्बे में ही थूकें तथा जमीन में गाड़ दें।

- शरीर स्वस्थ रखें, पौष्टिक भोजन लें। - स्वस्थ शरीर में इसके संक्रमण का खतरा कम रहता है।

इलाज
- इसमें मुख्य जांच बलगम से की जाती है जोकि प्रत्येक शहर व गांव में मुफ्त उपलब्ध है।

- मशीन के जरिए एमडीआर टीम के मरीजों का पता दो घंटे में लगाया जा सकता है।

- इसका इलाज सरकारी अस्पताल में मुफ्त उपलब्ध है तथा निजी अस्पताल में भी इसका इलाज कराया जा सकता है।

जिले के आंकड़े
- 2016 में जिला क्षय रोग विभाग में रजिस्टर्ड टीबी मरीज - 4973

- टीबी से मरने वालों की संख्या - 165

- वर्ष 2017 में टीबी मरीज रजिस्टर्ड - 5509

- टीबी से मरने वालों की संख्या - 66

- एमडीआर - 212

- एक्सडीआर - 30

- टीबी व एचआईवी - 23

- निजी अस्पतालों में टीबी मरीजों की संख्या - 2880

- एक्टिव केस फाइंडिंग के तहत मरीजों की संख्या - 253

देश को टीबी से पूर्णत: मुक्त किया जा सकता
टीबी शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। जैसे कि फेफड़ा, हृदय, हड्डी, गला, पेट एवं आंत। गर्दन पर पाई जाने वाली गिल्टियां भी अधिकतर टीबी की वजह से ही होती हैं। शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित करने वाली टीबी जानलेवा साबित हो सकती है। हर प्रकार की टीबी का मुफ्त इलाज बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी व चेस्ट विभाग में मुफ्त उपलब्ध है। एमडीआर टीबी से बचने का एक मात्र उपाय यही है कि टीबी का पता चलते ही इलाज तत्काल विशेषज्ञ की देखरेख एवं उसके परामर्श अनुसार शुरू कर पूर्ण किया जाए। सही निदान एवं पूरे इलाज से देश को टीबी से पूर्णत: मुक्त किया जा सकता है।
- डॉ। अश्विनी कुमार मिश्रा, एचओडी टीबी व चेस्ट विभाग बीआरडी

पूरा कोर्स दवा का नहीं लिया
जिन मरीजों की मौत हुई है उन्होंने पूरा कोर्स दवा का नहीं लिया। मरीजों ने दवाओं को बीच में ही छोड़ दिया जिससे उनकी मौत हो गई।
- डॉ। रामेश्वर मिश्र, जिला क्षय रोग अधिकारी