चार लेयर में बंटी होती है परीक्षार्थी तक पेपर पहुंचाने की व्यवस्था

आयोग ने प्रिंटिंग प्रेस के सिर फोड़ा ठीकरा, स्टेटिक मजिस्ट्रेट भी सवालों के घेरे में

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की मेंस 2017 हिंदी निबंध का पेपर लीक कैसे हुआ? यह गुत्थी अब भी उलझी हुई है। आयोग ने अपने आपको पाक साफ मानते हुए इसका ठीकरा जीआईसी के प्रिंसिपल, प्रिंटिंग प्रेस के मालिक और स्टेटिक मजिस्ट्रेट के सिर फोड़ दिया है। रिपोर्ट भी यही दर्ज हुई है। लेकिन एवीडेंस जीआईसी मैनेजमेंट और स्टेटिक मजिस्ट्रेट को भी क्लीनचिट दे रहे हैं। इस स्थिति में क्या गलती सिर्फ प्रिंटिंग प्रेस की थी? इस सवाल का जवाब अब पुलिस को तलाशना है। उधर, मंगलवार को हुए उपद्रव के बाद हिरासत में लिए आठ लोगों में से सात को थाने से ही जमानत पर छोड़ दिया गया। सिर्फ एक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की पूर्व अध्यक्ष रिचा सिंह को चालान करके जेल भेजा गया है।

पैकेट पर लिखा था निबंध का पेपर

गुरुवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने पड़ताल के लिए आयोग के सचिव जगदीश से बात की तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि निबंध के प्रश्न पत्र के पैकेट पर लगे स्टीकर पर साफ दर्शाया गया था कि यह निबंध का प्रश्न पत्र है और परीक्षा द्वितीय पाली में होनी है। उन्होंने सीधे तौर पर जीआईसी के लोगों को दोषी ठहराया है। सचिव के मुताबिक प्रश्न पत्र प्रिंटिंग प्रेस से सीधे ट्रेजरी जाता है। यहां से परीक्षा वाले दिन स्टेटिक मजिस्ट्रेट इसे लेकर केन्द्र पहुंचाते हैं। आयोग की इसमें कोई भूमिका नहीं होती। उन्होंने कहा कि आयोग को इसके लिए दोषी ठहराना गलत है।

चस्पा थी गलत सूचना

आयोग की तरफ से सवालों में घिरे जीआईसी के प्रिंसिपल डीके सिंह का कहना है कि परीक्षा केन्द्र पर जो प्रश्न पत्र आया, उसके बक्से, कार्टून और लिफाफे पर साफ लिखा था कि यह सामान्य हिन्दी का प्रथम पाली का प्रश्न पत्र है। लिफाफे को खोलकर बांटने के बाद पता चला कि पैकेट में निबंध का पर्चा है। प्रिंसिपल डीके सिंह ने कहा कि यह सवाल आयोग द्वारा निर्धारित प्रिंटिंग प्रेस से पूछना चाहिए कि उसने पैकेट में गलत पर्चा क्यों डाला?

पैकेट खुलने की हुई थी वीडियोग्राफी

डीके सिंह के मुताबिक परीक्षा का पैकेट खोले जाने की वीडियोग्राफी भी करवाई गई। कक्ष निरीक्षक और दो परीक्षार्थियों ने रिटेन में सहमति भी दी कि पैकेट पर लगे स्टीकर पर लिखे सामान्य हिन्दी का पर्चा ही खोल रहे हैं। डीके सिंह ने यह भी सवाल उठाया कि जब परीक्षा केन्द्र को निर्धारित समय से एक घंटे पहले पर्चा मिलता है तो द्वितीय पाली की परीक्षा जो दोपहर में होनी थी। उसका पर्चा प्रथम पाली की परीक्षा से एक घंटे पहले उनके केन्द्र पर कैसे पहुंचा?

पैकेट खोला जाता है तो वहां जिला प्रशासन, परीक्षा केन्द्र और आयोग के प्रतिनिधि मौजूद होते हैं। इनकी सहमति के बाद ही पैकेट खोला जाता है। जिला प्रशासन ने बक्से, कार्टून और लिफाफे को अपने कब्जे में ले लिया है। परीक्षा केन्द्र की ओर से कोई चूक नहीं हुई। इसके सभी प्रमाण मेरे पास मौजूद हैं।

-डीके सिंह, प्रिंसिपल जीआईसी

ऐसे पहुंचता है केन्द्रों तक पेपर

आयोग पेपर सेट करने के बाद प्रिंटिंग के लिए भेजा है प्रेस में

केन्द्रवार परीक्षार्थियों का संख्या और केन्द्र का नाम भी होता है साथ में

प्रिंटिंग प्रेस छपाई के बाद प्रश्नपत्र की बंडलिंग और पैकेजिंग करता है

प्रेस भी बंडल पर केन्द्र और सब्जेक्ट का नाम, केन्द्र कोड आदि लिखने के बाद उसे कोषागार भेजवाता है

कोषागार से स्टेटिक मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी होती है कि वे परीक्षा से एक घंटा पहले पेपर केन्द्र तक पहुंचाएं

पेपर का पैकेट परीक्षा शुरू होने से अधिकतम 15 मिनट पहले खोला जा सकता है वह भी दो छात्रों और कक्ष निरीक्षक की मौजूदगी में

पेपर का पैकेट खोलने से पहले मिलान किया जाता है कि पेपर का कोड व सब्जेक्ट वही है जिसकी परीक्षा होने वाली है