- आज भी दहेज के लिए मारी जा रही बेटियां, दम घुटती जिन्दगी जीने को मजबूर

- पटना में ही बीते साल दहेज की बलि पर चढ़ी 83 महिलायें, प्रताड़ना के भी 535 केस आए

- हर पांचवें दिन एक महिला हो रही बलात्कारियों की शिकार

PATNA : हम आजाद तो हुए मगर कई मायनों में आज भी गुलाम है। अभी भी कई तरह की गुलामी की बेडि़यां हमारे कदमों में पड़ी है जिससे निकलना अभी बाकी हैं। महिलाओं पर अत्याचार करना, उनका दुष्कर्म करना, यही नहीं दहेज के लिए उनकी हत्या तक कर देना हमारी मानसिक गुलामी को ही बयान करता है। सिर्फ राजधानी की ही बात करे तो हर पांचवें दिन एक महिला को दहेज के लिए मार दिया जाता है, यहीं नहीं इतनी ही महिलाओं की इज्जत भी दरिंदों द्वारा हर चौथे दिन उतारी जा रही है। क्या ऐसी करतूतों से अपने गणतंत्र और उसकी आजादी के हसीन सपने को साकार होने दे रहे हैं? गणतंत्र के म्म् साल बाद भी हमारी आधी आबादी का प्रताड़ना से आजाद होना बाकी है।

दहेज की बलि पर 8फ् बेटियां

दहेज मांगना और देना दोनों अपराध की श्रेणी में आता है मगर आज भी लोग इसे शान समझते हैं। लेकिन इन लेने और देने के चक्की में जो पिस रही है वो तो बेटियां ही है। आज भी उन्हें दहेज के लिए मारा जा रहा है। सिर्फ राजधानी पटना की ही बात करे तो वर्ष ख्0क्ब् में 8फ् बेटियों को मार डाला गया है। पटना के विभिन्न थाना क्षेत्रों में दहेज हत्या यानी आईपीसी की धारा फ्0ब् बी के तहत 8फ् मामले दर्ज किये गये हैं। इन घर वालों पर क्या बीतता है इसका सहज अनुमान लगाना मुश्किल है जिसकी शादी के सपने मां बाप उसके बचपन से ही देख रहे होते है उसकी लाश चंद रुपयों के लिए उठाने को मजबूर होते हैं।

दहेज चाहिए तो चाहिए

दुनिया की नजर में एक बार तो दहेज लेकर शादी कर लेते हैं लोग लेकिन इस दहेज की आदत एक बार लग जाये तो कम नहीं होती। इसलिये समय समय पर महिलाओं पर अत्याचार कर मायके से कभी कैश तो कभी बाइक तो कभी बिजनेस के लिए रुपये का दबाव हमेशा दिया जाता है। जब हद पार होती है तब ही मामले थाने तक पहुंचते हैं। कई बार तो मां बाप अगर दे सकते है तो दहेज देकर बेटी की जिन्दगी पटरी पर लाने की कोशिश करते हैं। पटना जिले के थानों में हर महीने ही एवरेज करीब ब्भ् मामले महिला प्रताड़ना के आते हैं। पिछले वर्ष क्ब् में ही भ्फ्भ् केस आईपीसी की धारा ब्98 ए के तहत पटना के अलग अलग थानों में दर्ज की गई। यह तो चंद मामले ही है जो थानों तक पहुंच रहे ऐसे और सैकड़ों मामले हैं जो लोकलाज और परिवारिक दबाव के कारण सामने नहीं आ पाती।

इज्जत भी सेफ नहीं।

पटना में छेड़खानी, रेप और गैंग रेप की घटनाये लगातार बढ़ रही हैं। लड़कियों का सड़क पर चलना मुश्किल हो रहा है। आये दिन छेड़खानी हो रही है, गंदे और अश्लील कमेंट तो आम बात हो गई है जिसे हर दिन झेल रही हैं। पिछले कुछ महीनों में ही रेप की कई घटनाओं ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस साल जनवरी के बीते ख्0 दिनों में ही तीन नाबालिग लड़कियों की इज्जत के साथ खेला गया। यही नहीं बीते साल में 8फ् लड़कियों की इज्जत दरिन्दों ने उतार दी। कुछ महीने पहले हुए परसा बाजार थाना एरिया में नाबालिग लड़की की पहले गैंग रेप कर हत्या के मामले ने सबसे होश उड़ा दिये थे। इस वारदात के बीते कुछ दिन ही हुए थे कि बिहटा में भी नाबालिग लड़की के साथ गैंग रेप की वारदात ने अपराधियों में पुलिस के खौफ की पोल खोल कर रख दी। हालांकि पुलिस का कहना है कि कई मामलों में तो पहचान वाले ही ऐसी घटिया करतूत कर देते हैं और इस तरह की बातें घटना होने के बाद ही सामने आती है जिन्हें रोक पाना संभव नहीं।

प्रताड़ना की धारा ब्98 ए - भ्फ्भ् मामले

दहेज के लिए हत्या फ्0ब् बी -8फ् मामले

बलात्कार - 8फ् मामले

(वर्ष क्ब् में पटना जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में दर्ज महिलाओं अपराध)