याहू का दावा है कि फेसबुक ने उसके 10 पेटंटों का उल्लंघन किया है जिनमें वेब पर विज्ञापन देने की प्रणालियां और तरीके शामिल हैं। फेसबुक ने इन आरोपों से इंकार किया है।
फेसबुक का आईपीओ यानी प्रारंभिक पब्लिक इश्यू इस साल बाज़ार में आ रहा है। पेटंट से संबंधित मुक़दमेबाज़ी स्मार्टफ़ोन बनाने वाली कंपनियों के बीच आम हो गई है लेकिन दो बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के बीच ऐसी जंग का ये नया किस्सा है।
'मज़बूत दावा'
याहू द्वारा जारी किए गए एक वक्तव्य से लगता है कि वेब पोर्टल को यक़ीन है कि उसका दावा मजबूत है। वक्तव्य में कहा गया है, "याहू के पेटेंट, मैसेजिंग, न्यूज फ़ीड जेनेरेशन, सोशल कमेंटिंग, विज्ञापन प्रदर्शन, प्राइवेसी नियंत्रण जैसे इंटरनेट उत्पादों की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से संबंधित हैं। जबकि उपभोक्ताओं को प्रोफाइल बनाने और दूसरे लोगों और कारोबारों से जुड़ने देने वाले फेसबुक का पूरा सोशल नेटवर्क मॉडल, याहू की पेटेंट की जा चुकी सोशल नेटवर्किंग तकनीक पर आधारित है."
उधर, फेसबुक का मानना है कि याहू ने अदालत के बाहर मामला निपटाने की कोई ख़ास कोशिश नहीं की। फेसबुक ने याहू के कदम को 'हैरान करने वाला' बताया है।
सोशल नेटवर्किंग साइट के मुताबिक, "हमें निराशा है कि याहू, जो लंबे समय से फेसबुक का बिजनेस पार्टनर रहा है और जिसे फेसबुक से जुड़ने से काफी फ़ायदा भी हुआ है, ऐसी कंपनी ने मुकदमा करने का फ़ैसला किया है."
याहू और गूगल
याहू ने एक और सर्च इंजन, गूगल, के वर्ष 2004 में पब्लिक इश्यू आने से पहले उसके खिलाफ भी मुक़दमा करने का फ़ैसला किया था। उस विवाद की जड़ में वो पेटेंट थे जो याहू को तब मिले थे जब 2003 में उसने ओवरचर कंपनी का अधिग्रहण किया। बाद में गूगल ने याहू को अपने 27 लाख शेयर देकर मामला निपटाया था।
वित्तीय सेवाएं देने वाली कंपनी बीजीसी पार्टनर्स के न्यूयॉर्क-स्थित तकनीकी विश्लेषक कॉलिन गिलिस ने बीबीसी को बताया, "ज़ाहिर है कि याहू ये युक्ति फिर से आजमाना चाहेगा क्योंकि इससे पहले ये कारगर साबित हुई है। लेकिन याहू के इस कदम में हताशा झलकती है। ऐसा मुश्किल ही है कि उन्हें फेसबुक से आसानी से पैसा मिल पाएगा। इससे फेसबुक का आईपीओ प्रभावित नहीं होगा."
खराब आर्थिक हालत
याहू ने हाल ही में अपने बोर्ड में फेरबदल किए हैं। इस साल जनवरी में स्कॉट थॉम्पसन कंपनी के नए मुख्य कार्यकारी के पद पर नियुक्त हुए थे। जनवरी में ही कंपनी के सह-संस्थापक जैरी यांग ने बोर्ड से इस्तीफ़ा दिया था जिसके कुछ दिन बाद ही कंपनी के अध्यक्ष और तीन अन्य बोर्ड सदस्यों ने भी पद से हटने के फ़ैसले की घोषणा की थी।
वॉल स्ट्रीट जर्नल अख़बार ने रिपोर्ट किया था कि लगातार तिमाहियों में कमाई घटने के बाद याहू के कई कर्मचारियों को छंटाई की आशंका थी। माना जा रहा है कि अगर फ़ेसबुक के ख़िलाफ़ मुकदमे में अदालत का फ़ैसला याहू के पक्ष में आए तो इससे कंपनी अधिक धनराशि या संपत्ति मिल पाएगी।
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