किस कोर्स की क्या वैल्यू है, वो उसके फॉर्म के लिए लगी लाइन बता देती है। ये सब यूनिवर्सिटी की ग्रेड बताने के लिए काफी होती है। इसके लिए नैक ग्रेडिंग की जरूरत नहीं है। इन प्वाइंट्स पर डॉ। बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी की ग्रेडिंग जेड प्लस प्लस कही जाए तो गलत नहीं होगी। नए सत्र में दाखिला कुछ दिनों बाद शुरू हो जाएगा। अब स्टूडेंट्स ही तय करें कि यूनिवर्सिटी में उनके कॅरियर को क्या दिशा मिलेगी।

 

रिसर्च भगवान भरोसे

डॉ। बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी में रिसर्च की हालत सबसे ज्यादा बुरे दौर में है। पिछले छह सालों से यहां कोई भी रिसर्च कार्य नहीं हुए हैं। आलम देखिए, आज तक शोध के किसी भी सब्जेक्ट पर एंट्रेंस एग्जाम तक कराना यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने मुनासिब नहीं समझा और न ही रजिस्ट्रेशन हुए। यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी एएस कुकला ने चार साल तक रिसर्च के रजिस्ट्रेशनों पर रोक लगा दी थी। इसके बाद आए वीसी केएन त्रिपाठी ने इस दिशा में काम किया और रिसर्च डेवलपमेंट कमेटी बनाई थी। लेकिन, ये कमेटी भी गठित होकर ही रह गई। ये भी कुछ खास नहीं कर पाई। ऐसे में इस यूनिवर्सिटी की ग्रेडिंग क्या होनी चाहिए, ये फैसला अब आपको ही लेना होगा।

अब तक बंद कई कोर्सेज

कोर्सेज के बंद होने के मामले में हमारी यूनिवर्सिटी सबसे आगे है। इस यूनिवर्सिटी में दो दर्जन से अधिक कोर्स बंद किए जा चुके हैं। जर्नलिज्म, एनएचआरएम, एमटीए, लाइफ साइंस, एमसीए जैसे कोर्सों पर भी ताला लटका दिया गया है। यूनिवर्सिटी से एफिलेटेड 17 इंस्टीट्यूट के दो-दो कोर्स तक बंद किए जा चुके हैं। इसके चलते यहां पर स्टूडेंट्स फॉर्म तक भरने नहीं आए। कई कोर्सेज की महज बीस और तीस सीटें भी यूनिवर्सिटी नहीं भर पाई। स्टूडेंट्स ने भी एप्लाई करना उचित नहीं समझा। इसके अलावा एमबीए के कुछ सब्जेक्ट और बीसीए जैसे अहम कोर्सेज भी बंद होने की कतार में शामिल हो गए हैं। अगर पिछले रिकॉर्ड पर नजर डाली जाए तो यूनिवर्सिटी के हर कोर्स में एडमिशन का रेशियो कम हुआ है।

सेशन रेग्युलर होना दूर की बात

अब बात सेशन की करते हैं। पिछले कई सालों से यहां टाइम पर एग्जाम तक नहीं हुए। कई के रिजल्ट अटक गए तो कई की मार्कशीट्स में गलतियां आईं। स्टूडेंट्स के आंदोलन का भी कोई असर नहीं हुआ.   बीएड, इंजीनियरिंग, एमबीए के रिजल्ट तक आउट नहीं हुए हैं। कई सब्जेक्ट के प्रैक्टिकल अब तक अधूरे पड़े हैं। सत्र 2012-13 को शुरू करने की तैयारी चल रही है, जबकि ईयर 2011-12 का मूल्यांकन कार्य अब तक पूरा नहीं हो सका है। हजारों मार्कशीट्स अब भी करेक्शन होने का इंतजार कर रही हैं। जबकि यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। डीएन जौहर सबकुछ समय पर होने की बात कह रहे हैं। उनका दावा है कि सभी रिजल्ट आउट हो चुके हैं। हर कमी को दूर करने का प्रयास किया जाएगा, जबकि हकीकत ये है कि अब तक पिछले सेशन की प्रॉब्लम को ही दूर नहीं किया जा सका है. 

एक नहीं है प्रॉब्लम

यूनिवर्सिटी में ऐसी कई समस्याएं हैं, जो अब विकराल होती जा रही हैं। बीएड का रिजल्ट, मार्कशीट्स में करेक्शन, रिजल्ट का इंतजार, डिग्री, माइग्रेशन जैसी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन भी यूनिवर्सिटी आज तक नहीं निकाल सकी है। स्टूडेंट्स इसके लिए भूख हड़ताल करते हैं, प्रदर्शन करते हैं लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। इसको लेकर एलआईयू भी रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी के हालत विस्फोटक होने का दावा कर चुकी है. 

प्लेसमेंट में भी फेल

प्लेसमेंट और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में यूनिवर्सिटी का दूर दूर तक कोई स्थान नहीं है। यूनिवर्सिटी के रिकॉर्ड पर नजर डाली जाए तो आज तक ऐसा कोई स्टूडेंट्स नहीं मिला, जो कॉम्पटीशन पास आउट करने का श्रेय यूनिवर्सिटी को देता हो। यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड प्राइवेट इंस्टीट्यूट में कैंपस सिलेक्शन हो जाता है। लेकिन यूनिवर्सिटी में शायद ही कभी कैंपस सिलेक्शन हुआ हो।

फंड भी है यूनिवर्सिटी में

-डॉ। अंबेडकर यूनिवर्सिटी में 485 कॉलेज एफिलिएटेड हैं। इन कॉलेजों से करोड़ों की कमाई यूनिवर्सिटी को होती है।

यूजीसी से करोड़ों रुपये की फंडिंग होती है। स्टूडेंट्स की फीस आदि भी करोड़ों की कमाई का जरिया हैं।

इंजीनियरिंग और बीएड के मिलाकर करीब 300 कॉलेजेज को एफिलिएशन दी गई है।

- यूनिवर्सिटी का ऐसा कोई कॉलेज नहीं हो गाए जिसमें शिक्षकों दर्जनों पद सालों से खाली चले आ रहे हैं, जिनको अभी तक भरने का प्रयास तक नहीं किया गया।

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