घरों से लेकर मंदिरों तक रहा उल्लास का मौसम

ALLAHABAD: चैत्र नवरात्र की नवमी तिथि को देवी स्वरूपा कुंवारी कन्याओं का पूजन किया गया। सुबह सात बजे नवमी तिथि लगते ही घरों से लेकर मंदिरों उल्लास का माहौल दिखाई देने लगा। परिजनों ने पंडितों की अगुवाई में हवन-पूजन करने के बाद विधि विधान से कन्या भोज और पूजन के लिए कन्याओं को आमंत्रित किया गया। कही नौ तो कही ग्यारह कन्याओं का पैर धुलाकर माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाया गया। जिन भक्तों ने घर पर पूजन नहीं किया उन लोगों ने मां अलोपशंकरी, मां कल्याणी देवी व मां ललिता देवी मंदिर के परिसर में जाकर कन्याओं का पूजन किया और दक्षिणा भी भेंट की।

उमड़ी आस्था, बाहर तक लगी कतार

नवरात्र के अंतिम दिन देवी मंदिरों में भोर से ही वातावरण देवी मय हो गया था। पं। श्यामजी पाठक की अगुवाई में मां के सिद्धिदात्री स्वरूप का पंच द्रव्य से अभिषेक किया गया तो राजा पंडित की देखरेख में मां ललिता देवी के दरबार को स्वर्ण आभूषण से सजाया गया था। भोर में चार बजे कपाट खुलते ही दोनों मंदिरों में बाहर तक भक्तों की कतार लगी रही। हाथों में पूजन सामग्री लेकर भक्तों का समूह जय माता दी का जयकारा लगाता रहा। मां खेमामाई का बहुरंगी फूलों से मनोरम श्रृंगार किया गया तो मां अलोपशंकरी का पालना छूने के साथ ही परिसर में स्थित देवी के नौ स्वरूपों का दर्शन कर भक्त निहाल हो उठे।

घरों में हुआ हवन-पूजन

नवमी तिथि को घरों में नौ दिन का व्रत रखने वाले लोगों ने हवन-पूजन कराया। पंडितों की अगुवाई में विधि विधान व वैदिक मंत्रोच्चार से मां का आहवान कर उनका पूजन-अर्चन किया गया। साथ ही यज्ञ कुंड में आहुतियां डाली गई।