- फ्रेंडशिप डे स्पेशल खबर

LUCKNOW : कभी छोटी-छोटी बातों पर लड़ना तो कभी मस्ती में टांग खींचना। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक साथ देना, बिना उसके खुशी का अधूरा लगना। बड़ी से बड़ी प्रॉब्लम भी उसके साथ से छोटी लगना है। एक ऐसा रिश्ता जिसे हम खुद बनाते हैं। इसमें ना उम्र की सीमा होती है और ना ही किसी प्रकार के बंधनों का जाल होता है। हम बात कर रहे हैं इस दुनिया के सबसे नायाब और खूबसूरत रिश्ते की, जिसे दोस्ती का नाम दिया गया है। हम आपको फ्रेंडशिप डे पर कुछ ऐसी शख्सियत से रूबरू करा रहें हैं जिन्होंने दुनिया के सामने दोस्ती की एक मिसाल पेश की है।

शब्दों में बयां नहीं कर सकती

आपने बेजुबान और इंसान की दोस्ती के किस्से-कहानी बहुत सुने और पढ़े होंगे। आज हम आपको ऐसी ही एक शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने दोस्ती की मिशाल पेश की। हम बात कर रहे हैं हजरतगंज मकबरा के पास रहने वाली पेशे से टीचर कैरोलाइन बौश्जेस की जिनके बेस्ट फ्रेंड उनके डॉग्स हैं। इनके पास घर पर करीब 14 डॉग्स हैं, जिसके साथ वह अपना खास समय गुजारती हैं। कैरोलाइन बताती हैं कि खास दोस्तों की बात की जाए तो मेरे डॉग्स मेरे बेस्ट फ्रेंड हैं। मुझे इनसे इतना लगाव है कि मैं इनको छोड़ नहीं सकती और यह मुझे नहीं छोड़ते। मेरे पास कई डॉग्स हैं जो मेरे घर पहुंचते ही मुझसे ऐसे लिपट जाते हैं जैसे बरसों से बिछड़े हैं। मेरे पास सिम्पू, मैगी, बब्बल्स, पैनी कई डॉग्स हैं। स्ट्रीट डॉग्स जिनको कोई नहीं पूछता वो मेरे पास बहुत हैं। उनके और मेरे बीच एक खास रिश्ता है जिसको इंसानी जुबान में दोस्ती कह सकते हैं। मुझे नहीं पता कि वह मेरे पास क्यों आ जाते हैं या मैं उनके बिना क्यों नही रह पाती। इसको मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती हूं।

जिस्म दो पर एक में बसती है जान

मतलब के लिए दोस्ती नहीं सौदा होता है। दीप सौरव और अरहान प्रताप सिंह की दोस्ती किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। दीप ने अपने दोस्त अरहान के सपने को पूरा करने के लिए अपने ख्वाब को अधूरा छोड़ दिया। अरहान ने बताया कि दीप पढ़ने में बहुत तेज था जबकि मैं कमजोर था। मैंने किसी तरह इंटर पास होने के बाद पटना में कोचिंग शुरू की और दीप लखनऊ आ गया। मेरी कोचिंग ठीक से नहीं चल पा रही थी, जब दीप को यह बात पता चला तो वह अपनी पॉकेट मनी के खर्चे पर हर हफ्ते-पंद्रह दिन में पटना आता था और कोचिंग के बच्चों को पढ़ाता था। करीब तीन साल तक ऐसे ही चलता रहा। उसने मेरे सपने के लिए अपना मॉडल बनने का सपना छोड़ दिया क्योंकि वो सारा पैसा लखनऊ से पटना जाने में लगा देता था। अब धीरे-धीरे कोचिंग सक्सेसफुल चलने लगी। हमारे जिस्म अलग हैं, लेकिन जान एक में में बसती है।

दोस्ती उम्र नहीं देखती

दोस्ती में उम्र का बंधन नहीं होता है। यह एक दिल का रिश्ता होता है। ऐसी ही दोस्ती ओमदीप मोतियानी और रिषभ अग्निहोत्री की है। जिनकी उम्र में करीब पंद्रह साल से ज्यादा का फर्क है, लेकिन दोनों के बीच दोस्ती बहुत ही खास है। ओमदीप बताते हैं कि वर्ष 2016 में फेसबुक के जरिये उनकी मुलाकात रिषभ से हुई थी। ओमदीप एक जाने माने कोरियोग्राफर हैं। रिषभ ने उन्हें एक दिन मैसेज किया कि मॉडलिंग करनी है। उसके लिए मुझे क्या करना होगा। उसके बाद ओमदीप और रिषभ की मुलाकात हुई और फिर ऐसी दोस्ती हुई कि लोग उनकी मिसाल देने लगे। लड़ना- झगड़ना, रुठना-मनाना सब वैसे ही होता है जैसे एक हम उम्र के दोस्तों के बीच होता है। आज दोनों अपनी अपनी फील्ड में काम कर रहे हैं। काम की अधिकता के बावजूद दोनों हफ्ते में एक बार जरूर मिलते हैं और एक दूसरे से अपनी प्रॉब्लम शेयर करते हैं। ओमदीप ने कहा कि रिषभ मुझसे उम्र में छोटा है, लेकिन वह मेरे सबसे खास दोस्तों में है क्योंकि हमारी सोच एक जैसी है। दोस्ती में जो उम्र का बंधन समझते हैं वे गलत हैं। दोस्त तो कोई भी बन सकता है।

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बाजारों में खूब बिके फ्रेंडशिप बैंड

फ्रेंडशिप डे से एक दिन पहले बाजारों में खूब रौनक रही। हर कोई अपने दोस्तों के लिए बैंड व गिफ्ट खरीदते नजर आया। हजरतगंज के जनपथ मार्केट में सबसे ज्यादा रौनक रही। यहां पर आकर्षक फ्रेंडशिप बैंड लोगों की पहली पसंद बने। ब्रेव फ्रेंड, वी लव यू, बेस्ट फ्रेंड समेत कई क्रिएटिव टैग लाइन लिखे बैंड सबसे ज्यादा बिके। इसके अलावा टैडी बियर भी काफी संख्या में बिके।