ऑनलाइन बिलिंग में खामियां

निगम की ओर से 2010 से टैक्सपेयर्स के लिए ऑनलाइन बिलिंग की व्यवस्था शुरू की गई। ऑनलाइन बिलिंग शुरू होने पर काम में तेजी आने के साथ ही शिकायतों का भी अंबार लगने लगा। टैक्सपेयर्स का ऑनलाइन बिल की नोटिस बनाए जाने के बाद उसे क्लर्क की ओर से अपने रिकाड्र्स में मैनुअली चेक करना होता है। इसके बाद ही बिल को डिस्पैच किया जाता है, लेकिन इस प्रोसेस में चूक के चलते कईयों को बकाए पेमेंट के गलत ऑनलाइन बिल भेज दिए जा रहे हैं। जिसमें पेमेंट के बावजूद उनके बकाएदार होने की खामी सबसे ज्यादा है।

डेली दर्जन भर कंप्लेंस

टैक्स रिकवरी के लिए गलत बिल भेजे जाने पर निगम का टैक्स व कम्प्यूटर डिपार्टमेंट लगाम नहीं लगा पा रहा। निगम की ओर से अपने कई टैक्सपेयर्स को लगभग हर दिन गलत बिल भेजे जा रहे हैं। जिससे परेशान टैक्सपेयर्स आए दिन गलत और बढ़े हुए पेमेंट वाले बिलों को ठीक कराने के लिए निगम के चक्कर काट रहे हैं। ऑफिशियल्स के मुताबिक टैक्स डिपार्टमेंट को हर दिन 12 से 15 गलत बिल सही कराने को लेकर कंप्लेन आ रही हैं। जिन में ज्यादातर पर ऑफिशियल्स के टैक्स वसूली में बिजी होने के कारण सुनवाई नहीं हो रही।

जरुरत 14 की ऑपरेटर 2

निगम के कम्प्यूटर डिपार्टमेंट में ऑनलाइन बिलिंग से लेकर बर्थ-डेथ रजिस्ट्रेशन व वेबसाइट अपडेशन के लिए 14 लोगों की टीम की जरुरत है। इनमें से एक आईटी एक्सपर्ट, एक प्रोग्रामर और 12 ऑपरेटर्स शामिल हैं, लेकिन डिपार्टमेंट में सिर्फ 2 ऑपरेटर्स के भरोसे काम चल रहा है। उसमें भी ऑनलाइन बिलिंग का जिम्मा एक ऑपरेटर पर ही है। ऐसे में ऑनलाइन बिलिंग में आ रही गड़बडिय़ों की वजह स्टाफ का न के बराबर होना भी है। नगर आयुक्त ने पिछले महीने शासन से निगम के लिए 14 मेंबर्स की टीम की मांग की थी, जिस पर मंजूरी तो मिली पर अब तक नियुक्ति न हो सकी।

सुविधा शुल्क के नाम पर खेल

निगम में गलत टैक्स बिलिंग के केसेज में सिर्फ टेक्निकल-ह्यूमन एरर ही नहीं बल्कि करप्शन भी बड़ा फैक्टर है। डिपार्टमेंट के कुछ क्लर्क और कर्मचारी अपनी जेबें गरम करने को ही टैक्सपेयर्स को बढ़ा बिल भेज उनकी हार्टबीट बढ़ा रहे हैं। नगर आयुक्त और मेयर से की जा रही कई कंप्लेंस में टैक्सपेयर्स ने आरोप लगाए कि उनसे बिल करेक्शन को लेकर कर्मचारियों ने सुविधा शुल्क की डिमांड की। वहीं ऑफिशियल्स भी कुछ कर्मचारियों के इन गड़बडिय़ों में शामिल होने से इंकार नहीं कर रहे।