-आरटीओ कार्यालय में निरीक्षण के दौरान बिफरे डीटीसी

-ड्यूटी पर लिपिकों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के निर्देश

मेरठ: आरटीओ कार्यालय में दलालों की गतिविधियां पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। बुधवार को उप परिवहन आयुक्त ने आरटीओ कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। काउंटरों पर भीड़ और बाहरी व्यक्तियों को परिसर में घूमते देख डीटीसी भड़क गए उन्होंने अधिकारियों को जल्द व्यवस्था सुधारने और बाबुओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कहा।

नदारद थे बाबू

डीटीसी संजय माथुर बुधवार को सुबह दस बजे आरटीओ कार्यालय पहुंचे। वहां परमिट और डीएल बनवाने के लिए लोग काउंटरों पर खड़े थे। जबकि बाबू नदारद थे। डीटीसी के अचानक पहुंचने पर कर्मचारियों में अफरातफरी मच गई। डीटीसी ने कहा कि कार्य अवधि में अगर सीट पर बाबू नहीं तो यह गंभीर बात है। उन्होंने कहा कि हर पटल पर मौजूद बाबू को अपने सीट या काउंटर के आगे अपना नाम और मोबाइल नंबर लिखना होगा। मोबाइल नंबर लिखा होगा तो बाबू किसी काम से बाहर है तो आने वाले लोग उससे फोन पर बात कर अपनी संतुष्टि कर सकेंगे और बुलाए गए समय पर फिर से आएंगे। उन्होंने कर्मचारियों से पहचान-पत्र गले में टांगने के निर्देश भी दिए। कार्यालय में जगह-जगह फैली गंदगी पर भी उन्होंने नाराजगी जताई। उन्होंने नए निर्मित भवन सारथी का भी निरीक्षण किया। वहां पर किसी अधिकारी के नहीं बैठने पर उन्होंने आरआई राजेंद्र सिंह से नए भवन में बैठने के लिए कहा। आरटीओ डा। विजय कुमार से उन्होंने जल्द व्यवस्था सुधारने के लिए कहा और फिर निरीक्षण करने की बात कही।

पहले फंसाने लगे पेंच

बाबुओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने संबंधी निर्देशों को लागू करने से पहले ही उसमें अड़ंगे डालने की कवायद कर्मचारियों ने शुरू कर दी है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें सीयूजी मोबाइल नंबर नहीं मिले हैं उनके पास पर्सनल नंबर है वह अपना नंबर काउंटर पर क्यों लिखें। लोग काम का समय पूरा होने के बाद भी उन्हें फोन कर परेशान करेंगे। हाल ही में दस कर्मचारियों के स्थानांतरण हुए हैं। जिनमें केवल एक कर्मी ही रिलीव हुआ है। तीन कर्मी स्थानांतरित आ गए हैं, लेकिन पुरानों के अभी तक पटल पर जमे रहने से उनको दायित्व की बावत निर्णय नहीं हो पाया है। ऐसे में डीटीसी के निर्देशों का जल्द अनुपालन सुनिश्चित होता नहीं दिखाई दे रहा है।