- एकलव्य स्टेडियम में कुश्ती के लिए है कम स्थान

- 10 लड़कियां थीं कुश्ती में, सभी ने आना ही छोड़ा

आगरा। उधर, रियो ओलंपिक में देश के लिए पदक की शुरूआत करने वाली साक्षी मलिक आज समूचे देश का सितारा बन चुकी हैं। जबकि इधर, आगरा में भी ऐसी कई 'साक्षी' तैयार हो रहीं थीं, लेकिन सरकारी लापरवाही से ऐसा हो न सका।

बड़ा हॉल तक नहीं

एकलव्य स्टेडियम के कुश्ती खेल में एक समय लड़कियां भी लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश का नाम ऊंचा करने की सपना देखती थीं। छोटे कमरे में साथ प्रैक्टिस करना मुमकिन न था। लगातार प्रशासन को बड़े हॉल की व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया, लेकिन उनके कान में जूं भी नहीं रेंगी। परिणाम यह रहा कि सभी लड़कियों ने एकलव्य स्टेडियम से पलायन कर दिया। कुश्ती में यहां करीब 10 लड़कियां थीं, लेकिन अब यहां सिर्फ लड़के प्रैक्टिस करते हैं।

जूडो के कमरे में होती है प्रैक्टिस

एकलव्य स्टेडियम में अव्यवस्थाओं का यह आलम है कि यहां कुश्ती के लिए कोई जगह आवंटित नहीं है। जूडो के लिए आवंटित कमरे में ही खिलाडि़यों को प्रैक्टिस करनी होती है। जिन मैट्स पर खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं वो भी जूडो के हैं। जूडो में कोई खिलाड़ी नही होने पर यहां बे रोक-टोक प्रैक्टिस हो पाती है। लेकिन कभी जूडो के खिलाड़ी इकट्ठे होते हैं तो उन्हें जगह छोड़नी पड़ती है।

छोटे कमरे में हो जाते हैं चोटिल

छोटे कमरे में प्रैक्टिस करने में कई बार खिलाड़ी चोटिल भी हो जाते हैं। ऐसे में लड़के-लड़कियों का साथ प्रैक्टिस करना बेहद मुश्किल हो जाता है। खिलाडि़यों ने बताया कि बड़े हॉल की व्यवस्था करने के लिए उन्होंने कुछ बार खेल मंत्री को भी कहा जा चुका है, लेकिन वे भी टालते रहे।

नेशनल मेडलिस्ट भी रही है टीम में

लड़कियों की टीम में रही नीलम सोलंकी ने नेशनल चैम्पियनशिप में कांस्य पदक विजेता रही है। पिछले वर्ष जनवरी में उन्होंने पदक जीता था। टीम में और खिलाड़ी भी ऐसी थीं, जिनमें आगे काफी संभावनाएं दिख रही थी।

कोच ने कह दिया 'पहले या बाद में आएं'

लड़कों के साथ प्रैक्टिस करने में आ रहीं दिक्कतों के बारे में जब उन्होंने कोच को बताया तो उन्होंने भी समय से पहले या बाद में आकर प्रैक्टिस करने की सलाह दे दी। कई लड़कियां दूर-दराज के क्षेत्रों से आती थीं, लेकिन देर शाम तक आना-जाना उनके लिए संभव न हो सका और मजबूरन उन्हें पलायन करना पड़ा।